१९८४ के सिख विरोधी दंगे के मामले में ५ लोगों को उम्रकैद – दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय

नई दिल्ली – १९८४ में नई दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगो में शामिल होने का आरोप सिद्ध होने पर पांच लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है| दिल्ली उच्च न्यायालय ने की इस सुनवाई में दो आरोपियों को निचली अदालत ने सुनाई सात साल की सजा बढाकर १० साल की है| इस सुनवाई में सजा हुए आरोपियों में कॉंग्रेस के नेता सज्जनकुमार इनका भी समावेश है|

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इनकी हत्या के बाद सिख धर्मियों को लक्ष्य करने के लिए दंगे हुए थे| इस दंगे में ३,२०० लोगों की बलि गई थी| इस में से २,७०० लोग नई दिल्ली में हुए दंगों में बलि हुए थे| इस घटना पर दाखिल किए मुकदमे पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई की| इस सुनावाई का निर्णय आ रहा है| सोमवार के दिन उच्च न्यायालय ने कॉंग्रेस के नेता सज्जनकुमार इनके उपर रखे दंगे के आरोप साबित होते है, यह कहकर उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई|

वहीं, बलवान खोखर, कैप्टन भागमल और गिरीधारी लाल इन तिनों को सत्र न्यायालया ने सुनाई उम्रकैद की जसा दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरकरार रखी है| सत्र न्यायालय ने इन दंगो में शामिल हुए महेंद्र यादव और किशन खोखर इन्हें सुनाई तीन वर्ष तुरूंगवास की सजा उच्च न्यायालय ने बढाकर १० साल कर दी है| सत्र न्यायालय ने २०१३ में इस दंगे के मुकदमें पर की सुनवाई में सज्जनकुमार को मुक्त किया था| लेकिन, दिल्ली उच्च न्यायालय ने वह दोषी है, यह कहकर उनके लिए उम्रकैद की सजा का ऐलान किया, इस वजह से संपूर्ण देश के माध्यमों का ध्यान इस निर्णय की ओर आकर्षित हुआ है|

देशभर से सिख धर्मियों से इस निर्णय का स्वागत हो रहा है| इस मुकदमे के निर्णय को देरी हो रही है, फिर भी हमें न्याय मिल रहा है, यह कहकर सिखधर्मी समाधान जता रहे है| साथ ही इस दंगे के अन्य आरोपियों को भी जल्द से जल्द सजा हो, यह मांग हो रही है|

सिख विरोधी दंगे के मामले में २४१ मुकदमें शुरू है और इसमें से १८६ मामलों की जांच २०१५ में केंद्र सरकार ने गठित की ‘एसआईटी’ कर रही है| पिछले महिने से ८४ के इन दंगों के संबंधी घोषित हुआ यह तिसरा निर्णय है| इसके पहले २० नवंबर के रोज ८४ के दंगो का निर्णय हुआ था| इस निर्णय में एक आरोपी को फांसी की सजा और अन्य आरोपी को उम्रकैद की सजा सत्र न्यायालय ने सुनवाई थी| इसके बाद २८ नवंबर के दिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने किए निर्णय में ७० आरोपियों को सत्र न्यायालय ने निश्‍चित की पांच वर्ष की सजा बरकरार रखी है|

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