रशिया के ‘झॅपड’ युद्धाभ्यास पूर्व युरोपीय देशों में सेना घुसाने के लिए नहीं

मॉस्को: पिछले कई दिनों से रशिया पूर्व युरोप के पोलैंड, लिथुआनिया और यूक्रेन में सेना घुसाने की योजना कर रहा है, जिसके लिए रशिया में ‘झॅपड’ २०१७’ युद्धाभ्यास का आयोजन करने का आरोप युरोपीय विश्लेषक कर रहे हैं। पर अपना यह युद्धाभ्यास संरक्षण के लिए होकर किसी भी देश में सेना घुसाने के लिए इसका उपयोग नहीं करने का खुलासा रशियन संरक्षण मंत्रालय ने किया है। पिछले कई दिनों से रशिया एवं नाटो देशों के पूर्व युरोपीय देशों में युद्धाभ्यास तथा लष्करी गतिविधि बढ़ रही हैं, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में तनाव निर्माण हुआ है।

सेना घुसाने के लिए

रशियन संरक्षण मंत्रालय ने प्रसिद्ध की जानकारी अनुसार आने वाले १४ सितंबर से रशिया एक साथ ५ जगहों पर बड़ा युद्धाभ्यास आयोजित कर रहा है। रशिया के पश्चिम सीमा पर तीन जगह तथा कैलिनिनग्रेड और बेलारूस में यह युद्धाभ्यास आयोजित होगा। इस युद्धाभ्यास में रशियन लश्कर के १२००० सैनिक, ७० लड़ाकू विमान, २२० टैंक, २०० तोंफ और १० विनाशिका शामिल होंगे।

फिलहाल इस युद्धाभ्यास में सोवियत रशिया के साथ बेलारूस यह एकही देश शामिल हो रहा। पर आने वाले दिनों में अन्य देश भी इस लश्कर के युद्धाभ्यास में शामिल हो सकते हैं, जिससे इस युद्धाभ्यास की व्याप्ति बढ़ने वाली है।

पर रशिया का यह युद्धाभ्यास मतलब पूर्व युरोप में पाश्चिमात्य समर्थक पोलैंड, लिथुआनिया और यूक्रेन इन देशों में सैन्य घुसाने की तैयारी होने का संदेह युरोप के विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं। रशिया ने इस युद्धाभ्यास में १२००० सैनिक शामिल होने की बात घोषित की है, पर असल में एक लाख रशियन सैनिक युद्धाभ्यास में शामिल होंगे यह दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

रशिया का यह युद्धाभ्यास मतलब अपनी सुरक्षा के लिए खतरा होने का आरोप पोलैंड ने किया है। साथ ही बेलारूस में रशिया का युद्धाभ्यास मतलब यूक्रेन में घुसपैठ की और एक तैयारी हो सकती है, ऐसा अमरीकी सेना अधिकारी का कहना है। रशिया के इस युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि पर युरोपीय देशों में अलर्ट जारी करने की बात कही जा रही है।

पर रशिया ने अमरीकी अधिकारी एवं विश्लेषकों का यह दावा स्पष्ट शब्दों में झूठलाया है। साथ ही यह युद्धाभ्यास पूर्व नियोजित होकर युरोपीय देशों को इससे डरने का कोई कारण नहीं, ऐसा रशियन रक्षा मंत्रालयने कहा है। दौरान पूर्व युरोप की में बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर अमरीका जल्दी लिथुआनिया की नाटो हवाई सुरक्षा का कमांड अपने हाथ लेने वाला है।

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