अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना हटने के बाद चीन अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में – अमरिकी वेबसाईट का दावा

वॉशिंग्टन/काबूल – अमरीका ने अफ़गानिस्तान से अपनी सेना हटाना शुरू किया है और इस स्थिति का लाभ उठाकर अफ़गानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए ज़रूरी गतिविधियां चीन ने तेज़ की हैं। इसके लिए चीन पाकिस्तान की सहायता प्राप्त कर रहा है, यह दावा अमरिकी वेबसाईट ने किया है। इन दोनों देशों के लिए अफ़गानिस्तान में भारत का बढ़ता प्रभाव सिरदर्द साबित हो रहा है। इसी कारण अफ़गानिस्तान को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान और चीन की कोशिश जारी होने के संकेत अमरिकी वेबसाईट के समाचार में दिए गए हैं।

Afganistan-Americaअमरिकी सेना बीते दो दशकों से अफ़गानिस्तान में तालिबान और अल कायदा के खिलाफ़ आतंकविरोधी मुहीम चला रही है। 29 फ़रवरी के दिन अमरीका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ और इस समझौते के अनुसार अफ़गानिस्तान में तैनात अपनी सेना अमरीका हटाएगी। अमरीका ने बीते छह महीनों में अफ़गानिस्तान से करीबन 4.5 हज़ार सैनिकों को वापिस बुलाया है और पांच लष्करी अड्डे बंद किए हैं। अगले कुछ महीनों में अफ़गानिस्तान में तैनात अमरिकी सैनिकों की संख्या कम करके पांच हज़ार करने के संकेत राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने दिए हैं। अमरीका ने अफ़गानिस्तान से अपनी पूरी सेना को हटाया तो अफ़गानिस्तान में चीन अपना प्रभाव बढ़ाएगा, यह चिंता अमरिकी वेबसाईट ने जारी किए समाचार में व्यक्त की गई है।

चीन ने इसके लिए पाकिस्तान की सहायता लेना शुरू किया है। चीन और पाकिस्तान के बीच ‘इंटेलिजन्स शेअरिंग डील’ हुई है और इस माध्यम से चीन ने अफ़गानिस्तान में अपने मौजूदा हितसंबंधों का विस्तार करने की कोशिश शुरू की है। ऐसे में अब अफ़गानिस्तान की सुरक्षा से संबंधित खुफ़िया जानकारी चीन को देना पाकिस्तान ने शुरू किया है, यह बात भी सामने आई है। इस बदले में पाकिस्तान के लष्करी अधिकारियों को चीन में होनेवाली रक्षा संबंधी उच्च स्तरीय बैठक में निरीक्षक के तौर पर उपस्थित रहने का अवसर प्राप्त होगा। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के नेतृत्व में होनेवाली इस बैठक का स्वरूप गोपनीय है और इसमें उपस्थित रहने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों को अवसर प्राप्त होना ध्यान आकर्षित करता है।

अफ़गानिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों को पाकिस्तान सहायता प्रदान कर रहा है। पाकिस्तान के आतंकी तालिबान एवं अल कायदा संगठन से नज़दिकी संबंध हैं। इस वजह से अमरीका और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बना है। इसी बीच अमरिकी तैनाती और आतंकी हमलों की वजह से चीन को अफ़गानिस्तान में किए गए अपने निवेश को लेकर चिंता सताने का ज़िक्र वर्णित अमरिकी वेबसाईट ने अपने वृत्त में किया है।

Afganistan-Americaचीन ने अफ़गानिस्तान की खदानों की परियोजनाओं में अरबों डॉलर्स का निवेश किया है। इसी कारण चीन को अफ़गानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाना है। इसके लिए चीन ने पाकिस्तान से सहायता प्राप्त करना शुरू किया है। चीन को अफ़गानिस्तान में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करना है। इसके लिए अफ़गानिस्तान को ‘बेल्ट ऐण्ड रोड़ इनिशिएटिव्ह’ (बीआरआय) परियोजना में शामिल करने की कोशिश चीन कर रहा है। इसके माध्यम से चीन को भारत का दक्षिणी एशिया में बढ़ रहा प्रभाव भी कम करना है। इसी कारण अफ़गानिस्तान में अपनी जड़े मज़बूत करने के लिए चीन की कोशिश जारी होने का दावा अमरिकी वेबसाईट ने किया है।

पाकिस्तान का नेतृत्व उइगरवंशियों के मुद्दे पर भी चीन की सहायता कर रहा है। तालिबान उइगर संगठनों की सहायता नहीं करेगी, यह आश्‍वासन चीन ने पाकिस्तान के ज़रिए प्राप्त किया है, यह संकेत भी दिए गए हैं। भारत को हो रहा विरोध ही चीन-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे सहयोग का आधार होने का दावा अमरिकी रक्षा विभाग के पूर्व अधिकारी विक्रम सिंह ने किया है।

इसी बीच, पाकिस्तान ने अमरीका और तालिबान के बीच हुआ शांति समझौता एवं अफ़गानिस्तान और ताबिलान की शांति वार्ता नाकाम करने के लिए कड़ी कोशिश शुरू की है। इसके साथ ही अफ़गानिस्तान में बढ़ रही हिंसा के पीछे पाकिस्तान ही है, यह आरोप यूरोप के अभ्यासगुट ने किया था। अफ़गानिस्तान में तालिबान ने सरकार बनाने पर वहां पर भारत का प्रभाव कम होगा, इसी विचार में पाकिस्तान होने की बात इस अभ्यासगुट ने कही है। ऐसे में अब चीन की सहायता से अफ़गानिस्तान में भारत का प्रभाव कम करने की कोशिश में पाकिस्तान जुटा होने के संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

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