ईरान में महिलाओं का बुरखा के खिलाफ आन्दोलन; २९ महिलाओं की गिरफ़्तारी

तेहरान: ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को कुछ दिन भी नहीं पूरे हुए हैं, तभी ईरान के अलग अलग शहरों में महिलाओं ने किए बुरखा विरोधी आंदोलनों की खबरें प्रसिद्ध हो रहीं हैं। ईरानी महिलाओं पर लगाई हुई बुरखा डालने की सख्ती निकाली जाए, यह माँग इन महिला प्रदर्शनकारियों ने की है। इस आन्दोलन में शामिल हुई करीब २९ महिलाओं को ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई शुरू थी तब ईरानी राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी के कार्यालय ने तीन वर्षों पहले की रिपोर्ट अभी प्रसिद्ध करके खलबली मचादी है। ईरान की लगभग ४९ प्रतिशत जनता को बुरखे की सख्ती नहीं चाहिए, ऐसा इस रिपोर्ट में लिखा है।

सन १९७९ में ईरान में हुई इस्लामी क्रांति के बाद बुरखे की सख्ती करने वाला कानून बनाया गया था। इसे विरोध करने के लिए दिसम्बर महीने में ‘मसिह अलीनेजाद’ इस महिला ने बुरखा विरोधी प्रदर्शन शुरू किया और इस आन्दोलन को ‘व्हाईट वेन्सड़े’ ऐसा नाम दिया गया। डिसेंबर महीने में ईरान सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ भडके प्रदर्शन में ही ‘व्हाईट वेन्सड़े’ के प्रदर्शन भी शुरू हुए थे। राजधानी तेहरान के साथ साथ कौम और अलग अलग शहरों में महिलाओं ने इन प्रदर्शनों में सहभाग लिया।

शहरों के चौराहों पर खड़े होकर महिलाओं ने तीन दशकों से लागू इस कानून को चुनौती दी है। शुरुआत में यह प्रदर्शन सीमित स्तरपर चल रहा था। लेकिन सोशल मीडिया पर इन प्रदर्शनकारी महिलाओं की तस्वीरें प्रसिद्ध होने के बाद अन्य महिला और ईरान के पुरुष भी इस में शामिल हुए। ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने सोशल मीडिया पर कार्रवाई करने की वजह से इस प्रदर्शन के बारे में अधिक जानकारी प्रसिद्ध नहीं हुई थी।

पिछले शुक्रवार को ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने प्रदर्शनकारियों पर की हुई कर्रवाई की जानकारी सामने रखी। प्रदर्शनों की वजह से ईरान की सुरक्षा को खतरनाक साबित होने वाली २९ महिलाओं को कब्जे में लेने की जानकारी ईरानी यंत्रणाओं ने प्रसिद्ध की है। इस में विदा मोवाहेद, शिमा बाबेई, नर्गिस हुसैनी इन महिलाओं के नाम सामने आए हैं। कुछ महिलाएं लापता होने का दावा ईरान की कुछ महिला पत्रकार कर रहीं हैं।

इन महिलाओं की रिहाई के लिए ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने सवा लाख डॉलर्स इतने रकम की जमानत की माँग की है। इस वजह से पिछले महीने भर से यह महिलाएं ईरान की जेल में पड़ी हैं, ऐसी टीका की जा रही है। ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने बुरखा विरोधी प्रदर्शनकारियों पर की हुई कार्रवाई पर नाराजगी व्यक्त की जा रही है, ऐसे में राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने ‘हेसामेदीन अशना’ यह तीन सालों पहले की रिपोर्ट प्रसिद्ध की। तीन सालों पहले ईरान में एक सर्वेक्षण किया गया था। जिसमें ४९ प्रतिशत महिलाओं ने बुरखे की सख्ती को कठोर विरोध किया था। मुख्य बात यह है कि इसमें महिलाओं के साथ साथ पुरुषों का भी समावेश था। बुरखा परिधान करना अथवा इन्कार करना यह निजी बात है इस में सरकार दखल अंदाजी न करे, ऐसा नागरिकों का कहना है।

दौरान, बुरखाविरोधी प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की वजह से ईरान की जनता क्रोधित हुई है, ऐसे में राष्ट्राधयक्ष रोहानी ने इस रिपोर्ट को प्रसिद्ध करके ईरान के कट्टरपंथियों के खिलाफ मोर्चा खोलने का दावा पश्चिमी मीडिया कर रहा है। ईरान की राजनीतिक व्यवस्था के अनुसार इस देश की निर्णय प्रक्रिया पर सर्वाधिक प्रभाव वाले सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला के खिलाफ राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने उठाया यह और एक कदम है ऐसा कहा जाता है। दिसंबर महीने में हुए प्रदर्शनों का भी रोहानी ने समर्थन किया है। लेकिन प्रदर्शनकारी हिंसा न करें, ऐसा आवाहन रोहानी ने किया था।

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