अफगानिस्तान का भारत के विरोध में इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा – तालिबान के प्रवक्ता ने दिलाया यकीन

नई दिल्ली – अगर तालिबान की सत्ता आई, तो अफगानिस्तान की भूमि का भारत के विरोध में इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा, ऐसा यकीन तालिबान के प्रवक्ता ने दिलाया है। इतना ही नहीं, बल्कि अफगानिस्तान के लिए भारत ने दिए सहयोग का हम स्वागत ही करेंगे, ऐसा इस प्रवक्ता ने कहा है। अमरीका की सेना वापसी के बाद अफगानिस्तान में क्या होगा, इस पर इन दिनों ज़ोरदार चर्चा शुरू है। तालिबान ने दी मोहलत के बाद भी अफगानिस्तान में अमरीका की सेना तैनात रहनेवाली है, ऐसा ऐलान अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने किया है। इससे अफगानिस्तान में घनघोर संघर्ष भड़केगा, ऐसी चिंता ज़ाहिर की जा रही है; ऐसे में तालिबान ने भारत को आश्वस्त किया दिख रहा है।

अमरीका की नॅशनल इंटेजिलन्स कौन्सिल ने ऐसी चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान से अमरिकी सेना वापस लौटने के बाद उस देश में संघर्ष भड़केगा। इसका फायदा उठाकर आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान में हाहाकार मचा सकते हैं और ये संगठन भारत में भी खूनखराबा मचा सकते हैं। उसके बाद भारत पाकिस्तान पर हमला करेगा और दोनों देशों को अपेक्षित ना होनेवाला दीर्घकालिक युद्ध भड़केगा, ऐसा अमरीका की नॅशनल इंटेलिजन्स कौन्सिल की रिपोर्ट में बताया गया है। यह रिपोर्ट जारी होने के कुछ ही दिनों में तालिबान के प्रवक्ता ने भारत को आश्वस्त करने की कोशिश की है।

एक पश्चिमी अखबार को दिए इंटरव्यू में तालिबान का प्रवक्ता डॉ. मुहम्मद नईम वरदाक ने यकीन दिलाया कि अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत के विरोध में नहीं करने दिया जाएगा। साथ ही, अफगानिस्तान के लिए भारत कर रहे सहयोग का तालिबान स्वागत करेगा, हमें सभी पड़ोसी देशों से सहयोग अपेक्षित है, ऐसा वरदाक ने स्पष्ट किया। उसी समय, तालिबान पाकिस्तान का विख्यात गुप्तचर संगठन ‘आयएसआय’ और पाकिस्तानी लष्कर के इशारे पर काम नहीं करता, ऐसा बहुत ही महत्वपूर्ण दावा डॉ. वरदाक ने किया।

तालिबान में होनेवाले ‘हक्कानी नेटवर्क’ इस गुट का इस्तेमाल, पाकिस्तान का आयएसआय भारत के विरोध में करता आया है। लेकिन तालिबान में ऐसा कोई गुट सक्रिय नहीं है, ऐसा डॉ. वरदाक ने कहा है। इससे पहले भी तालिबान ने, उसे भारत से सहयोग अपेक्षित होने का दावा किया था। पाकिस्तान के कुछ भारत विद्वेषी विश्लेषकों ने, तालिबान भारत के संदर्भ में हमदर्दी का रवैया अपना रहा है, ऐसी कड़ी आलोचना की थी। वैसा करके तालिबान ने पाकिस्तान का विश्वासघात किया है, ऐसा इन पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है।

बता दें, भारत अभी भी तालिबान की ओर शक की निगाह से देख रहा होकर, अमरीका अफगानिस्तान से जल्दबाजी में सेनावापसी ना करें, ऐसी ही भारत की भूमिका है। लेकिन आनेवाले समय में अगर अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथ में चली भी गई, तो भी उन्हें १९९० के दशक जैसी चरमपंथी भूमिका अपनाना संभव नहीं होगा; अफगानी जनता की आकांक्षाएँ बदल चुकीं हैं, इस पर कुछ विश्लेषक गौर फरमा रहे हैं। इसी कारण अफगानिस्तान के निर्माण के लिए तालिबान को भारत से सहायता लेनी ही पड़ेगी, ऐसा बताकर ये विश्लेषक, भारत ने तालिबान से चर्चा करने में कोई हर्ज नहीं है, ऐसी सलाह दे रहे हैं।

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