राष्ट्राध्यक्ष गनी की पाकिस्तान-नीति के विरोध में अफ़गानिस्तान के गुप्तचरप्रमुख का इस्तिफ़ा

Rahmatullah Nabil, head of Afghanistan's National Directorate Of Security (NDS), shows a paper during a joint news conference in Kabul September 7, 2011. REUTERS/Omar Sobhani/Files

अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ़ गनी ने पाकिस्तान के सन्दर्भ में अपनायी हुई नीति के विरोध में नाराज़गी दर्शाते हुए, देश की गुप्तचरयन्त्रणा के प्रमुख रहमतुल्लाह नबिल ने इस्तिफ़ा दे दिया है। अफ़गानी राष्ट्राध्यक्ष एवं गुप्तचरयन्त्रणा के बीच, पाक़िस्तान-पुरस्कृत आतंकवाद के विरोध में किये जा रहे संघर्ष के मुद्दे को लेकर मतभेद हैं, यह बात नबिल के इस्तिफ़े से स्पष्ट हुई है। अफ़गानिस्तान के कंदाहार हवाईअड्डे पर तालिबान द्वारा किये गये आतंकवादी हमले की पार्श्वभूमि पर यह घटना महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है।

‘गत कुछ महीनों से राष्ट्राध्यक्ष गनी के साथ महत्त्वपूर्ण नीतियों पर एकमत होने में दिक्कतें आ रही थीं| साथ ही, राष्ट्राध्यक्ष ने मेरे काम के सन्दर्भ में कुछ पाबन्दियाँ लगाने की भी कोशिश की। राष्ट्राध्यक्ष के द्वारा मुझे शाब्दिक स्तर पर बार बार सुनाया जा रहा था, जिसके कारण मुझपर बहुत बड़ा बोझ पैदा हुआ था। इस बोझ के कारण ही मुझे मजबूरन इस्तिफ़ा देना पड़ा’, इन शब्दों में नबिल ने अफ़गाणी राष्ट्राध्यक्ष के साथ खुलेआम चलनेवाले संघर्ष की पुष्टि की। राष्ट्राध्यक्ष गनी ने इससे पहले – ‘सरकार तालिबान के विरोध में चल रहे संघर्ष की ओर ठीक से ध्यान नहीं दे रही है’ ऐसा आरोप करनेवाले कुछ गुप्तचर अधिकारियों को पदच्युत कर दिया था।

‘नॅशनल डिरेक्टरेट ऑफ सिक्युरिटी’ (एनडीएस) के प्रमुख रहनेवाले रहमतुल्लाह नबिल के इस्तिफ़े से, अफ़गानी सुरक्षायंत्रणाओं की असफलता फिर एक बार सामने आ गयी है। अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष गनी की सरकार में रहनेवाले मतभेदों के कारण ही देश में अब भी स्थायी रूप में रक्षामंत्री की नियुक्ति नहीं हो सकी है। उसी में, नबिल के इस्तिफ़े के कारण अब गुप्तचरप्रमुख का पद भी रिक्त हो गया है। अफ़गानिस्तान की सुरक्षा एवं संरक्षण से निगडित रहनेवाले दो महत्त्वपूर्ण पद रिक्त होने के कारण, तालिबानविरोधी संघर्ष को झटका लगा है।

नबिल ने अफ़गानी राष्ट्राध्यक्ष की नीतियों के विरोध में खुले आम व्यक्त की हुई नाराज़गी, यह चर्चा का विषय बन चुकी है। अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्षपद का कार्यभार सँभालते ही गनी ने निरंतर अपना रुझान पाकिस्तान की दिशा में दर्शाने का प्रयास किया है। तालिबान के साथ शांतिचर्चा करने की दिशा में उनके द्वारा उठाये जा रहे कदम, यह इसी नीति का भाग माना जाता है। अफ़गानिस्तान की लष्करी एवं सुरक्षा यंत्रणाओं को गनी की यह भूमिका मंज़ूर नहीं है, यह बात बार बार सामने आ गयी है।

अफ़गानिस्तान में हो रहे हमलों के लिए और हिंसाचार के लिए पाकिस्तान और पाकिस्तानपुरस्कृत आतंकवादी संगठन ज़िम्मेदार होने के बावजूद भी राष्ट्राध्यक्ष गनी इतना नर्म रवैया कैसे अपना सकते हैं, ऐसा सीधा सवाल अफ़गानी अधिकारी उठा रहे हैं। नबिल ने भी इस्तिफ़े से पहले, एक सोशल नेटवर्किंग साईट पर लिखे पोस्ट में – ‘पाकिस्तान के साथ काम करने के प्रयासों में निराशा ही हाथ लग रही है’ ऐसी आलोचना की थी।

राष्ट्राध्यक्ष गनी फिलहाल अफ़गानिस्तान की सुरक्षा एवं शांति के मुद्दे पर आयोजित की गई ‘हार्ट ऑफ़ एशिया’ परिषद के सिलसिले में पाकिस्तान में हैं। इस दौरे मे उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़, सुरक्षा सलाहगार सरताज़ अझिज़, साथ ही पाकिस्तान के लष्करप्रमुख जनरल राहील शरीफ़ के साथ चर्चा की है, यह बात सामने आई है। ये चर्चाएँ, तालिबान के साथ शांतिचर्चा शुरू करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, ऐसा बताया जा रहा था। लेकिन अब अफ़गानी गुप्तचरप्रमुख के इस्तिफ़े के बाद इस बात पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाने के स्पष्ट संकेत दिखायी दे रहे हैं।

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