अफगानिस्तान के मुद्दे पर अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियाँ तेज़

नई दिल्ली – अफगानिस्तान का लष्कर और तालिबान के बीच घनघोर संघर्ष जारी है कि तभी इस मसले पर अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़े पैमाने पर गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं। तालिबान का हिंसाचार और अत्याचार बढ़ने के कारण, संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद इस पर इमरजेंसी बैठक बुलाएँ, ऐसी माँग अफगानिस्तान ने की। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष होनेवाले भारत ने यह माँग मान्य करके शुक्रवार को यह बैठक बुलाई है। वहीं, रशिया ने ११ अगस्त को कतार में अफगानिस्तान विषयक बैठक आयोजित करके, उसके लिए अमरीका, चीन और पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया। रशिया जैसे मित्र देश ने भारत को नज़रअंदाज करना यह बहुत बड़ी बात साबित होती है।

India-Afghanistan-UN‘एक्सटेंडेड ट्रॉयका’ यानी रशिया, अमरीका और चीन इनके साथ पाकिस्तान का अफगानिस्तान विषयक चर्चा में समावेश, यह गौरतलब बात साबित होती है। वैसा करके रशिया ने ऐसे संकेत दिए हैं कि अफगानिस्तान में रशिया के हितसंबंध भारत के विरोध में जानेवाले हैं। पिछले कुछ महीनों से रशिया ने पाकिस्तान समेत तालिबान के साथ संबंध स्थापित करके अफगानिस्तान की परिस्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश की है। रशिया और चीन का अफगानिस्तान के मसले पर पाकिस्तान के साथ सहयोग, यह भारत के लिए चिंता की बात साबित होती है। तालिबान फिर एक बार इस देश को कई सदियाँ पीछे ले जाने की तैयारी कर रहा है। ऐसी परिस्थिति में रशिया और चीन जैसे देशों ने अमरीका को मात देने के लिए, पाकिस्तान की सहायता से शुरू की राजनीति दक्षिण एशिया में भयंकर अस्थिरता मचा सकती है। उसके विपरीत परिणाम भारत को भी सहने पड़ सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ में नियुक्त भारत के राजदूत तिरूमुर्ती ने हाल ही में इसका एहसास करा दिया था कि अफगानिस्तान में होनेवालीं गतिविधियों का भारत की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम हो सकता है। इसी कारण इस मसले पर भारत अधिक संवेदनशीलता दिखा रहा है। सुरक्षा परिषद की इमरजेंसी बैठक का आयोजन, यह भारत के इन्हीं प्रयासों का भाग साबित होता है। इससे तालिबान के समर्थन में खड़े रहकर अफगानिस्तान की लोकनियुक्त सरकार को हानि पहुँचाना चाहनेवाले देशों को झटका लग सकता है। लेकिन लोकतंत्रवादी देश भारत के इन प्रयासों को प्रतिसाद देने की संभावना भी उसी अनुपात में बढ़ी है।

इसी बीच, अमरीका की सेनावापसी के बाद यह देश तालिबान जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन के हाथ में ना जाएँ, इसके लिए भारत ने कुछ प्रस्ताव रखने की तैयारी की होने के दावे सोशल मीडिया में किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना अफगानिस्तान में तैनात करके, यहाँ का रक्तरंजित संघर्ष रोकने का प्रस्ताव सुरक्षा परिषद की बैठक में रखा जा सकता है। इससे कम से कम अफगानी सरकार के कब्ज़े में होनेवाले प्रांतों और शहरों की जनता सुरक्षित होगी। इससे यहाँ के बच्चें और महिलाएँ इनकी सुरक्षा की गारंटी दी जा सकती है, ऐसा अनुमान इस प्रस्ताव के पीछे है।

इस प्रस्ताव का विरोध करना चीन और रशिया के लिए मुश्किल पड़ सकता है। फिर भी अगर इन देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया ही, तो यह बात अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के प्रयासों को नाकाम बनानेवाली होने का आरोप हो सकता है। इस प्रस्ताव के बारे में भारत अथवा अन्य किसी भी देश ने अधिकृत स्तर पर कुछ भी नहीं कहा है। लेकिन अफगानिस्तान में होनेवाली भयानक परिस्थिति को मद्देनज़र रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय अधिक प्रभावी भूमिका अदा करें, ऐसी माँग अफगानिस्तान की सरकार ने की है।

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