अफगानिस्तान का ७२ प्रतिशत हिस्सा तालिबान के कब्जे में – अमरिका के सिगार का रिपोर्ट

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वॉशिंगटन – पिछले ३ वर्षों में तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपनी पकड़ मजबूत की है। सन २००१ वर्ष से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण प्राप्त किया था। उससे अधिक भूभाग पर फिलहाल तालिबान का वर्चस्व होने की जानकारी अमरिका के अभ्यास गटने दी है। अफगानिस्तान में अमरिका समर्थक गनी सरकार के देश के परिस्थिति पर नियंत्रण न रहने की टिप्पणी इस अभ्यास गटने की है।

अमरिकन कांग्रेस से संबंधित होनेवाले स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफ़गानिस्तान रिकंस्ट्रक्शन (सिगार) इस अभ्यास गटने त्रैमासिक रिपोर्ट तैयार किया है। इस रिपोर्ट में अमरिकी अभ्यास गटने अफगानिस्तान में लोक नियुक्त सरकार बड़े दबाव में होने का दावा किया है। पिछले ३ महीनों में अफगानिस्तान के गनी सरकार के हाथ से भूभाग निकलता जा रहा है। उसी समय अफगानी जनता भी सरकार पर नाराज होने की बात इस अभ्यास गट ने कही है।

सन २०१५ में गनी सरकार के नियंत्रण में अफगानिस्तान के बहुत जिले आए थे। पर पिछले ३ वर्षों में अफगानिस्तान सरकार और सुरक्षा यंत्रणा के कब्जे से १६ प्रतिशत अधिक जिले निकल गए हैं, ऐसा अभ्यास गट ने अपनी रिपोर्ट में प्रसिद्ध किया है। जिसकी वजह से पिछले ३ वर्षों में तालिबान के अफगानिस्तान में प्रभाव में १२.५ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और अफगानिस्तान का लगभग एक तिहाई भाग तालिबान के कब्जे में होने की जानकारी अमरिकी अभ्यास गटने दी है।

आनेवाले ६ महीनों में अफगानिस्तान में राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनाव होने वाले हैं। उसे पहले अफगानिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था सुधारने का बहुत बड़ा आवाहन अफगानिस्तान के गनी सरकार के सामने है। अफगानिस्तान में यह चुनाव शांति में संपन्न हो इसके लिए अफगानिस्तान के सरकार ने तालिबान से शांति चर्चा करने की बात शुरू की थी। पर तालिबान के प्रमुख की धमकी की वजह से इन प्रयत्नों को सफलता नहीं मिली है। पर अब अमरीका ने शांति चर्चा करने के लिए पहल किया है।

कुछ दिनों पहले राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अफगानिस्तान के लिए नियुक्त किया विशेष दूत जालमें खालीझाद इनका अफगानिस्तान दौरा करके तालिबान के नेताओं से भेंट की थी। तालिबान में कई गट सरकार का प्रस्ताव स्वीकार करके शांति प्रक्रिया में शामिल हुए हैं। पर तालिबान के प्रमुख नेता इस शांति चर्चा के लिए तैयार ना होकर उन्होंने अफगानिस्तान में हमलों में बढ़ोतरी की है। इस वर्ष में तालिबान के अफगानिस्तान में हम लोग में ३० हजार से अधिक नागरिकों की जान गई है। तथा ३३५ लोग जख्मी हुए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में अफगानिस्तान में बलि जाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होने का दावा अमरिका के अभ्यास गट ने किया है।

दौरान अमरिका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने सन २०१४ वर्ष के आखिर तक अफगानिस्तान से वापसी करने की घोषणा की थी। उसके बाद अफगानिस्तान की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय सरकार एवं सुरक्षा यंत्रणा पर सौंपने का निर्णय ओबामा ने लिया था। ओबामा इनके निर्णय पर राजनीतिक विरोध तथा पेंटागौन के वरिष्ठ अधिकारियों ने आलोचना की थी। जिसकी वजह से तालिबान अफगानिस्तान में फिर से सक्रिय और प्रबल होगा, ऐसी चेतावनी इन नेताओं ने तथा अधिकारियों ने दी थी और ओबामा अपने अफगानिस्तान से सेना वापसी के निर्णय पर कायम रहे।

उसके बाद सन २०१५ वर्ष से तालिबान ने अफगानिस्तान में फिर से कार्रवाईयां करनी शुरू की है, ऐसा सिगार ने कहा है। पर इस रिपोर्ट में अमरिकी अभ्यास गट के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष ओबामा इनके सेना वापसी के निर्णय को तालिबान के वापसी के लिए जिम्मेदार नहीं धरा है।

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