ब्रिटेन द्वारा ऑस्ट्रेलिया को मुक्त व्यापार समझौते का प्रस्ताव

लंदन/कैनबेरा – युरोपीय महासंघ से अलग होने के बाद जापान और कनाड़ा जैसें देशों के साथ सफलतापूर्वक व्यापारी समझौता करनेवाले ब्रिटेन ने अब ऑस्ट्रेलिया को मुक्त व्यापार समझौते का प्रस्ताव दिया है। ब्रिटेन के व्यापारमंत्री लिझ ट्रुस ने शुक्रवार के दिन यह प्रस्ताव ऑस्ट्रेलिया के सामने रखा होने की जानकारी ब्रिटेन की सरकार ने साझा की है। बीते कुछ महीनों में चीन ने ऑस्ट्रेलिया के विरोध में शुरू किए व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि पर, ब्रिटेन ने यह व्यापारी प्रस्ताव पेश करना अहमियत रखता है।

UK-australia-trade-01-400x240ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने युरोपीय महासंघ से अलग होने के साथ ही ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ का ऐलान किया था। इसके पीछे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और सामरिक क्षेत्र में ब्रिटेन का स्थान मज़बूत करना ही मुख्य उद्देश्‍य होने की बात समझी जा रही है। इसी के एक हिस्से के तौर पर ब्रिटेन ने अपनी विदेश नीति में ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र को प्राथमिकता देने के संकेत दिए थे।

बीते कुछ महीनों में ब्रिटेन ने इसी दिशा में तेज़ कदम बढ़ाना शुरू किया हुआ दिख रहा है। जापान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना इसका पहला चरण बताया जा रहा है। इसके बाद ब्रिटेन ने ११ देशों की सदस्यतावाले अन्तर्राष्ट्रीय ‘सीपीटीपीपी’ नामक समझौते में शामिल होने का ऐलान किया था। इस ऐलान के साथ ही भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसें प्रमुख देशों के साथ व्यापारी समझौता करने की दिशा में भी गतिविधियाँ शुरू की थी।

UK-australia-tradeशुक्रवार के दिन ब्रिटेन के व्यापारमंत्री ने पेश किया हुआ प्रस्ताव इन्हीं गतिविधियों का हिस्सा है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ष २०२० में २० अरब पौंड़ (२८.३ अरब डॉलर्स) का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। इसमें मेटल, दवाइयाँ, गाड़ियाँ, मशिन्स एवं वाईन का प्रमुखता से समावेश था। ब्रिटेन के व्यापार विभाग ने सार्वजनिक की हुई जानकारी में यह दावा किया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार करने से ब्रिटेन की निर्यात करीबन १ अरब डॉलर्स से बढ़ेगी।

ब्रिटेन द्वारा ऑस्ट्रेलिया, भारत और ‘सीपीटीपीपी’ जैसें समझौते के लिए हो रहीं कोशिशें तेज़ करने के पीछे चीन के साथ बढ़ रहा तनाव, ब्रेक्ज़ीट और कोरोना संक्रमण ये मुद्दें प्रमुखता से ज़िम्मेदार होने की बात कही जा रही है। हुवेई पर लगाई पाबंदी, हाँगकाँग और अन्य कारणों की वजह से ब्रिटेन और चीन के संबंधों में काफी तनाव निर्माण हुआ है। इतनी जल्दी ये संबंध सामान्य होने की संभावना दिखाई नहीं देती। ऐसें में चीन को चुनौती देने के लिए ब्रिटेन को अधिक से अधिक सहयोग की ज़रूरत है और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापारी समझौता करना इसी नज़रिये से बड़ी अहम बात साबित होती है।

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