लद्दाख में होगी ‘वज्र’ तोप की तैनाती

नई दिल्ली – भारत और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त कोशिशों से विकसित किए अतिप्रगत ‘के-९ वज्र’ तोपों की लद्दाख स्थित चीन की ‘एलएसी’ पर तैनाती होगी। लार्सन ऐण्ड टुब्रो ने इन तोपों का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में किया है। ऐसे १०० तोंपें तैयार करने का कान्ट्रैक्ट वर्ष २०१७ में कंपनी को प्राप्त हुआ था। इसके अनुसार कंपनी ने सभी १०० तोंपें सेना को प्रदान की हैं, ऐसा वृत्त है। इस कॉन्ट्रैक्ट की आखरी तोप सेना को प्रदान की गई, इस अवसर पर सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे भी उपस्थित थे।

vajra-deployment-ladakh‘के-९ वज्र टी’ नामक १५५ एमएम/५२ कैलिबर की कुल १०० ‘सेल्फप्रोपेल्ड’ तोंपें भारतीय सेना को प्राप्त की गई हैं। सूरत के करीब हजिरा में स्थित लार्सन ऐण्ड टुब्रो के प्रकल्प में इन तोंपों को निर्माण किया गया। दक्षिण कोरिया के ‘के-९थंडर’ तोप की भारतीय आवृत्ति की ‘के-९ वज्र टी’ तोपें खरीदने के लिए तीन वर्ष पहले निविदा जारी करके १०० तोपों का निर्माण करने का कान्ट्रैक्ट लार्सन ऐण्ड टुब्रो को प्रदान किया गया था। कंपनी ने समय से पहले ही इस कॉन्ट्रैक्ट की सभी तोपें सेना को प्रदान की हैं, यह जानकारी कंपनी ने साझा की। इस कान्ट्रैक्ट की आखिरी १००वीं तोप सेना को प्रदान करने के अवसर पर सेनाप्रमुख जनरल नरवणे उपस्थित थे।

‘के-९ वज्र टी’ के ८० प्रतिशत पुर्जों का निर्माण भारत में किया गया है। इस तोप के लिए तकरीबन १३ हज़ार पुर्जों का निर्माण करने का काम १ हज़ार ‘एमएसएमई’ कंपनियों को प्रदान किया गया था। ‘के-९ वज्र टी’ की मारक क्षमता ३८ किलोमीटर है। भारत ने वर्ष १९८६ के बाद सेना के लिए किसी भी नई तोप की खरीद नहीं की थी। लेकिन, अब ‘वज्र’ तोप के साथ ही ‘धनुष’, ‘एम ७७७ अल्ट्रा लाईट होवित्ज़र’ तोपें भारतीय सेना में दाखिल हुई हैं। साथ ही भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) अब ‘एडवान्स टोवड आर्टिलरी गन’ (एटीएजीएस) का निर्माण कर रही है। यह तोप भी जल्द ही सेना के बेड़े में शामिल की जाएगी।

इसी बीच सेना के बेड़े में दाखिल हुई ‘के – ९ वज्र टी’ तोपों में से ३ तोपें भारत लद्दाख में तैनात कर रहा है, ऐसा वृत्त है। यह तोप जल्द ही लेह पहुँचाई जाएगी। इसके बाद इन तोपों को अति उंचाई पर स्थित इलाके में तैनात किया जाएगा। वहां पर इन तोपों का परीक्षण होगा। युद्ध की स्थिति में यह तोप अति उंचाई के प्रतिकूल इलाकों में उपयुक्त साबित होगी या नहीं, इसकी जाँच की जाएगी। इस परीक्षण के बाद ‘वज्र’ तोप के दो या तीन रेजिमेंट सरहद के पहाड़ी क्षेत्र में तैनात होने की संभावना है, ऐसी खबर है।

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