येमेन के डेढ़ करोड़ नागरिक भुखमरी के साए में – संयुक्त राष्ट्रसंघ की चेतावनी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरसंयुक्त राष्ट्र /सना – येमेन में पिछले तीन सालों से चल रहे युद्ध की पृष्ठभूमि पर देश की परिस्थिति अधिकाधिक बिगड़ रही है और देश अराजकता की दिशा में जा रहा है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने येमेन के बारे में दी नई चेतावनी से इसकी पुष्टि होती है। येमेन की लगभग डेढ़ करोड़ जनता सूखा और भुखमरी के साये में होने की चिंता संयुक्त राष्ट्रसंघ ने व्यक्त की है। येमेन में सन २०१५ से शुरू हुए युद्ध में १० हजार से अधिक लोगों की जान गई है, ऐसा कहा जाता है।

पिछले कुछ महीनों में सऊदी अरेबिया और अरब मित्र देशों के नेतृत्व में चल रहा येमेन का युद्ध अधिकाधिक तीव्र होता दिखाई दे रहा है। सऊदी अरेबिया और मित्र देशों की तरफ से एक ही समय पर हवाई हमले और लष्करी कार्रवाइयों पर जोर दिया जा रहा है। जिससे हौथी बागियों का बड़ा नुकसान हुआ है। दूसरी तरफ ईरान समर्थक हौथी बागियों की तरफ से सऊदी पर हो रहे रॉकेट और मिसाइल हमले भी बढ़ गए हैं। और अरब देशों को अच्छी सफलता नहीं मिल रही है, ऐसा ईरान की तरफ से दावा किया जा रहा है।

येमेन में तीव्र हो रहे इस युद्ध की पृष्ठभूमि पर देश में मानवतावादी संकटों की व्याप्ति लगातार बढती जा रही है। येमेन की २ करोड़ से अधिक जनसँख्या में से ७५ प्रतिशत जनता वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है, ऐसी बात सामने आई है। उसी समय देश में कॉलरा के साथ साथ महामारी ने सनसनी फैलाई है। जिसमें सैंकड़ों लोगों की जान गई है।

येमेन की कम से कम ८४ लाख जनता को अनाज की तुरंत आवश्यकता है और देश का बड़ा हिस्सा भुखमरी और अकाल के साए में है। इसमें महिलाएँ और बच्चों का बड़े पैमाने पर समावेश है और उनको तत्काल सहायता मिलना आवश्यक है, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

लेकिन सऊदी के नेतृत्व में अरब देशों ने येमेन के कई हिस्सों में सहायता देने पर प्रतिबन्ध लगाया है, जिससे यहाँ के गरीब लोगों तक आवश्यक मात्रा में मानवी सहायता पहुँच नहीं रही है।

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