यमन में तीन दिन में २६० हाउथी बागियों की मृत्यु – सऊदी अरब का दावा

रियाध/सना – सऊदी अरब तथा अरब मित्र देशों के मोरचे ने पिछले तीन दिनों में यह मन में यह हमले में २६० से अधिक हाउथी बागी मार गिराए होने का दावा किया। इनमें से १०५ बागी चौबीस घंटों में मारे गए । वहीं पिछले दो हफ्तों में लगभग १,७०० हाउथी बागियों को खत्म किया गया है, ऐसा सऊदी तथा मित्र देशों के मोरचे ने घोषित किया।

saudi-yemen-houthi-killedयमन के ईंधनसंपन्न मरीब इस उत्तरी प्रांत के लिए यह संघर्ष जारी है। पिछले आठ महीनों से हाउथी बागी मरीब पर कब्ज़ा करने के लिए ज़ोरदार हमले कर रहे हैं। इसके लिए हाउथी बागियों ने टैंक्स, तोपें, ड्रोन्स तथा क्षेपणास्त्रों का इस्तेमाल किया था। यमनी लष्कर ने अब तक हाउथी बागियों के इन हमलों को रोकते हुए मरीब पर अपना कब्ज़ा क़ायम रखा था। लेकिन बागियों के हमले तीव्र होते समय, पिछले कुछ हफ्तों से सऊदी अरब तथा अरब मित्र देश यमनी सरकार के पक्ष में मरीब के संघर्ष में उतरे हैं।

मरिब यह यमन की हादी सरकार के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण प्रांत माना जाता है। अगर मरीब का कब्ज़ा खोया, तो हादी सरकार यमन पर होनेवाला कब्ज़ा भी गँवा देगी। यदि ऐसा हुआ तो यमन में ईरानसमर्थक हाउथी बागियों की सत्ता स्थापित होगी। इससे यमन की सीमा से सटे सऊदी अरब को होनेवाला ख़तरा बढ़ेगा। उसी के साथ, पर्शियन खाड़ी से लेकर रेड सी तक के अति महत्वपूर्ण सागरी क्षेत्र पर ईरान और ईरान समर्थक हाउथी बागियों का वर्चस्व निर्माण होगा। साथ ही, इस सागरी क्षेत्र से होनेवाली अरबों डॉलर्स की व्यापारी यातायात में ईरान बाधा डाल सकता है।

केवल सऊदी ही नहीं, बल्कि युएई, इजिप्ट इन अरब देशों को भी इससे ख़तरा संभव है। इसी कारण हाउथी बागियों के विरोध में यमनी लष्कर मरीब में जो संघर्ष कर रहा है, उसमें सऊदी और मित्र देशों का मोरचा भी उतरा हुआ दिख रहा है। सन २०१४ से यमन में राष्ट्राध्यक्ष हादी बनाम लष्करप्रमुख हाउथी इनके बीच सत्ता संघर्ष भड़का हुआ है। सऊदी, युएई, इजिप्ट, बाहरिन, सुदान ये देश राष्ट्राध्यक्ष हाथी की सरकार बचाने के लिए हाउथी के बागियों से लड़ रहे हैं।

सऊदी तथा अरब मित्र देशों का मोरचा, हाउथी नेतृत्व कर रहे बागियों को अभी तक मात नहीं दे सका है, इसका कारण यह है कि हाउथी बागियों को ईरान से संपूर्ण समर्थन मिल रहा है। इस कारण यमन में चल रहा संघर्ष, यह सऊदी प्रणित अरब देशों का मोरचा और ईरान इनके बीच अप्रत्यक्ष युद्ध ही है, ऐसा माना जा रहा है।

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