अमरिका-तालिबान शांति समझौते की कसौटी जल्द ही होगी – भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – ‘पीछले १८ वर्षों में अफगानिस्तान में जो कुछ पाया, उसके लिए खतरा ना बनने दे, यही भारत का अमरिका और पश्चिमी देशों के लिए संदेशा रहेगा, ऐसा बयान भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने किया है| अमरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते पर बातचीत करते समय जयशंकर ने उचित शब्दों में भारत की भूमिका रखी| साथ ही अमरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ हो फिर भी इसकी असली कसौटी अगले दिनों में शुरू होगी, यह बात विदेशमंत्री जयशंकर ने रखी|

भारत ने अफगानिस्तान में करीबन तीन अरब डॉलर्स का निवेश किया है और इससे इश देश में काफी विकास योजना का काम शुरू हुआ है| अफगान जनता भारत के इस निवेश पर संतोष व्यक्त कर रही है| ऐसे में इस निवेश की वजह से अफगानिस्तान की लोकनियुक्त सरकार के साथ भारत के संबंध और भी मजबूत हुए है| पर, अमरिका ने तालिबान के साथ शांति समझौता करने के बाद भारत ने किया यह तीन अरब डॉलर्स का निवेश डुबने के करीब होने का दावा पाकिस्तान के कुछ विश्लेषक कर रहे है| इसी वजह से भारत की चिंता बढ रही है, यह दावा भी कुछ विश्लेषक कर रहे है

इसी पृष्ठभूमि पर नई दिल्ली में आयोजितसेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्चइस अभ्यासगुट ने आयोजित किए कार्यक्रम में विदेशमंत्री जयशंकर बोल रहे थे| ‘अमरिका और तालिबान में दोहा में यह शांति समझौता होने की उम्मीद भारत ने नही रखी थी| काफी पहले से इस पर बातचीत जारी थी| और लंबे समय के बाद यह बातचीत आगे बढ सकी है| यह १७ फिल्मों का ट्रेलर देखने के बादपाकिझासिनेमा शुरू हुआ है, यही एहसास हो रहा है, इन शब्दों में जयशंकर ने इस शांति समझौते पर फटकार लगाई है|

यह शांति समझौता हुआ हो फिर भी इसकी कसौटी अगले दिनों में होगी| अफगानिस्तान में सर्व दलिय बातचीत किस तरीके से आगे बढती है, इसपर काफी कुछ निर्भर रहेगा| तालिबान अफगानिस्तान की जनतांत्रिक व्यवस्था में शामिल होगी, या अफगानिस्तान की जनतांत्रिक व्यवस्था तालिबान के लिए समझौता करेगी, यह भी जल्द ही स्पष्ट होगा, ऐसा सूचक बयान करके भारत के विदेशमंत्री ने इस शांति समझौते के सामने होनेवाली चुनौतियों की जानकारी साझा की| साथ ही जयशंकर ने अमरिका और पश्चिमी देशों को अफगानिस्तान की स्थिति का एहसास भी दिलाया|

अमरिका ने जीस दौर में आतंकवादविरोधी युद्ध शुरू किया था, उस २००० से २००१ के दौरान का अफगानिस्तान और अब अफगानिस्तान में बनी स्थिति में काफी फरक है| पीछले १८ वर्षों के दौर में अफगानिस्तान में जो कुछ कमाया है उसके लिए खतरा बनेगा, ऐसी हरकतों से हमने बचना होगा, भारत का यही संदेशा अमरिका और पश्चिमी देशों के लिए होगा, ऐसा जयशंकर ने कहा|

इस १८ वर्ष के दौर में अफगानिस्तान में जनतंत्र की नींव मजबूत हुई है और लोक नियुक्त सरकार अफगानिस्तान का कारोबार चला रही है| अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार का अधिकार प्राप्त हुआ है और महीला लोकप्रतिनिधि भी बनी है| साथ ही अफगानिस्तान में कई विकास योजना शुरू हुई है और इससे देश में काफी बदलाव होने लगा है| इन सभी मुद्दों का संदर्भ देकर विदेशमंत्री जयशंकर ने तालिबान से पुरी दुनिया के लिए खतरा बन सकता है, इसका कडा एहसास अमरिका?एवं पश्चिमी देशों को कराया दिख रहा है|

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