वुहान लैब की संशोधिका के चीन के लष्करी वैज्ञानिकों से संबंध – अमरिकी न्यूज़ चैनल का दावा

wuhan-lab-researcher-china-military-2वॉशिंग्टन/बीजिंग – कोरोना वायरस का उद्गम होने वाली चीन की वुहान लैब की प्रमुख संशोधिका ‘शी झेंग्ली’ ने चीन के लष्करी वैज्ञानिकों के साथ काम किया था और वे लष्कर की संशोधन मुहिमों में सहभागी थीं, ऐसा दावा अमरिकी माध्यमों ने किया है। ‘एनबीसी न्यूज’ इस अमरिकी न्यूज़ चैनल ने इस संदर्भ में खबर जारी की है। इस खबर में अमरीका के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला दिया गया होकर, कोरोनावायरस के संशोधन के लिए चीन के लष्कर द्वारा उन्हें वित्तसहायता भी प्रदान की जा रही थी, ऐसा सनसनीखेज आरोप भी किया गया है।

wuhan-lab-researcher-china-military-1कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद वुहान लैब की प्रमुख संशोधिका ‘शी झेंग्ली’ ने, कोरोनावायरस का जन्म लैब में ही हुआ ऐसा कहकर सनसनी मचाई थी। उसके बाद कोरोनावायरस यह हिमखंड की केवल नोक होने का दावा भी किया था। लेकिन उसके बाद चीन की सत्ताधारी हुकूमत ने डाले दबाव के बाद वे अपने दावों से मुकर गई थी। लेकिन अब इस मामले में नई जानकारी सामने आने के कारण, कोरोनावायरस के निर्माण में झेंग्ली का हाथ होने के शक की अधिक ही पुष्टि हुई है।‘एनबीसी न्यूज’ ने दी खबर के अनुसार, शी झेंग्ली ने चीन के लष्कर के लिए काम करनेवाले टॉन यिगँग और झोऊ युसेन के साथ लष्करी संशोधन मुहिमों में काम किया था। इनमें से युसेन की संदेहास्पद तरीके से मृत्यु हुई है। झेंग्ली ने चीन के लष्करी प्रोजेक्ट पर भी काम किया होने का दावा अमरिकी न्यूज़ चैनल ने किया। ‘एनबीसी न्यूज’ ने अमरीका के विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी डेव्हिड आशर का हवाला दिया है। आशर ये विदेश विभाग के लिए, कोरोना के संदर्भ में ‘फॅक्ट शीट’ बनानेवाले गुट के प्रमुख थे।

wuhan-lab-researcher-china-military-3कोरोनावायरस की गोपनीय संशोधन मुहिम को चीन के लष्कर ने वित्त सहायता प्रदान की थी, ऐसा आशर ने कहा होने की खबर अमरिकी न्यूज़ चैनल ने जारी की है। वुहान लैब में काम करनेवाले विदेशी संशोधकों ने इस मामले में जानकारी साझा की होने की बात अमरिकी अधिकारियों ने बताई, ऐसा भी ‘एनबीसी न्यूज’ ने कहा है। कुछ महीने पहले ‘फॉक्स न्यूज’ इस न्यूज़ चैनल ने, कोरोनावायरस यह वुहान लैब में चल रहे चिनी लष्कर के जैविक शस्त्रों के संशोधन का भाग था, ऐसा दावा आशर ने करने की खबर प्रकाशित की थी।

मई महीने में, चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने सन २०१५ में ही, कोरोनावायरस का तीसरे विश्वयुद्ध में जैविक हथियार जैसा इस्तेमाल करने की साज़िश रची थी, ऐसी सनसनी मचानेवाली खबर जारी हुई थी। अमरीका के विदेश विभाग ने हासिल किए कागज़ातों में यह सनसनीखेज रहस्यभेद किया गया था।

सन २०१९ में कोरोनावायरस की शुरुआत हुई, तबसे ही चीन की इस मामले में भूमिका संदिग्ध रही है। चीन पर किया जानेवाला दोषारोपण टालने के लिए चीन ने कोरोनावायरस की जानकारी लगातार छिपाई। साथ ही, इसका उद्गम अन्य देशों में हुआ होने के फुटकर दावे भी जारी किए। कोरोना महामारी के बारे में बात करनेवाले चिनी संशोधनों की बोलती बंद कर दी गई। कई पत्रकारों को भी गायब किया गया था। चिनी संशोधिका डॉक्टर ली मेंग ने भी ऐसे दावे किए थे कि कोरोना वुहान लैब में ही तैयार हुआ होने के शास्त्रीय सबूत उपलब्ध हैं। 

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