पश्‍चिमी देश और रशिया में परमाणु युद्ध होने की संभावना बढी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरलंदन – ‘परमाणु हथियारों का निर्माण और उसके इस्तेमाल पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी समझौते टुटने से परमाणु स्पर्धा और इससे परमाणु युद्ध होने की संभावना बढी है| शीत युद्ध के बाद पहली बार पश्‍चिमी देश और रशिया के बीच परमाणु युद्ध शुरू होने का गंभीर खतरा बना है’, यह चेतावनी ब्रिटेन की ‘इंटरनैशनल रिलेशन्स कमिटी’ (आईआरसी) के अध्यक्ष लॉर्ड हॉवेल इन्होंने दी है| कुछ दिन पहले ही रशिया के लष्करी अधिकारी ने भी इसी तरह की चेतावनी दी थी|

ब्रिटीश पार्लमेंट की ‘आईआरसी’ ने हाल ही में एक अहवाल प्रसिद्ध किया है| परमाणु हथियारों से सज्जित देशों में सहयोग खतम हो रहा है और इससे बना तनाव चिंता के स्तर तक जा पहुंचा है, यह इशारा इस अहवाल में दर्ज है| परमाणु हथियारों से सज्जित देशों में समन्वय ना रहने से एटमी हथियारों का इस्तेमाल होने का खतरा भी बढ रहा है| तीस वर्ष पहले शीत युद्ध के दौरान भी इसी तरह परमाणु युद्ध का खतरा बना था| लेकिन, उस खतरे की तुलना में वर्तमान समय में बना परमाणु युद्ध का खतरा कई गुना अधिक होने की बात ‘आईआरसी’ के अध्यक्ष लॉर्ड हॉवेल इन्होंने अपने अहवाल में कही है|

भविष्य में परमाणु युद्ध के खतरे से बचना है तो परमाणु हथियारों के निर्माण एवं इस्तेमाल पर रोक लगाने से संबंधी समझौते के लिए प्रामाणिकता से प्रयत्न करने होंगे| इसके लिए परमाणु हथियारों से सज्जित देशोंने एटमी हथियारों सं संबंधी पारदर्शिता बढानी होंगी, ऐसा लॉर्ड हॉवेल इन्होंने कहा है| इस अहवाल में हॉवेल ने किसी भी देश का या खास समझौते का जिक्र करने से दूरी बरती है| लेकिन, कुछ हफ्तें पहले अमरिका और रशिया के बीच बना ‘आईएनएफ’ समझौता टुटने की घटना को ध्यान में रखकर उन्होंने यह अहवाल प्रसिद्ध किया है, ऐसा दावा हो रहा है| ‘आईएनएफ’ के साथ ही अमरिका और रशिया के बीत हुआ ‘स्टार्ट-२’ समझौता भी खतरे में आने की कडी संभावना जताई जा रही है|

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