हाँगकाँग के बाद मकाव ने भी किया ‘तैवान ऑफिस’ बंद करने का निर्णय

मकाव/तैपेई/बीजिंग – चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत के नियंत्रण वाले ‘मकाव सिटी एसएआर’ ने तैवान में स्थित अपना दफ्तर बंद करने का निर्णय किया है। यह दफ्तर १९ जून से अनिश्चित समय तक बंद रखने की जानकारी मकाव के प्रशासन ने दी है। लेकिन, इस निर्णय का कोई भी कारण नहीं बताया गया है। तैवान की सरकार ने इस निर्णय पर नाराज़गी दिखाई तो भी मकाव में स्थित अपना कार्यालय शुरू रहेगा, यह स्पष्ट किया है।

बीते महीने हाँगकाँग के प्रशासन ने तैवान में स्थित अपना प्रतिनिधि दफ्तर बंद करने का ऐलान किया था। उस समय तैवान की सरकार हाँगकाँग के अंदरुनि कारोबार में हस्तक्षेप कर रही है और इस वजह से संबंध बिगड़ने का आरोप लगाया गया था। तैवान की सरकार ने जनतंत्र के समर्थन में हाँगकाँग में हो रहे प्रदर्शनों का समर्थन किया था। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग पर नया सुरक्षा कानून थोंपने के बाद हाँगकाँग से निकलनेवाले नागरिकों को आश्रय देने का ऐलान भी तैवान की सरकार ने किया था। इस वजह से बौखलाए हुए चीन ने तैवान में स्थित हाँगकाँग का दफ्तर बंद करने का निर्णय किया था।

मकाव प्रशासन के निर्णय पर तैवान ने नाराज़गी जताई है। मकाव और तैवान के बीच वर्ष २०११ में हुए समझौते के अनुसार यह दफ्तर शुरू किया गया था। लेकिन, प्रतिनिधि कार्यायल बंद करने का यह निर्णय मकाव का एकतरफा निर्णय होने का बयान तैवान ने किया है। साथ ही मकाव में स्थित तैवान का कार्यालय शुरू रहेगा, यह खुलासा भी तैवान की सरकार ने किया है।

हाँगकाँग और मकाव के तैवान के साथ संबंध तोड़ना चीन की हुकूमत का तैवान के खिलाफ जारी कार्रवाईयों का हिस्सा माना जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में चीन ने तैवान पर हर तरफ से दबाव ड़ालना शुरू किया है और लष्करी कार्रवाई का विकल्प खुला होने की धमकियाँ भी देना जारी है।

मकाव शहर भी हाँगकाँग की तरह ही चीन के ‘स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन’ के तौर पर जाना जाता है। मनोरंजन, मॉल्स और ऊँची बिल्डिंगों के लिए प्रसिद्ध मकाव वर्ष १९९९ तक पुर्तगाल का हिस्सा था। इसके बाद चीनी हुकूमत ने इस पर कब्ज़ा करके इसे स्वायत्त दर्जा प्रदान किया था। लेकिन, मकाव के लिए किए गए समझौते में हाँगकाँग की तरह ‘वन कंट्री टू सिस्टम’ का ज़िक्र नहीं है। इस वजह से मकाव पर चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत का ही पूरा नियंत्रण है।

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