डॅनिअल पर्ल की हत्या के मामले में अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया

वॉशिंग्टन – सन २००२ में पाकिस्तान में हत्या हुए अमरिकी पत्रकार डॅनिअल पर्ल के परिवारवालों को अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने आश्‍वस्त किया है। पर्ल का अपहरण करके हत्या करवानेवालों को सजा दिलाए बगैर अमरीका चुप नहीं बैठेगी, इसका यकीन विदेश मंत्री ब्लिंकन ने पर्ल के परिवारवालों को दिलाया। अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने यह जानकारी दी। यह अमरीका ने पाकिस्तान को दी हुई एक और चेतावनी होने की बात सामने आ रही है। बायडेन प्रशासन सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान को एक के बाद एक झटके दे रहा है। यह महज इत्तेफाक ना होकर, उसके पीछे बहुत बड़ी व्यूहरचना होने का दावा पाकिस्तानी लष्कर के पूर्व अधिकारी तथा सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं।

daniel-pearl-us-pakअमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प से वर्तमान राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की नीतियाँ अलग होंगी। कश्मीर मसले पर बायडेन पाकिस्तान का समर्थन करेंगे और भारत पर दबाव बढ़ायेंगे, ऐसी धारणा पाकिस्तान में रूढ़ हुई थी। लेकिन वास्तव में बायडेन प्रशासन ने इससे विपरीत भूमिका अपनाई दिख रही है। राष्ट्राध्यक्षपद का पदभार संभालने के बाद, बायडेन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से चर्चा करने की औपचारिकता भी नहीं दिखाई है। कुछ दिन पहले अमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने भारत का दौरा किया और उसके बाद अफगानिस्तान की भी भेंट की। लेकिन वे पाकिस्तान नहीं आए, ऐसी शिकायत पाकिस्तान द्वारा की जा रही है।

इतना ही नहीं, बल्कि २२ और २३ अप्रैल को होनेवाली जागतिक पर्यावरणविषयक परिषद के लिए अमरीका ने पाकिस्तान को निमंत्रण नहीं दिया है। इस परिषद में भारत उपस्थित होगा, लेकिन पाकिस्तान को इससे हटाया गया होने का खेद प्रधानमंत्री इम्रान खान ने जाहिर कर रहे हैं। इस बारे में खबरें आ रही थी कि तभी डॅनिअल पर्ल के परिवारवालों से बात करके अमरीका के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर दबाव भारी मात्रा में बढ़ाया दिख रहा है। सन २००२ में डॅनिअल पर्ल पाकिस्तान आए थे। पाकिस्तान का कुविख्यात गुप्तचर संगठन ‘आयएसआय’ और अल कायदा इस आतंकवादी संगठन की सांठगांठ होने की बात साबित करनेवाली खबर पर पर्ल काम कर रहे थे। उनके हाथ में अहम सुराग लगने पर पर्ल का अपहरण किया गया और उसके बाद उनकी निर्मम हत्या की गई।

पर्ल की हत्या करानेवाला आतंकी अहमद उमर सईद शेख को, पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में रिहा किया था। उसपर अमरीका में तीव्र गुस्सा ज़ाहिर किया जा रहा है। विदेश मंत्री ब्लिंकन ने पर्ल के परिवारवालों को इन्साफ दिलाने का आश्वासन दिया है। इस कारण, आनेवाले समय में अमरीका इस मसले पर पाकिस्तान पर भारी मात्रा में दबाव बढ़ाएगी, ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।

बायडेन प्रशासन की इस पाकिस्तानविरोधी नीति के पीछे अलग ही कारण होने की चर्चा शुरू हुई है। तालिबान के साथ पिछले साल किये समझौते के अनुसार, अमरीका १ मई से पहले अफगानिस्तान से सेनावापसी करनेवाली थी। लेकिन यह सेनावापसी संभव नहीं है, ऐसा अमरीका ने डटकर कहा है। इस कारण खौले हुए तालिबान ने घनघोर संघर्ष की धमकी दी है। ऐसी स्थिति में अमेरिका को अफगानिस्तान में पाकिस्तान से कुछ ‘डर्टी वर्क’ करवा लेना है। इस काम को पाकिस्तान टाल ना सकें, इसके लिए बायडेन प्रशासन चालें चल रहा है, ऐसा दावा पाकिस्तानी लष्कर के कुछ पूर्व अधिकारियों ने किया है।

अमरीका को पाकिस्तान से अपेक्षित होनेवाला यह ‘डर्टी वर्क’ क्या है, उसका विवरण पाकिस्तानी लष्कर के इन पूर्व अधिकारियों ने नहीं दिया है। लेकिन अमरीका और तालिबान के बीच घनघोर संघर्ष भड़क उठने पर, उसकी लपटें पाकिस्तान को भी जला देंगी, ऐसे संकेत अभी से मिलने लगे हैं। इसी की आँच आज पाकिस्तान महसूस कर रहा है। लेकिन इस देश के लष्करी अधिकारियों ने किए दावे के अनुसार, अमरीका जो डर्टी वर्क करने के लिए अगर पाकिस्तान तैयार हुआ, तो अमरीका की इस देश के संदर्भ में होनेवाली नीति बदलेगी, यह नई संभावना इससे सामने आ रही है।

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