वायुसेना लद्दाख में रफायल विमान तैनात करने की संभावना

नई दिल्ली – लद्दाख में चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर, भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की अहम बैठक बुधवार से शुरू हो रही है। इस बैठक में लद्दाख की स्थिति का जायज़ा लिया जाएगा। साथ ही, अगले हफ़्ते में भारत पहुँच रहे ‘रफायल’ विमानों की तैनाती को लेकर अहम निर्णय हो सकता है। शत्रु की हवाई सुरक्षा यंत्रणा और राडार को चकमा देने की क्षमता रखनेवाले ये विमान, लद्दाख में तैनात करने की संभावना जताई जा रही है। भारत ने लद्दाख में इससे पहले ही लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर्स का बड़ा बेड़ा तैनात किया है।

रफायल विमान

वायुसेनाप्रमुख आर.के.एस.भदोरिया की उपस्थिति में २२ और २३ जुलाई के दो दिन इस बैठक का आयोजन हो रहा है। इस दौरान लद्दाख में बना तनाव, वायुसेना की तैयारी और भारतीय वायुसेना में नए से दाखिल हो रहे रफायल विमानों को युद्ध के लिए तैयार रखना, इन मुद्दों पर चर्चा होगी, ऐसा वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा। भारत ने फ्रान्स के साथ ३६ रफायल विमान खरीदने के लिए समझौता किया है और इनमें से चार लड़ाकू विमान इसी महीने के अन्त में भारत पहुँच रहे हैं। लेकिन, चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर, भारत ने फ्रान्स के सामने अतिरिक्त विमान प्रदान करने की माँग रखी थी। फ्रान्स ने भी भारत की माँग मंजूर की है और अगले सोमवार के दिन अतिरिक्त विमानों के साथ रफायल का बेड़ा भारत पहुँच रहा है।

अगले सोमवार को फ्रान्स से पहुँच रहें ये विमान पंजाब के अंबाला हवाई अड्डे पर उतारे जाएँगे। इन विमानों को हथियारों से लैस करने के लिए इस हवाई अड्डे पर आवश्‍यक तैयारी शुरू है। इनमें से कुछ विमानों को सीधा लद्दाख में तैनात करने के मुद्दे पर बुधवार के दिन चर्चा हो सकती हैं। लद्दाख में वायुसेना की सिद्धता बढ़ाने के लिए यह निर्णय किया जा सकता है। ऐसा होने पर, रफायल विमानों की यह तैनाती चीन के लिए सबसे बड़ी चेतावनी साबित हो सकती है। भारत ने पहले ही लद्दाख में सुखोई-३० एमकेआय, मिग-२९ और मिराज २००० विमानों का बेड़ा तैनात किया हैं। ऐसी स्थिति में, सुखोई-३०, एमकेआय और रफायल विमान चीन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। इसी वज़ह से बुधवार के दिन शुरू हो रही वायुसेना की इस बैठक की ओर सभी लोगों की नज़रें हैं।

इसी बीच, लद्दाख के बारे में भारत की भूमिका में किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ है और लष्करी बैठक में किए निर्णयों का चीन पालन करें, ऐसा भारत ने चीन को डटकर कहा है।

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