अमरिकी प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर – ईरान-ब्रिटन के बीच इंधन विषयक अनुबंध

तेहरान/लंडन: अमरिका ने ईरान पर लादे कठोर प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर ईरान और ब्रिटन ने महत्वपूर्ण इंधन अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। अमरिका ने यूरोपियन कंपनियों को ईरान से बाहर निकलने के लिए छः महीनों का अवधि दिया है, ऐसी स्थिति में ब्रिटिश कंपनी ने ईरान के साथ नया इंधन अनुबंध करना आश्चर्यचकित करने वाली बात है। ईरान के इंधन मंत्री बिजन झांगनेह ने ब्रिटन के साथ हुए अनुबंध की जानकारी दी है और अन्य यूरोपियन कंपनियां ईरान को आवश्यक समर्थन देंगी, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की है।

अमरिकी, प्रतिबंधों, ईरान, ब्रिटन, इंधन, विषयक अनुबंध, तेहरान, लंडन, डोनाल्ड ट्रम्पअमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले हफ्ते ईरान के साथ के परमाणु अनुबंध से अमरिका के बाहर निकलने की घोषणा की थी। उसके बाद ट्रम्प ने ईरान पर कठोर प्रतिबन्ध घोषित करके, ईरान के साथ व्यवहार करने वाली सभी विदेशी कंपनियों को निर्णायक चेतावनी दी थी। ईरान के इंधन और अन्य क्षेत्रों में बड़ा निवेश करने वाली यूरोपीय कंपनियों को छः महीनों में व्यवहार बंद करके ईरान से बाहर निकलने की सूचना भी दी गई है।

ट्रम्प के इस प्रतिबन्ध से बहुत बड़ा नुकसान ईरान के इंधन क्षेत्र को होने वाला है और फ़्रांस के ‘टोटल’ इस कंपनी ने पाँच अरब डॉलर्स के एक अनुबंध से बाहर निकलने के संकेत भी दिए थे। इसी पृष्ठभूमि पर ब्रिटन के ‘पर्गास कंसोर्टियम’ इस कंपनी ने किया हुआ अनुबंध ध्यान आकर्षित करने वाला साबित हुआ है। ‘पर्गास कंसोर्टियम’ इस ब्रिटिश कंपनी में नॉर्वे, कनाडा, इटली, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापूर इन देशों की कंपनियों का समावेश है।

बुधवार को किया गया अनुबंध ‘केरंज’ इस तेल क्षेत्र के विकास के बारे में है और उसका मूल्य करीब १.2 अरब डॉलर्स इतना है। ईरान के इंधन मंत्री बिजन झान्गनेह, ईरान की ‘एनआईएसओसी’ तेल कंपनी के प्रमुख बिजन अलिपोर, ‘पर्गास कंसोर्टियम’ के प्रबंध निदेशक कॉलिन रॉलि और ब्रिटन के ईरान में स्थित राजदूत रॉबर्ट मॅकैर की उपस्थिति में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। ईरान के लिए यह नया अनुबंध अत्यंत महत्वपूर्ण घटना साबित हुई है और अमरिका के इशारे के बाद भी ब्रिटिश कंपनी ने अनुबंध करना ध्यान आकर्षित करने वाली बात है।

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के इशारे के बाद ब्रिटन और फ़्रांस के साथ साथ यूरोपीय देशों ने ईरान के परमाणु अनुबंध पर कायम रहने का निर्धार व्यक्त किया था। फ़्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युअल मॅक्रोन ने भी यूरोपीय देशों ने ईरान के अपने हितसंबंधों को कायम रखने के लिए कोशिश करनी चाहिए, ऐसी आक्रामक भूमिका अपनाई थी।

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