जिबौती स्थित अमरीका और फ्रान्स के अड्डों पर हमले करने के लिए अल शबाब ने उकसाया

us-france-djiboutiमोगादिशू – सोमालियास्थित अल-शबाब इस अल कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन ने जिबौती स्थित अमरीका और फ्रान्स के लष्करी अड्डों पर हमले करने के लिए उकसाया। उसकी दखल लेकर अमरीका ने इस आतंकवादी संगठन के संभाव्य हमलों को प्रत्युत्तर देने की चेतावनी दी है। इसी बीच, अगले दो हफ्तों में जिबौती में चुनाव संपन्न होनेवाले हैं। उससे पहले अल शबाब द्वारा इस तरह उकसाया जाने पर चिंता व्यक्त की जा रही है।

पिछले छः सालों से सोमालिया और केनिया स्थित अल शबाब के कारनामों का नेतृत्व करनेवाले ‘अबू ओबैदा अहमद ओमर’ का वीडियो दो दिन पहले जारी हुआ। इसमें अहमद ओमर ने जिबौती के राष्ट्राध्यक्ष इस्माईल ओमर ग्युलेह की आलोचना की। ग्युलेह के कार्यकाल में जिबौती दूसरे देशों के लष्करों का अड्डा बनता चला जा रहा होने का आरोप अल-शबाब के सरगने ने किया। इन लष्करी अड्डों का इस्तेमाल पूर्वीय अफ्रीका स्थित इस्लामधर्मियों के विरोध में युद्ध छेड़ने के लिए किया जा रहा है, ऐसा दोषारोपण अहमद ओमर ने किया। इसीलिए जिबौती स्थित अमरीका और फ्रान्स के लष्करी अड्डों तथा हितसंबंधों को लक्ष्य करनेवाले हमलें करने का आवाहन अल-शबाब के सरगने ने किया।

us-france-djiboutiजिबौती के युवा ‘लोन वुल्फ’ यानी अकेले से ही हमलें करके अमेरिकनों तथा फ्रेंचों को जिबौती से खदेड़ दें, ऐसा संदेश अल-शबाब के सरगने ने अपने समर्थकों को दिया। इन हमलों के लिए तैयार होनेवाले युवाओं को आश्रय तथा प्रशिक्षण देने की तैयारी इस आतंकवादी संगठन के सरगना ने व्यक्त की।

अमरीका की अफ्रीकी कमांड के प्रवक्ता कर्नल ख्रिस्तोफर कर्न्स ने कहा है कि अल-शबाब के सरगने ने वीडियो के जरिए दी हुई धमकी की दखल ली गई है। पूर्वी अफ्रीका स्थित अमरीका के हितसंबंधों को अल-शबाब से खतरा है। इसी कारण अल-शबाब के नेटवर्क के खिलाफ अमरीका गंभीरतापूर्वक कार्रवाई कर रही होकर, यह आतंकवादी संगठन पूरी तरह नष्ट करने की कोशिशें जारी हैं, ऐसा कर्नल कर्न्स ने स्पष्ट किया।

us-france-djiboutiरेड सी और हिंद महासागरी क्षेत्र में सागरी माल ढुलाई पर तथा नौसेनाओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए दुनिया के कुछ प्रमुख देशों ने जिबौती में अपने लष्करी अड्डे बनाए हैं। उनमें अमरीका के चार हज़ार जवान तैनात होनेवाले जिबौती स्थित सबसे बड़े लष्करी अड्डे का समावेश है। वहीं, फ्रान्स के लगभग १५००, चीन के हजार, जापान और इटली के लगभग १०० से २०० जवान यहाँ पर तैनात हैं। चीन ने जिबौती में मालवाहक जहाज़ों के लिए बंदरगाह का निर्माण भी किया है।

सागरी यातायात की दृष्टि से जिबौती को बहुत अहम स्थान होकर, इसी कारणवश इंधन तथा अन्य व्यापारी यातायात की सुरक्षा के लिए जिबौती पर पश्चिमी तथा चीन और जापान जैसे देशों ने ध्यान केंद्रित किया है। भारत भी जिबौती में अपना अड्डा बनाने के लिए प्रयासशील है। ऐसी स्थिति में अमरीका तथा फ्रान्स के जिबौती स्थित अड्डों को लक्ष्य करने के लिए अल-शबाब ने दिए प्रक्षोभक संदेश पर अमल करने की कोशिश भी हुई, तो उसकी बहुत बड़ी गूंजे सुनाईं दे सकतीं हैं। अमरीका के कर्नल कर्न्स ने दी प्रतिक्रिया से यह बात स्पष्ट रूप से सामने आ रही है।

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