अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए – भारतीय विदेशमंत्री का इशारा

india-afghanistanदोहा – अफ़गानिस्तान की गनी सरकार और तालिबान के बीच कतार में शनिवार से ऐतिहासिक शांतिवार्ता शुरू हुई। इस शांतिवार्ता से अफ़गान सरकार और तालिबान के बीच बीते दो दशकों से जारी संघर्ष को विराम लगेगा, ऐसा विश्‍वास अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने व्यक्त किया है। तभी इस शांतिवार्ता के लिए ‘वर्च्युअली’ उपस्थित रहे भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए होना नहीं चाहिए, ऐसा सख्त इशारा दिया। साथ ही इस शांतिवार्ता पर पूरी तरह से अफ़गानिस्तान का नियंत्रण होना चाहिए, यह कहकर विदेशमंत्री जयशंकर ने इस चर्चा पर पाकिस्तान बना रहे प्रभाव के खिलाफ़ भारत की भूमिका रखी।

शनिवार के दिन कतार की राजधानी दोहा में यह चर्चा शुरू होने से कुछ घंटे पहले तालिबान ने अफ़गानिस्तान के नांगरहार प्रांत में अफ़गान सुरक्षा बल पर किए हमले में १६ सैनिक मारे गए। इसकी वजह से इस चर्चा के समय में फिरसे बदलाव होने की संभावना व्यक्त की गई थी। लेकिन, अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ की अध्यक्षता में यह चर्चा शुरू हुई। इस चर्चा के लिए भारत समेत ३० देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। तालिबान की शांतिवार्ता में भारत की उपस्थित काफी अहम साबित होती है।

india-afghanistanअफ़गानिस्तान के विकास में बड़ा योगदान कर रहा भारत पड़ोसी देश के तौर पर अफ़गानिस्तान की शांतिवार्ता में अहम भुमिका निभाए, यह माँग अमरीका कर रही थी। इस पृष्ठभूमि पर भारत के विदेशमंत्री ने इस बैठक को वर्च्युअली उपस्थित रहकर भारत की भूमिका स्पष्ट की। भारत और अफ़गानिस्तान की मित्रता आगे भी कायम रहेगी, यह विश्‍वास विदेशमंत्री जयशंकर ने व्यक्त किया। तभी, अफ़गानिस्तान की कोई भी शांतिवार्ता अफ़गान पुरस्कृत और अफ़गान नियंत्रित होनी चाहिए। इसके अलावा अफ़गानिस्तान की संप्रभुता और एकता का सम्मान करनेवाली और जनतंत्र पर आधारित होनी चाहिए, ऐसा संदेश विदेशमंत्री जयशंकर ने दिया।

अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए, ऐसा इशारा विदेशंमत्री जयशंकर ने दिया। अफ़गानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने पर भारत का अफ़गानिस्तान पर बना प्रभाव कम होगा, इस सोच में पाकिस्तान है। इससे पहले अफ़गानिस्तान स्थित तालिबानी आतंकियों को भारत के खिलाफ़ इस्तेमाल करने के लिए पाकिस्तानी सेना और कुख्यात गुप्तचर यंत्रणा ‘आयएसआय’ की कोशिश जारी होने की बात स्पष्ट हुई है। साथ ही भारत के विरोध में लश्‍कर-ए-तोयबा, जैश-ए-मोहम्मद यह संगठन हक्कानी नेटवर्क की सहायता से अफ़गानिस्तान-पाकिस्तान के सरहदी इलाकों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, ऐसी खबरें भी सामने आयी थीं। इस पृष्ठभूमि पर विदेशमंत्री जयशंकर का बयान बड़ी अहमियत रखता है।

india-afghanistanकतार में जारी इस चर्चा को अफ़गानिस्तान सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह और तालिबान का उप-प्रमुख मुल्लाह अब्दुल घनी बरादर उपस्थित थे। इस शांतिवार्ता के दौरान अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने अफ़गानिस्तान को शांति चाहता है, यह बयान किया। दोनों गुटों ने प्रामाणिकता से एक-दूसरे के सहयोग से काम किया तो अफ़गानिस्तान की समस्याओं का हल निकलेगा। अपनी सरकार को अफ़गानिस्तान में युद्धविराम की आवश्‍यकता होने की बात अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने कही। तभी तालिबान के उप-प्रमुख बरादर ने अफ़गानिस्तान में इस्लामी हुकूमत स्थापित करनी है, यह बयान करके तालिबान के इरादे स्पष्ट किए।

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