‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ की कालावधि बढ़ाने पर अमरीका, रशिया में एकमत

मॉस्को – अमरीका और रशिया के परमाणुअस्त्र तथा क्षेपणास्त्रों की संख्या मर्यादित करने के बरे में हुई ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ की अवधि बढ़ाने पर दोनों देशों में एकमत हुआ है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के बीच फोन पर हुई चर्चा के बाद यह ऐलान किया गया। रशियन संसद ने चन्द कुछ घंटों में ही इस समझौते की कालावधि बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया।

us-russia-new-start-treatyअमरीका और रशिया के राष्ट्राध्यक्षों के बीच दो दिन पहले ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ के साथ ही अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इस समय ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ को अगले पाँच सालों के लिए बढ़ाने के बारे में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने तत्वत: मान्यता दी, ऐसा रशियन सरकार ने घोषित किया। दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इसपर सन्तोष ज़ाहिर किया। अमरीका ने अपनी शर्तों पर कालावधि बढ़ाना मान्य किया है, ऐसी जानकारी रशियन सरकार ने दी। साथ ही, बुधवार को रशियन संसद में, बिना किसी रुक़ावट के, इस समझौते का प्रस्ताव पारित किया गया।

बायडेन प्रशासन ने इस बारे में जानकारी देना टाला है। लेकिन अमरीका और रशिया के राष्ट्राध्यक्षों ने, इस समझौते पर शीघ्रतापूर्वक अमल करने के बारे में अपने अधिकारियों को आदेश दिये होने की जानकारी व्हाईट हाऊस की प्रवक्ता जेन साकी ने साझा की। साथ ही, ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ की अवधि बढ़ाने, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को अमरिकी सिनेट तथा काँग्रेस की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, ऐसा दावा किया जाता है। अमरीका और रशिया के बीच के इस ‘स्टार्ट’ समझौते की कालावधि आनेवाले ५ फ़रवरी को ख़त्म होनेवाली थी। इस पृष्ठभूमि पर, इस समझौते की अवधि बढ़ाने के सन्दर्भ में दोनों देशों की ओर से कड़े प्रयास चालू थे, ऐसा कहा जाता है।

us-russia-new-start-treatyअमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष दिमित्रि मेदवेदेव्ह ने अप्रैल २०१० में ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ पर हस्ताक्षर किये थे। ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ के अनुसार, दोनों देश १,५५० से अधिक परमाणुअस्त्र तथा ७०० से अधिक आन्तरमहाद्विपीय बैलेस्टिक क्षेपणास्त्र तैनात नहीं कर सकते। उसी समय, एक-दूसरे के परमाणुअस्त्र अड्डों का मुआयना करने के प्रावधान का भी समझौते में समावेश है। अमरीका और रशिया के बीच के इस समझौते के कारण युरोपिय देशों की सुरक्षा भी अबाधित होने का दावा युरोपिय महासंघ ने इससे पहले किया था।

लेकिन अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, रशिया के साथ हुए इस परमाणु समझौते का विरोध किया था। यह समझौता अमरीका को बंधन में रखनेवाला और रशिया को खुला छोड़नेवाला है, ऐसी आलोचना ट्रम्प ने की। इस समझौते की आड़ में रशिया और चीन ने अपने परमाणुअस्त्र और क्षेपणास्त्रों की क्षमता बढ़ायी होने का आरोप करके ट्रम्प ने इस समझौते से क़िनारा किया था। रशिया के साथ चीन भी इस समझौते में शामिल हों, ऐसी शर्त ट्रम्प ने रखी थी। रशिया ने भी चीन को अमरीका की इस माँग पर सोचने के लिए कहा था।

us-russia-new-start-treatyलेकिन चीन ने अमरीका की माँग को स्पष्ट शब्दों में ठुकराया था। अमरीका और रशिया के पास चीन की तुलना में कई गुना अधिक परमाणुअस्त्र हैं, यह बताकर चीन ने इस समझौते में सहभागी होने से इन्कार किया था। उसके बाद ट्रम्प ने यह घोषित किया था कि अमरीका रशिया के साथ समझौते में सहभागी न होते हुए, परमाणुअस्त्र और क्षेपणास्त्रों की क्षमता बढ़ाती रहेगी।

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