चीन मानवता का अपराधि साबित होता है – अमरिका के रपट में उघुर और मानव अधिकारों के मुद्दे पर चीन की आलोचना

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंग्टन/बीजिंग: अंतरराष्ट्रीय अपराधिक अदालत के प्रावधानों के अनुसार चीन मानवता का अपराधि साबित होता है, ऐसे सीधे शब्दों में अमरिकी संसद ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत पर तीखा हमला किया है| अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के साथ हुई हर एक बातचीत के दौरान मानव अधिकारों का मुद्दा प्राथमिकता से सामने रखना ही होगा, यह सलाह भी अमरिकी के संसदिय आयोग ने दी है| अगले कुछ दिनों में चीन और अमरिका व्यापारी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, यह संकेत प्राप्त हो रहे है तभी चीन की हुकूमत पर आलोचना करनेवाला सामने आया रपट ध्यान आकर्षित कर रहा है|

चीन ने ११ लाख उघुरवंशियों को खास बनाए शिविरों में बंद किया है और उनपर कई प्रकार के अत्याचार हो रहे है| उघुरवंशिय मर्दों को जबरन इन शिविरों में रखा है| चीन ने इन्हें शिविर कहा है, फिर भी सच्चाई में यह कारागार ही है और उघुरवंशियों को वहां पर बंदियों से भी अधिक बुरा बर्ताव होता है| इस वजह से १० लाख उघुरवंशियों की धार्मिक एवं वांशिक पहचान के लिए खतरा बना है| चीन के हो रहे इन अत्याचारों के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पिछले कुछ महीनों से आक्रामक भूमिका अपनाई है|

इसमें अमरिका सबसे आगे है और उघुरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के साथ ही चीन में अन्य अल्पसंख्यांक समाज की धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा, हॉंगकॉंग, मानव अधिकारों का हो रहा उल्लंघन जैसे मुद्दों पर भी आक्रामक भूमिका अपनाई है| अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने चीन पर लगातार आलोचना की है और चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अमरिका का शत्रु होने का इशारा खुलेआम दिया है| पिछले दो वर्षों में अमरिका ने प्रसिद्ध किए अलग अलग रपटों में उघुरों समेत धार्मिक आजादी एवं मानव अधिकारों का मुद्दा लगातार सामने लाया गया था|

अमरिका की ‘कॉंग्रेशनल एक्झिक्युटिव्ह कमिशन ऑन चायना’ (सीईसीसी) ने अधिक व्यापक और कडी भूमिका स्वीकार करके विस्तृत रपट पेश किया है| इस रपट में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने वर्ष २०१९ में अभिव्यक्ति की आजादी, अल्पसंख्यांकों संबंधी नीति, धार्मिक आजादी और मानव अधिकारों का कैसे उल्लंघन किया, इसकी जानकारी सामने रखी है|

कुल ३२३ पन्नों के इस रपट में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत का पर्दाफाश करते समय यह हुकूमत ‘मावनता की गुनाहगार’ होने का आरोप खुलेआम रखा गया है|

चीन की हुकूमत पर कडे आरोप रखते समय इस हुकूमत के विरोध में अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा दायर करने के लिए पर्याप्त सबुत होने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है| चीन की हुकूमत ने किया दमन और मानव अधिकारों के उल्लंघन का दायरा काफी बडा है और दुनिया में अपने की नागरिकों के विरोध में इतनी बडी मात्रा में अत्याचार करने का यह दुनिया का एक ही नमुना होगा, यह भी कहा गया है|

अमरिकी संसद ने राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प से चीन की हुकूमत कर रही अत्याचारों के मुद्दे पर गंभीरता से और शीघ्रता में ध्यान देने की सिफारीश की है| साथ ही चीन के साथ होनेवाली हर एक बातचीत में मानव अधिकार, धार्मिक आजादी और उघुरों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा सामने रखना होगा, यह मांग भी रखी है| पिछले वर्ष ट्रम्प शासन ने उघुरों के मुद्दे पर चीन के २८ उपक्रमों को ब्लैक लिस्ट करने की और उघुरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों में शामिल चीन के नेता और अफसरों के विरोध में व्हिसाबंदी करने का कडा निर्णय किया था|

Leave a Reply

Your email address will not be published.