लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच चर्चा का १२वाँ सत्र शुरू होगा

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी पर भारत और चीन के बीच निर्माण हुआ तनाव कम करने के लिए चर्चा का १२वाँ सत्र जल्द ही शुरू होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह जानकारी दी। यह चर्चा २६ जुलाई को हो, ऐसी माँग चीन ने की थी। लेकिन यह ‘कारगिल विजयदिवस’ होकर इस दिन यह चर्चा नहीं हो सकती, यह बताकर भारत ने इस माँग से इन्कार किया। उसके बदले चीन दूसरी तारीख चुनें, ऐसा भारत ने सूचित किया है। इसी बीच, चर्चा के इस सत्र से पहले चीन के सरकारी मुखपत्र ने, गलवान के संघर्ष में अपने चार नहीं, बल्कि पाँच जवान मारे गए होने की जानकारी दी।

१२वाँ सत्रलद्दाख की एलएसी पर हालांकि तनाव कम हुआ है, फिर भी भारत ने की माँग के अनुसार अभी भी चीन ने गोग्रा, डेप्सांग और हॉटस्प्रिंग इन इलाकों से अपने जवान नहीं हटाए हैं। इस वापसी के बगैर एलएसी पर तनाव कम नहीं होगा, इसका एहसास भारत चीन को लगातार करा दे रहा है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वँग ई के बीच १४ जुलाई को दुशांबे में हुई चर्चा में भी चीन को इसका फिर एक बार एहसास करा दिया गया। एलएसी पर एकतरफ़ा कार्रवाई भारत कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने डटकर कहा था। वहीं, भारत और चीन एक दूसरे के दुश्मन नहीं, बल्कि साझेदार हैं, यह बताकर चीन के विदेश मंत्री ने सीमा विवाद की तीव्रता कम करने की कोशिश की थी।

१२वाँ सत्रउस पृष्ठभूमि पर, दोनों देशों के बीच लद्दाख की एलएसी पर बना तनाव कम करने के लिए चर्चा का १२वाँ सत्र संपन्न होगा। पहले हुई चर्चा के ११ सत्रों में, लद्दाख की एलएसी पर तैनात सेना हटाने की बात तय हुई थी। चीन ने अपने जवान यहाँ से हटाए भी थे। लेकिन गोग्रा, डेप्सांग और हॉटस्प्रिंग में अभी भी चिनी जवान तैनात हैं। इसके जरिए चीन इस इलाके पर अपना अधिकार स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ऐसा भारत ने स्पष्ट किया था। भारतीय लष्कर लद्दाख की एलएसी के पास की चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। इस कारण, भारत पर फिर एक बार दबाव बढ़ाने की चीन की कोशिशें नाकाम साबित हुईं हैं।

ऐसी परिस्थिति में हो रही इस चर्चा से कुछ खास हाथ लगने की संभावना नहीं है। लद्दाख की एलएसी पर का तनाव इतनी जल्दी शांत नहीं होगा, ऐसा लष्करी अधिकारी स्पष्ट रूप में बता रहे हैं। दोनों देशों के बीच चर्चा का यह १२वाँ सत्र शुरू होने से पहले, चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने, पिछले साल हुए गलवान के संघर्ष में चीन के पाँच जवान मारे गए, ऐसा कहा है। फरवरी महीने में चीन ने, इस संघर्ष में अपने केवल चार जवान मारे गए होने की जानकारी दी थी। लेकिन वास्तव में भारत से अधिक संख्या में चिनी जवानों की इस संघर्ष में मृत्यु होने की बात स्पष्ट हुई थी। लेकिन अपनी प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए चीन यह बात मान्य करने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन अब चीन को यह बात मान्य करनी पड़ी, ऐसा दिखाई दे रहा है। गलवान के संघर्ष के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करनेवाले ब्लॉगर पर, चीन की यंत्रणाओं ने प्रवास पाबंदी लगाने की खबर हाल ही में प्रकाशित हुई है।

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