‘लोन मोरेटोरियम’ की सुविधा प्राप्त करनेवालों को १५ नवंबर तक मिलेगी ब्याज से राहत

नई दिल्ली – बुधवार के दिन सर्वोच्च न्यायालय ने ‘लोन मोरेटोरियम’ के मामले में कर्ज उठानेवाले आम नागरिकों को राहत देनेवाला बड़ा निर्णय किया है। कोरोना वायरस के संकट काल में जारी किए गए लॉकडाउन के दौरान ‘रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया’ (आरबीआय) ने ‘मोरेटोरियम’ की सुविधा प्रदान की थी। इस सुविधा का लाभ उठानेवाले कर्जदारों को १५ नवंबर, २०२० तक ब्याज पर ब्याज की वसूली ना करें, यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिए हैं। साथ ही इस दिन तक किसी भी कर्ज खाते को ‘एनपीए’ घोषित ना करें, यह निदेश भी सर्वोच्च न्यायालय ने दिए हैं।

loan-moretorium‘आरबीआय’ ने लॉकडाउन के बाद कर्जदारों को तीन महीनों के लिए लोन मोरेटोरियम यानी कर्ज के किश्‍त का भुगतान ना करने की सहुलियत प्रदान की थी। ‘लोन मोरेटोरियम’ का यह अवधि बाद में छह महीनों तक बढ़ाया गया था। इस सुविधा का लाभ उठानेवाले कर्जदारों को यह अवधिक खत्म होने के बाद भुगतान ना किए किश्‍तों पर ब्याज की वसूली करने का निर्णय किया गया था। कुछ बैंकों ने ब्याज की वसूली करना भी शुरू किया था। इसके विरोध में कुछ लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी।

इस मामले में पहले हुई सुनवाई के दौरान ‘आरबीआय’ ने ‘लोन मोरेटोरियम’ का अवधि बढ़ाना संभव नहीं है, यह बात रखी थी। दो करोड़ तक के कर्ज का चक्रवृद्धि ब्याज माँफ करने के अलावा कोई भी सहुलियत देना संभव नहीं होगी, यह बात भी ‘आरबीआय’ ने स्पष्ट की थी। वरना यह अर्थव्यवस्था और भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर विपरित असर करनेवाला साबित होगा, यह बयान आरबीआय ने किया था। साथ ही ब्याज पर लगाए जानेवाला ब्याज माँफ करने के लिए योजना पेश करने के लिए केंद्र सरकार ने १५ नवंबर तक अवधि देने की माँग की थी।

बुधवार को हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने यह योजना शुरू करने के लिए एक महीने के अवधि की सरकार को किस लिए आवश्‍यकता है, यह सवाल भी सरकार से किया। साथ ही योजना जल्द से जल्द शुरू करें, इस उद्देश्‍य से २ नवंबर तक परिपत्रक जारी किया जाए, यह निदेश भी केंद्र सरकार को दिए। केंद्र सरकार ने भी २ नवंबर तक इससे संबंधित परिपत्रक जारी किया जाएगा, यह बात अदालत के सामने स्पष्ट की। इस मामले की अगली सुनवाई २ नवंबर को होगी। लेकिन, इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने ‘लोन मोरेटोरियम’ की सुविधा प्राप्त करनेवालों के ब्याज पर १५ नवंबर तक ब्याज की वसूली ना करें, यह निदेश दिए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.