परमेश्वरी मार्ग का स्वीकार करते हुए शैतान को इनकार करना ही होता है – ख्रिस्त धर्मियों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस

व्हैटीकन: एक ही समय पर आप परमेश्वर और शैतान के साथ नहीं हो सकते। श्रद्धा से परमेश्वरी मार्ग का स्वीकार करते हुए शैतान को इनकार करना ही होता है ऐसा संदेश ख्रिस्त धर्मियों के सर्वोच्च धर्मगुरु आदरणीय पोप फ्रांसिस ने दिया है। एक कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस ने इन सिद्धांतों का महत्व अपने २० मिनट के उपदेश में रेखांकित किया है।

परमेश्वरी मार्ग, स्वीकार, ख्रिस्त, धर्मगुरु पोप फ्रांसिस, शैतान को इनकार, व्हैटीकन, मानवकोई व्यक्ति इतनी अच्छी है कि वह एक ही समय पर परमेश्वर के पक्ष में होती है और शैतान के पक्ष में भी होती है, ऐसे किसी के अच्छाई का वर्णन करते हुए कहा जाता है। पर वह गलत है, आप एक ही समय पर परमेश्वर के पक्ष में और शैतान के पक्ष में नहीं हो सकते। आप या तो परमेश्वर के पक्ष में हो सकते हैं अथवा शैतान के पक्ष में, ऐसा आदरणीय पोप फ्रांसिस ने सूचित किया है। उसी समय कई लोग वह कौन से पक्ष में है, यह दूसरों को समझने नहीं देते, इसकी तरफ पोप फ्रांसिस ने ध्यान केंद्रित किया है।

कई लोग यकीनन कौन से पक्ष में हैं, यह हम समझ नहीं पाते। ऐसे लोग अच्छे एवं आकर्षक होते हैं, पर वह कौन से पक्ष में होते हैं वह स्पष्ट नहीं करते, ऐसा कहकर ख्रिस्त धर्मियों ने परमेश्वरी मार्ग का स्वीकार करते हुए शैतान को इनकार करने के मूलभूत सिद्धांत को मंजूर करना चाहिए, ऐसा पोप फ्रांसिस ने कहा है। इस संदर्भ में चर्च की भूमिका अत्यंत ठोस होनी चाहिए, ऐसी अपेक्षा उस समय पोप फ्रांसिस ने व्यक्त की है।

ख्रिस्त धर्मियों को बाप्तिस्मा देते समय परमेश्वर का स्वीकार करना और शैतान को इनकार करके उसका धिक्कार करना इसे बहुत बड़ा महत्व है। यह महत्व पोप फ्रांसिस ने अपने उपदेश में लगातार रेखांकित किया है। परमेश्वर के ऊपर श्रद्धा यह हमेशा के लिए बंदगी होती है। यह तत्काल में अथवा अल्प समय के लिए समझौता नहीं है, ऐसा समझ लेना चाहिए और उस मार्ग से अपना जीवन आगे ले जाने की जिम्मेदारी स्वीकारनी चाहिए। अपने बच्चों को क्रिश्चियन धर्म का बाप्तिस्मा देते समय उनके माता-पिता एवं दादा-दादी यह ध्यान में रखें ऐसा पोप फ्रांसिस ने कहा है।

शैतान के प्रभाव की वजह से मानव के हाथ पाप होता है। इसीलिए शैतान के मार्ग पर दिखने वाले प्रलोभन और लालच उनसे सामना करने की शक्ति पवित्र आत्मा देती है, ऐसी गवाही पोप फ्रांसिस ने अपने उपदेश में दी है। इससे पहले भी पोप फ्रांसिस ने श्रद्धा का महत्व रेखांकित करते हुए डेविल अस्तित्व में है, ऐसा ख्रिस्त धर्मियों को सूचित किया था। परमेश्वर के मार्ग से जाते समय डेविल से संघर्ष करना ही होता है, इसका एहसास पोप फ्रांसिस ने दिलाया था।

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