११४ अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए वायु सेना की तैयारी शुरू

नई दिल्ली – वायु सेना ने ११४ अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव सरकार के सामने रखने की तैयारी की है। इसके लिए १.३ लाख करोड रुपए इतना खर्च अपेक्षित है, ऐसा बताया जाता है। कुछ ही दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ८३ ‘तेजस मार्क १ए’ इस स्वदेशी बनावट के विमानों की खरीद के लिए मान्यता दी थी। इसके लिए लगभग ५० हज़ार करोड रुपए खर्च होने वाले होकर, जल्द ही आयोजित किए जाने वाले ‘एरो इंडिया’ के दौरान यह समझौता संपन्न होगा, ऐसा कहा जाता है। चीन और पाकिस्तान इन दोनों देशों का एक ही समय पर सामना करते समय, भारतीय वायुसेना के बेड़े में पर्याप्त मात्रा में लड़ाकू विमान होने चाहिए, इसके लिए तेेज़ी से कदम उठाए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर ये फैसले किए जा रहे होने की जानकारी दी जाती है।

कुछ ही दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा विषयक समिति ने, लगभग ५० हजार करोड़ रुपयों के ८३ ‘तेजस मार्क १ए’ विमानों की खरीद के लिए मंज़ुरी दी थी। इससे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को अधिक ही बल मिलेगा, ऐसा विश्वास रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने व्यक्त किया था। लेकिन चीन और पाकिस्तान जैसे देशों का एक ही समय पर सामना करते समय, भारतीय वायुसेना को बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक विमानों की आवश्यकता प्रतीत हो सकती है। इसके लिए कम से कम ४५ स्क्वाड्रन्स वायु सेना के बेड़े में होना अनिवार्य माना जाता है। लेकिन वायु सेना के बेड़े में फिलहाल ३२ स्वाड्रन्स इतने विमान होकर, यह संख्या पर्याप्त ना होने की चेतावनी विश्लेषकों द्वारा दी जा रही है।

इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने सन २०१६ में फ्रान्स के साथ ३६ रफायल विमानों की खरीद का समझौता किया था। उसके बाद फ्रान्स से और ३६ विमानों की खरीद करने का विचार किया जा रहा होने की चर्चा है। लेकिन वायु सेना ने अब बहुउद्देशिय श्रेणि के ११४ अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की खरीद करने का प्रस्ताव सरकार के सामने प्रस्तुत करने की तैयारी की है। इसके लिए लगभग १.३ लाख करोड रुपए इतना खर्च अपेक्षित है। यह कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए अमेरिकन, रशियन, फ्रेंच और स्विडिश कंपनियों में होड़ शुरू होने की जानकारी प्रकाशित हुई थी।

इन ११४ लड़ाकू विमानों का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत भारत में ही किया जाएगा। साथ ही, उसके तंत्रज्ञान का हस्तांतरण भारत को करने की शर्त भी रखी जाने वाली है। इस संदर्भ में विभिन्न कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट मंगाए गए हैं । अमरिकी कंपनियों से एफ-१५ स्ट्राईक ईगल, एफ-१८ सुपर हॉर्नेट तथा एफ-२१ इन विमानों की सप्लाई भारत को करने की कोशिशें की जा रहीं हैं। वहीं, रशिया से मिग-३५ तथा सुखोई विमानों का प्रस्ताव आया है। फ्रान्स ने रफायल का आधुनिक संस्करण भारत को देने की तैयारी दर्शाई है। ११४ विमानों के कॉन्ट्रैक्ट के लिए रफायल विमान सबसे आगे हैं, ऐसा वायुसेनाप्रमुख आरकेएस भदौरिया ने हाल ही में स्पष्ट किया था। वहीं, स्वीडन भी अपने ग्रिपेन विमानों का अत्याधुनिक संस्करण भारत को देने के लिए उत्सुक है। ये अत्याधुनिक विमान अगले तीन से चार दशक तक वायु सेना की सेवा में रहेंगे।

इन अत्याधुनिक विमानों की खरीद के साथ ही, वायुसेना के बेड़े से निवृत्त हो रहे मिग-२१ विमानों का स्थान ‘तेजस मार्क १ए’ लेगा। लेकिन तेजस का अगला संस्करण होने वाला ‘मार्क २’ जी अगले वर्ष में सामने आएगा और सन २०२३ इसके भी परीक्षण किए जाएंगे, ऐसी जानकारी ‘हिंदुस्तान एरोनॉटीक्स लिमिटेड-एचएएल’ ने दी है। सन २०२५ से ‘तेजस मार्क २’ का निर्माण शुरू होगा, ऐसा ‘एचएएल’ के प्रमुख आर. माधवन ने कहा है।

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