अफगान-पाकिस्तान सीमा जागतिक आतंकवाद का केंद्र बन रही है – ग्रीस के अखबार की चेतावनी

इस्लामाबाद – तालिबान के कब्ज़े में जाने के बाद अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा फिर एक बार जागतिक आतंकवाद के पहले नंबर के केंद्र की तौर पर उदयित हो रही है। अमरीका और नाटो के जवानों ने वापसी करने के कारण अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े होकर, आनेवाले समय में उसमें भयानक मात्रा में वृद्धि होगी, ऐसी चेतावनी ग्रीस के शीर्ष अखबार ने दी।

अफगान-पाकिस्तानपिछले हफ्ते में कुंदूझ स्थित शियापंथियों के प्रार्थनास्थल पर हुए आत्मघाती हमले का उदाहरण ग्रीक अखबार ने दिया। यह हमला यही संकेत देनेवाला था कि अफगानिस्तान में आतंकवादी हमले बढ़ रहे हैं, ऐसा दावा इस अखबार ने किया। आईएस ने इस हमले की ज़िम्मेदारी का स्वीकार किया था। लेकिन इससे अफगानिस्तान में अलकायदा और उससे जुड़े आतंकवादी संगठनों का प्रभाव बढ़ रहा है ऐसी चेतावनी लष्करी विश्लेषकों ने दी थी, इस पर इस अखबार ने गौर फरमाया।

अफगान-पाकिस्तान की स्पिन बोल्दाक और कंदहार सीमा पर हुए हिंसाचार की खबरें दबाईं गईं, इस पर ग्रीस के अखबार ने गौर फरमाया। पाकिस्तान के वझिरिस्तान तथा अन्य सीमा भाग में तेहरिक-ए-तालिबान यह आतंकवादी संगठन पाकिस्तानी लष्कर पर बड़े पैमाने पर हमले कर रहा है। इसमें पाकिस्तानी जवान मारे जा रहे हैं। इनमें से कुछ गुटों के साथ पाकिस्तान ने चर्चा शुरू की होने का ऐलान प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किया था। लेकिन तेहरीक के हमलें रुके नहीं हैं, ऐसी जानकारी इस अखबार ने दी।

अफगान-पाकिस्तान का विभाजन करनेवाली ड्युरंड सीमा हमें मंजूर नहीं है, ऐसी धमकी तालिबान के नेता दे रहे हैं। तालिबान और तेहरिक ये दोनों आतंकवादी संगठन वैचारिक दृष्टि से जुड़े हुए हैं, इसकी याद ग्रीस के अखबार ने करा दी। उसी में तालिबान ने, तेहरिक के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ सहयोग नहीं करेंगे, ऐसी भूमिका अपनाई है। इसलिए पाकिस्तान की सुरक्षा को आतंकवादी संगठनों से होनेवाला खतरा बढ़ा है।

ऐसी परिस्थिति में भी, अफगानिस्तान में बना मानवतावादी संकट और अफगानी जनता की दुर्दशा का हवाला देकर, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान की हुकूमत को मान्यता दें, इसके लिए पाकिस्तान कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान का तालिबान को होनेवाला यह समर्थन इस क्षेत्र में समस्या बढ़ानेवाला साबित होगा, ऐसा इस अखबार ने जताया है।

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