‘एफएटीएफ’ की सूचि में समाविष्ट करने के लिए पाकिस्तान पर हुई कार्रवाई का भारत की तरफ से स्वागत

नई दिल्ली – फाइनेंस ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के वॉच लिस्ट में पाकिस्तान का समावेश करने के निर्णय पर भारत ने स्वागत किया है। आतंकवादी संघटनों को आर्थिक चंगुल में फंसाने में पाकिस्तान असफल होने की वजह से एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने का निर्णय घोषित किया था। इसकी वजह से पाकिस्तान पर जल्द ही कठोर कार्रवाई हो सकती है।

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आतंकवादी संघटना को पैसे प्रदान करनेवाली संघटना एवं व्यक्तियों पर कार्रवाई करने की बात टालनेवाले देश को एफएटीएफ के सूची में समावेश किया जाता है। ग्रे और ब्लैक ऐसे सूचियाँ एफएटीएफ ने तैयार की है और ब्लैक लिस्ट करने से पहले किसी देश को ग्रे लिस्ट में डाला जाता है। पाकिस्तान का समावेश इस सूची में हुआ तो यह देश आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए उत्सुक ना होने का संदेश सारी दुनिया को मिला है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने एफएटीएफ के निर्णय का स्वागत किया है। इस निर्णय के बाद आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी और जल्द ही पाकिस्तान पर कार्रवाई होगी, ऐसा विश्वास विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने व्यक्त किया है। अमरिकाने भी ऐसे ही स्वरुप की प्रतिक्रिया देकर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर निशाना साधा है। तथा एफएटीएफ की सूची में पाकिस्तान का नाम आया इसके पीछे भारत और अमरिका का षड्यंत्र होने की आलोचना इस देश के माध्यमों से किया जा रहा है।

भारत ने अपना प्रभाव का उपयोग करके एफएटीएफ के सूची में पाकिस्तान का समावेश किया है। अमरिका ने भारत का ही कहना मंजूर करके पाकिस्तान पर यह कार्रवाई की है, ऐसा दावा पाकिस्तानी विश्लेषकों ने किया है। तथा आनेवाले समय में इसके भयंकर परिणाम पाकिस्तान को सहने होंगे, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना है। इससे पहले भी पाकिस्तान की वित्त व्यवस्था डूबी है और आने वाले कई हफ्तों में पाकिस्तान दिवालियाखोर बन सकता है, ऐसी परिस्थिति निर्माण हुई है। ऐसे समय में एफएटीएफ की सूची में आने पर आर्थिक प्रतिबंधों के का पाकिस्तान को सामना करना पड़ सकता है, इसकी तरफ विश्लेषक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

ऐसा होते हुए पाकिस्तान की जनता को इस खतरे का एहसास नहीं दिलाया जा रहा है। आतंकवादियों पर कार्रवाई करने की बात से इंकार करके पाकिस्तान पर यह समय आया है। यह सत्य राज्यकर्ताओं ने पाकिस्तान की जनता तक नहीं पहुंचा जाए, ऐसी आलोचना भी शुरू हुई है।

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