हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन को बड़ा झटका देने की अमरीका की तैयारी

वॉशिंग्टन – चीन से क़रारे जवाब की धमकी मिलने के बाद भी, अमरीका ने हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी शुरू की है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, आनेवाले कुछ दिनों में चीन के विरोध में कड़े निर्णय की घोषणा करेंगे, ऐसा कहा है। अमरीका के राजनीतिक दायरे से भी, ट्रम्प प्रशासन हाँगकाँग मुद्दे पर आक्रमक निर्णय करें, ऐसी माँग ज़ोर पकड़ रही है। अमरीका की संयुक्त राष्ट्रसंघ में पूर्व राजदूत निक्की हॅले ने, हाँगकाँग के संदर्भ में यदि कार्र्वाई नहीं की, तो उसके बाद अगला ख़तरा तैवान को होगा, इसका एहसास करा दिया है।

चीन की संसद का अधिवेशन गुरुवार को ख़त्म हो रहा होकर, उससे पहले हाँगकाँग पर थोंपे जानेवाले ‘नॅशनल सिक्युरिटी लॉ’ को मान्यता मिल सकती है। चीन की संसद में मंज़ुरी मिलने के बाद जून महीने में यह क़ानून हाँगकाँग में जारी हो सकता है। कोरोना की महामारी शुरू है और इसके बावजूद भी यह क़ानून जारी करने के लिए चीन ने ज़ोरदार तैयारी की होकर, ज़रूरत पड़ने पर लष्कर भेजने के भी संकेत दिये हैं।

चीन की इस दख़लअन्दाज़ी को रोकने के लिए अमरीका और ब्रिटन ने पहल की होकर, चीन के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई करने के लिए गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। चीन की संसद में क़ानून का प्रस्ताव आने से पहले ही राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने सख़्त कार्रवाई के बारे में बयान किया था। उसके अनुसार ट्रम्प प्रशासन ने गतिविधियाँ चालू कीं होकर, विदेश विभाग एवं अर्थ विभाग के माध्यम से कार्रवाई होने के संकेत दिये गए हैं।

ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की होकर, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष का बयान इस दिशा में संकेत देनेवाला साबित होता है। ‘हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन पर कार्रवाई करने के लिए महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ शुरू हैं। यह हफ़्ता ख़त्म होने से पहले बड़ी कार्रवाई का निर्णय घोषित करूँगा’, ऐसा ट्रम्प ने कहा। वरिष्ठ अधिकारियों ने दी जानकारी के अनुसार, ‘स्पेशल स्टेटस’ रद करना, चीन के नेता व अधिकारी पर प्रवेश पाबंदी और आर्थिक एवं व्यापारी निर्बंध इनका कार्रवाई में समावेश होगा।

चीन के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए, इसलिए अमरीका के राजनीतिक दायरे से भी दबाव बढ़ने लगा है। अमरीका की दोनों राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने इसकी माँग की होकर, तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिए, ऐसा भी आग्रह रखा है। अमरीका की संयुक्त राष्ट्रसंघ में पूर्व दूत निक्की हॅले ने तैवान की याद दिलाकर, हाँगकाँग मुद्दे पर कार्रवाई की माँग की है।

‘चीन यदि ज़बरदस्ती से हाँगकाँग पर कब्ज़ा किया, तो उससे अमरीका के हितसंबंधों को ख़तरा पैदा हो सकता है। उसी समय, हाँगकाँग के बाद चीन की नज़र तैवान की ओर मुड़ेगी, इसपर ग़ौर करना चाहिए। हाँगकाँग के विरोध में क़ानून यदि पास हो गया, तो अमरिकी संसद फ़ौरन कदम उठाकर चीन पर निर्बंध थोंपकर सख़्त कार्रवाई के लिए क़ानून बनायें। हाँगकाँग की जनता अमरीका की ओर उम्मीद के साथ देख रही है, इसका एहसास हमें रखना चाहिए’, ऐसे शब्दों में हॅले ने चीन को बड़ा झटका देने की आग्रही भूमिका अपनायी है।

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