सर्वपक्षीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर में; अलगाववादी नेताओं का बातचीत से इन्कार

श्रीनगर, दि. ४ (वृत्तसंस्था)- रविवार के दिन सर्वपक्षीय प्रतिनिधिमंडल के ३० सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती से चर्चा की| लेकिन इस प्रतिनिधिमंडल ने पहल करने के बाद भी, राज्य के अलगाववादी नेताओं ने चर्चा करने से इन्कार कर दिया| मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर में फ़ैली अराजकता के लिए ज़िम्मेदार हैं, ऐसा आरोप अलगाववादी नेताओं ने किया|

सर्वपक्षीय प्रतिनिधिमंडलजम्मू-कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन शुरू हुए ५६ दिन बीत चुके हैं| फिर भी कुछ इलाक़ों में तनाव कायम है| इस हिंसा में अब तक ७२ लोगों को जान गँवानी पड़ी| संसद के अधिवेशन के दौरान हुई चर्चा में, कई राजनीतिक पक्षों ने चरमपंथी नेताओं को चर्चा में शामिल करने की माँग की थी| साथ ही, सर्वपक्षीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर में चर्चा के लिए भेजा जाये, यह प्रस्ताव भी इस चर्चा में दिया गया था| सरकार ने इस माँग का स्वीकार करते हुए सर्वपक्षीय प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर भेजने का फ़ैसला किया था|

इस चर्चा में अलगाववादी नेताओं को शामिल करने की माँग भी कुछ विरोधी दल के नेताओं ने की थी| इसके बाद रविवार को इस प्रतिनिधिमंडल ने, मुख्यमंत्री मुफ्ती के साथ चर्चा करने के बाद अलगाववादी नेताओं से मुलाक़ात करने की कोशिश की थी| ‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ इस चरमपंथी संगठन के नेता ‘यासिन मालिक’ ने प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों से भेंट की| लेकिन बातचीत करने से इन्कार किया|

‘हुरियत कॉन्फरन्स’ इस कश्मीर की अलगाववादी मध्यवर्ती संगठन के नेता ‘सय्यद अल शहा गिलानी’ और ‘मिरवाईझ उमर’ ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से भेंट करने से इन्कार किया| इस मुलाक़ात से कुछ भी हासिल नहीं होगा, यह दावा इन दोनों ने किया है| इस दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने अलगाववादी नेताओं से साथ चर्चा करने के लिए पहल की, इस बात की कुछ विशेषज्ञों ने आलोचना की|

जम्मू-कश्मीर की हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, यह छिपकर नहीं रहा है| ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ इस आतंकी संगठन के नेता ‘सय्यद सलाहुद्दीन’ ने, कश्मीर में जिहाद के लिए पाकिस्तान सभी तौर पर सहयोग कर रहा है, ऐसा शनिवार के दिन ही कहा था| उनका यह दावा प्रकाशित होने के बाद, पाकिस्तान का समर्थन करनेवाले अलगाववादी नेताओं से बातचीत करने में कुछ भी प्रयोजन नहीं है, ऐसा दावा विशेषज्ञ कर रहे हैं|

प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करने से इन्कार करने के बाद अलगाववादी नेताओं ने अपने ईमानदारी का प्रदर्शन किया था| इससे अलगाववादियों को चर्चा में शामिल करने के प्रयास विफल हुए हैं और अलगाववादी नेता और संगठनों को जम्मू-कश्मीर में शांति और सुव्यवस्था क़ायम रखने में दिलचस्पी नहीं है, यह स्पष्ट हो रहा है|

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