छत्तीसगढ़ में आयटीबीपी के आठ हज़ार सैनिकों की स्थायी तैनाती होगी – माओवादियों के विरोध में मुहिम को मज़बुती देने के लिए हुआ निर्णय

रायपूर – इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस दल (आयटीबीपी) ने छत्तीसगढ़ में आठ हजार सैनिकों की स्थायी तौर पर तैनाती करने का निर्णय किया है। आयटीबीपी की इस तैनाती को केंद्र सरकार ने हाल ही में मंजूरी भी दी थी। इस तैनाती के कारण छत्तीसगढ़ में माओवादियों के विरोध में जारी मुहिम को और मजबुती देना मुमकिन होगा। भारतीय सेना जम्मू-कश्‍मीर में राष्ट्रीय रायफल के सैनिकों की स्थायी तौर पर तैनाती कर रहीं हैं। इसी धर्ती पर छत्तीसगढ़ में आयटीबीपी के सैनिकों की तैनाती हो रही है।

आयटीबीपी की सैनिकों की तैनाती अबतक तीन वर्षों के लिए हो रही थी। हर तीन वर्ष बाद आयटीबीपी के नए सैनिक तैनात किए जा रहे थे। इस कारण नए सैनिकों को प्रशिक्षण भी देना आवश्‍यक रहता था। यहाँ की भौगोलिक स्थिति और माओवादियों से संबंधित नई जानकारी देना आवश्‍यक बनता था। लेकिन स्थायी तौर पर तैनाती करने का निर्णय करने से हर बार सैनिकों को प्रशिक्षण देने की जरूरत नही रहेगी। साथ ही सैनिकों की तैनाती स्थायी तौर पर होने से माओवादियों के विरोध में जारी मुहिम पर पकड और मजबूत करने में सहायता होगी। उसीके साथ, गुप्तचरों के जाल का विस्तार करने की दृष्टि से भी सहायता प्राप्त होगी, यह बात अफसरों ने कही है।

छत्तीसगढ़ में आयटीबीपी आठ बटालियन (हर एक बटालियन में एक हजार सैनिक) तैनात कर रही है। आयटीबीपी के खंदे पर मुख्यत: ३,४८८ किलोमीटर लंबी भारत-चीन की नियंत्रण रेखा की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से माओवादियों के विरोध में शुरू की गई मुहिम में भी आयटीबीपी के सैनिकों की तैनाती हो रही हैं।

फिलहाल छत्तीसगढ़ के अलग अलग विभागों में सुरक्षा दल के करीबन ८० हजार सैनिक तैनात किए गए हैं। जम्मू-कश्‍मीर से आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया करने का लक्ष्य रखा गया है, साथ ही देशभर से माओवादियों का पुरी तरह से सफाया करने के लिए मुहिम भी चलाई जा रही है। माओवादियों का प्रभाव अभी बरकरार रहनेवालें इलाकों में जारी मुहिम अधिक तीव्र करने की दृष्टि से, आयटीबीपी के सैनिकों की स्थायी तौर पर तैनाती करने की ओर देखा जा रहा है।

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