अफ़गानिस्तान में तालिबान के हमलों में ३२ सैनिक मारे गए

काबुल – तालिबान ने एक ही रात में अफ़गानिस्तान के दस से अधिक ज़गहों पर किए हमलों में सुरक्षा बल के ३२ सैनिक मारे गए। इन हमलों की ज़िम्मेदारी स्वीकारके तालिबान ने इस जंग के बुनियादी कारणों पर बातचीत के बगैर यह हमले बंद नहीं होंगे, यह ऐलान किया है। इसी बीच अफ़गान तालिबान पाकिस्तान के इशारों पर काम कर रही है और अफ़गान सेना पर हुए तालिबान के हमलों के लिए पाकिस्तान ही ज़िम्मेदार होने का आरोप अफ़गानिस्तान के अस्थाई रक्षामंत्री ने किया है।

afghanistan-talibanबुधवार की रात तालिबान ने अफ़गानिस्तान के अलग अलग इलाकों में अफ़गान सेना की सुरक्षा चौकियों पर हमले किए। इस दौरान कुछ इलाकों में अफ़गान सैनिकों के साथ तालिबानी आतंकियों का संघर्ष हुआ। इस दौरान अफ़गान सुरक्षा बल के ३२ सैनिक मारे गए और २५ घायल हुए। इस संघर्ष में तालिबान के स्थानीय कमांडर समेत २९ आतंकी मारे गए। कतार में शांति प्रक्रिया शुरू होने के बाद अफ़गानिसस्तान में हमले कम करने का दावा तालिबान ने किया था। तालिबान के साथ हुई चर्चा को गति देने के लिए अफ़गानिस्तान की सरकार ने तालिबान के सैकड़ों आतंकी रिहा किए। इसके बावजूद तालिबान ने अफ़गानिस्तान में सेना पर हमले जारी रखे हैं।

इन हमलों के लिए तालिबान ने अफ़गान सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। अफ़गान सरकार ने तालिबान के खिलाफ कार्रवाई जारी रखने का आरोप भी तालिबन के प्रवक्ता मोहम्मद नईम वरदाक ने किया। दो दशकों से जारी लड़ाई घंटेभर की चर्चा से ख़त्म नहीं होगी। युद्ध के कारणों पर चर्चा होना आवश्‍यक है। आज तालिबान ने युद्धविराम किया और चर्चा से कुछ भी हासिल नहीं हुआ तो आगे क्या? यह सवाल करके तालिबान के प्रवक्ता ने अफ़गान सेना पर हुए हमलों का समर्थन किया। साथ ही तालिबान को अफ़गानिस्तान में इस्लामी हुकूमत स्थापित करनी है, यह बात भी इस प्रवक्ता ने आगे कही।

afghanistan-talibanतालिबान के इन आरोपों पर अफ़गानिस्तान के अस्थायी रक्षामंत्री असदुल्लाह खालिद ने ज़वाब दिया। ‘अफ़गानिस्तान की सरकार को शांतिवार्ता कायम रखनी है। इसके अलावा बीते दो दशकों में जो कुछ हासिल किया है, उससे समझौता नहीं किया जाएगा। अफ़गानिस्तान की महिलाएं आज पायलट, डाक्टर, शिक्षिका, नेता बनी हैं और इस आज़ादी का लाभ उठा रही हैं। इसी कारण इसके आगे अफ़गान युवतीयों एवं महिलाओं को चौराहों पर सज़ा देना बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। अफ़गानिस्तान की सेना कोई भी समझौता नहीं करेगी’, यह बात खालिद ने स्पष्ट की। साथ ही अफ़गानिस्तान की सेना टूटकर गिरने की प्रतिक्षा पाकिस्तान कर रहा है। लेकिन, अफ़गानिस्तान से नाटो ने पीछे हटने का निर्णय लेगी तब भी अफ़गान सेना टूटेगी नहीं। अफ़गानिस्तान की सेना अपनी ज़मीन की रक्षा करने के लिए सक्षम है, यह विश्‍वास अफ़गानिस्तान के अस्थायी रक्षामंत्री ने व्यक्त किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published.