अफगानिस्तान के लष्करप्रमुख भारत के दौरे पर आयेंगे

नई दिल्ली – अफगानिस्तान का लष्कर तालिबान के साथ संघर्ष कर रहा है, ऐसे में अफगानिस्तान के लष्करप्रमुख के भारत दौरे को लेकर आई खबर ने दुनियाभर के निरीक्षकों का गौर फरमाया है। २७ जुलाई को अफगानिस्तान के लष्करप्रमुख जनरल वली मोहम्मद अहमदझई तीन दिन के दौरे के लिए भारत में दाखिल होंगे। तालिबान के साथ चल रहे युद्ध में अफगानिस्तान को भारत लष्करी सहायता प्रदान करें, ऐसी माँग इस देश द्वारा की जा रही है। किसी भी हालत में अफगानिस्तान के साथ दृढ़तापूर्वक खड़े रहने का यकीन दिलानेवाले भारत ने यह माँग मान्य की होने का दावा कुछ विश्लेषकों ने किया है।

लष्करप्रमुखअपने इस दौरे में अफगानिस्तान के लष्करप्रमुख जनरल अहमदझई भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के साथ बारीकी से चर्चा करेंगे। तालिबान के साथ युद्ध जारी रहते हुए, अफगानी लष्कर को हथियार और रक्षा सामग्री की बड़े पैमाने पर आवश्यकता महसूस हो रही है। इससे पहले भारत ने अफगानिस्तान को लष्करी हेलिकॉप्टर्स तथा अन्य सामग्री की आपूर्ति की थी। आनेवाले समय में भी भारत अफगानिस्तान को हथियार तथा रक्षा सामग्री की आपूर्ति कर सकेगा, ऐसे संकेत जनरल अहमदझई के इस नियोजित दौरे से प्राप्त हो रहे हैं।

अमेरिका ने सेना वापस करके अफगानिस्तान को बीच रास्ते में छोड़ दिया और उस से जल्द ही यह देश तालिबान के चंगुल में फंसे गा कामा ऐसे दावे किए जा रहे थे। तालिबान को अफगानिस्तान के विरोध में बहुत बड़ी सफलता मिलने के बाद ऐसा चित्र बंद रहा था कि इस देश की सत्ता हाथ में लेने से तालिबान को कोई भी नहीं रोक सकता। लेकिन अब अफगानी लश्कर का प्रतिकार शुरू हुआ होकर, हवाई हमले के द्वारा अफगानी लेकर सैकड़ों तालिबानी आतंकियों को मार गिराने की खबरें आ रही है। तालिबान को परास्त करने की हिम्मत अफगानी लश्कर के पास होने का विश्वास राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने जाहिर किया था। साथ ही, तालिबान ने कितनी भी लड़ाई या जीती कमा फिर भी युद्ध तो अफगानिस्तान का लश्कर ही जीतेगा कामा ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष गनी ने अफगानी जनता के साथ सारी दुनिया को आश्वस्त किया था।

लष्करप्रमुखइस पृष्ठभूमि पर, अफगानिस्तान भारत जैसे पड़ोसी देश से बड़े पैमाने पर लष्करी तथा आर्थिक सहयोग की उम्मीद कर रहा दिखाई देता है। तालिबान के पीछे पाकिस्तान ने अपनी ताकत खड़ी करके, तालिबान की सहायता करने के लिए दस हज़ार आतंकवादियों की अफगानिस्तान में घुसपैंठ कराई है। साथ ही, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर कब्जा करने की अगर अफगानी लष्कर ने कोशिश की, तो हवाई हमले करने की धमकी पाकिस्तान ने दी थी। अगर अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में चला गया, तो यह देश आतंकवाद का घर बनेगा और पाकिस्तान को वही अपेक्षित है, ऐसा अफगानिस्तान के नेता जता रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में भारत ने अफगानिस्तान की सहायता करना अत्यावश्यक बना है, ऐसा अफगानी नेताओं का कहना है।

इसी बीच, भारत ने भी लष्करी सहायता के मोरचे पर अफगानिस्तान को आश्वस्त किया होने की खबरें आ रहीं हैं। अफगानिस्तान के युद्ध में भारत तटस्थ रहें और काबुल की सरकार की सहायता ना करें, ऐसी माँग तालिबान ने की थी। लेकिन तालिबान पाकिस्तान के नियंत्रण में रहेगा यह स्पष्ट होने के बाद, भारत ने अधिक ही खुलेआम अफगानिस्तान की सहायता करने का फैसला किया है, ऐसे दावे सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं। साथ ही, भारत के इस फैसले के परिणाम जल्द ही अफगानिस्तान में दिखाई देंगे, ऐसा इन सामरिक विश्लेषकों का कहना है।

अफगानिस्तान में भारत ने लगभग तीन अरब डॉलर्स का निवेश किया है। तालिबान के कारण यह निवेश खतरे में पड़ा होने का दावा करके, पाकिस्तान के मंत्री उस पर संतोष ज़ाहिर कर रहे थे। लेकिन भारत अफगानिस्तान के लष्कर की सहायता करनेवाला है, ऐसी खबरें आने के बाद पाकिस्तान की चिंताएँ बढ़ीं हुईं स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहीं थीं। आनेवाले समय में, भारत की सहायता से प्रबल हुए अफगानी लष्कर द्वारा तालिबान को चुनौती मिल सकती है और यदि वैसा हुआ, तो उसका बहुत बड़ा दबाव पाकिस्तान पर आएगा, ऐसा डर पाकिस्तान के निरीक्षकों को लगने लगा है।

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