लद्दाख में चिनी हेलिकॉप्टर्स को वायुसेना के विमानों ने रोका

नई दिल्ली – सिक्कीम और लद्दाख में घुसपैंठ करने जा रहे चिनी जवानों को भारतीय सैनिकों ने वहीं पर रोककर चीन की चाल नाक़ाम कर दी थी। उससे भी पहले चिनी हेलिकॉप्टर्स ने लद्दाख की हवाई सीमा में घुसपैंठ की कोशिशें कीं होने की बात सामने आयी है। लेकिन सतर्क रहनेवाली भारतीय वायुसेना ने लेहस्थित अड्डे पर से लड़ाक़ू विमान भेजकर चिनी हेलिकॉप्टर्स को वहाँ से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। चीन ने की हुई हवाई घुसपैंठ का भारत ने इस प्रकार जवाब देने का उदाहरण कई सालों में सामने आया नहीं था, इसपर सामरिक विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं।

५ मई की दोपहर में यह घटना घटित होने की जानकारी सामने आ रही है। चिनी हेलिकॉप्टर्स ने हालाँकि भारत की हवाई सरहद लाँघी नहीं थी, फिर भी इससे पहले बहुत बार चीन ने हवाई घुसपैंठ की होने की घटनाएँ घटित हुईं हैं। लेकिन इस बार भारत ने चीन की हवाई घुसपैंठ की कोशिशों का आक्रमक जवाब दिया। चीन के हेलिकॉप्टर्स भारत की हवाई सीमा के नज़दीक पहुँचकर चक्कर लगाना शुरू करने के कुछ ही क्षणों में, भारतीय वायुसेना के विमान सीमा पर पहुँचकर गश्त लगाने लगे। इस कारण चीन के लष्करी हेलिकॉप्टर्स वहीं से लौट गए।

भारतीय वायुसेना ने चिनी हेलिकॉप्टर्स को इस इलाक़े से खदेड़ देने के बाद कुछ ही घंटों में चिनी सैनिकों ने लद्दाख में घुसपैंठ की कोशिश की थी। पूर्वीय लद्दाख में पॅगोंग सरोवर के पास घुसपैंठ करनेवाले चिनी जवानों को भारतीय सैनिकों ने भी रोका था। उस समय दोनों देशों के सैनिकों में भी ज़बरदस्त मुठभेड़ हुई थी। सोमवार को इस संदर्भ की ख़बर सामने आयी थी। भारत और चीन के सैनिकों में हुए इस हिंसक संघर्षों के बारे में और अधिक विवरण देनेवालीं ख़बरें सामने आयीं हैं।

भारत और चीन के लगभग २५० सैनिक यहाँ आमनेसामने खड़े हुए थे। चिनी सैनिकों को पीछे धकेलने की छीन झपटी में चिनी सैनिकों के साथ, ६० से ७० भारतीय जवान भी ज़ख़्मी हुए होने का दावा सरकारी सूत्रों के हवाले से किया गया है। इस समय दोनों तरफ़ से पथराव भी हुआ था। लद्दाख में चीन की हवाई और थल सीमा में घुसपैंठ करने की ये कोशिशें भारत ने नाक़ाम कर देने के बाद, शनिवार को सिक्किम में नाकू ला दर्रे में घुसपैंठ की कोशिश हुई थी।

चीन ने अचानक पूर्वी सीमा पर शुरू कीं इन हरक़तों के पीछे चीन की है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। दस दिन पहले भारत ने पाकिस्तान को, गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ पूरा पाकव्याप्त कश्मीर फ़ौरन खाली कर दो, ऐसी चेतावनी दी थी। गत हफ़्ते से भारत ने पीओके के हवामान का अनुमान बताना भी शुरू किया है। इस कारण पाकिस्तान के साथ चीन भी बेचैन हुआ होकर, भारत ने यदि इस इलाक़े पर कब्ज़ा कर लिया, तो अपना ‘सीपीईसी’ (‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’) में किया निवेश ख़तरे में पड़ सकता है, इसका एहसास चीन को हो चुका है। अब तक लगभग ५५ अरब डॉलर्स का निवेश चीन ने ‘सीपीईसी’ में किया है। चीन के महत्त्वाकांक्षी ‘बिल्ट अँड रोड इनिशिटीव्ह’ अर्थात् ‘बीआरआय’ प्रकल्प का अहम हिस्सा होनेवाला ‘सीपीईसी’ प्रकल्प पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान में से ही शुरू होता है। इस कारण चीन ऐसीं हरक़तें कर रहा है, यह विश्लेषकों का कहना है।

जब भी पाकिस्तान पर ख़तरा मँड़राता है, तब तब चीन द्वारा पूर्वी सीमा पर ऐसी गतिविधियाँ की जातीं हैं, इस बात पर भी कुछ विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं। हंदवारा की मुठभेड़ में और उसके दूसरे दिन इसी भाग में हुए आतंकी हमले में कुल मिलाकर भारत के आठ जवान शहीद हुए थे। इस कारण भारत बालाकोट की तरह हमला करेगा, यह ख़ौफ़ पाकिस्तान को सता रहा है। इस कारण पाकिस्तान के लड़ाक़ू विमान नियंत्रण रेखा पर गश्त कर रहे होने की ख़बरें भी सामने आ रहीं हैं। उसी समय चीन ने य कारनामें शुरू किये हैं, इसकी ओर विश्लेषक निर्देश कर रहे हैं।

साथ ही, पीओके के साथ साथ अक्‍साई चीन भी भारत का अविभाज्य अंग है, यह भारत स्पष्ट कर चुका है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने संसद में यह बात स्पष्ट रूप में कही थी। पीओके के संदर्भ में भारत ने अपनाई नीति को मद्देनज़र रखते हुए, भारत आनेवाले समय में अक्‍साई चीन के लिए भी कोशिशें शुरू करेगा, ऐसी चिंता चीन को सता रही है।

कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर के प्रमुख देश चीन के विरोध में गए हैं। अमरीका, ऑस्ट्रोलिया, जापान आदि देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने, चीन के लिए विकल्प के तौर पर भारत को चुनने के संकेत दिये हैं। चीन की बेचैनी के पीछे यह भी एक कारण होने का दावा किया जाता है।

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