‘क्वाड’ में भारत के लिए विकल्प के तौर अमरीका देगी दक्षिण कोरिया को स्थान – दक्षिण कोरिया की वृत्तसंस्था का दावा

सेऊल – रशिया के खिलाफ होने के लिए हमारे दबाव का भारत पर असर नहीं होता देखकर अमरीका अब अलग चाल चलने की तैयारी कर रही है| ‘क्वाड’ में अब तक के सबसे अहम भागीदार देश के तौर पर भारत का ज़िक्र करनेवाली अमरीका अब भारत के विकल्प के तौर पर दक्षिण कोरिया की ओर देख रही है| दक्षिण कोरिया की वृत्तसंस्था ने इसकी खबर जारी की है| इससे बायडेन प्रशासन के भारत विरोधी दांव फिर से सामने आए हैं|

‘क्वाड’दक्षिण कोरिया में चुनाव हुए और इसमें यून सूक-येओल जैसे आक्रामक नेता विजयी हुए हैं| उत्तर कोरिया और चीन के खिलाफ सूक-येओल ने काफी जहाल भूमिका अपनाई है| ऐसी स्थिति में अमरीका का बायडेन प्रशासन सूक-येओल के नेतृत्व में आनेवाले दक्षिण कोरिया को क्वाड से सहयोग करने का प्रस्ताव दे रहा है| अधिकृत स्तर पर अभी इसकी किसी ने पुष्टी नहीं की है| लेकिन, रशिया और भारत के संबंधों से नाराज़ हुई अमरीका क्वाड में भारत के लिए विकल्प के तौर पर दक्षिण कोरिया को देख रही है, ऐसे दावे दक्षिण कोरिया की एक वृत्तसंस्था ने किए हैं|

कुछ हफ्ते पहले क्वाड के राष्ट्रप्रमुखों की वर्चुअल बैठक हुई| इसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह अमरीका का कहना स्वीकारकर भारत ने रशिया के खिलाफ भूमिका अपनाने से इन्कार किया था| भारत के विरोध के कारण ही क्वाड की बैठक में रशिया का एकमुख से निषेध करना मुमकिन नहीं हुआ था| इस पर नाराज़ हुए अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने रशिया के खिलाफ भूमिका अपनाने से हिचकिचा रहा भारत क्वाड का एकमात्र देश होने का बयान किया था| इस पर भारत से तीखी प्रतिक्रिया दी गई थी| अमरीका के विदेश मंत्रालय ने इस पर स्थिति को संभालने की कोशिश की थी|

इसके बाद भारत और अमरीका के बीच टू प्लस टू चर्चा हुई| इस चर्चा में भी बायडेन प्रशासन ने भारत पर रशिया से ईंधन ना खरीदें, यह दबाव ड़ाला था| लेकिन, भारत के कई गुना ज्यादा ईंधन यूरोपिय देश रशिया से खरीद रहे हैं, इस पर भारत के विदेशमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया था| इसलिए भारत और अमरीका के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ है| इसी कारण भारत संबंधित अमरीका की नीति में बदलाव आने लगा है और ‘क्वाड’ को लेकर अमरीका भारत के खिलाफ निर्णय ले सकती है, यह दावा दक्षिण कोरिया की वृत्तसंस्था ने किया|

भारत और रशिया के सहयोग की वजह से बायडेन प्रशासन भारत विरोधी नीति अपना रहा है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं, यह सच है| लेकिन, यूक्रैन का युद्ध शुरू होने से पहले बायडेन प्रशासन ने भारत के खिलाफ गतिविधियॉं शुरू करने की बात स्पष्ट हुई थी| सत्ता की बागड़ोर संभालने के बाद बायडेन क्वाड की अहमियत घटाएंगे, ऐसा इशारा कुछ भारतीय विश्लेषकों ने काफी पहले दिया था| इसके अनुसार राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का ‘ऑकस’ संगठन बनाकर इससे भारत को दूर रखा था| इसके पीछे बायडेन की भारतविरोधी योजना होने की बात स्पष्ट हुई थी|

लेकिन, क्वाड संगठन चीन के वर्चस्ववाद को रोककर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने के लिए निर्माण की गई है| भारत के अलावा क्वाड के अन्य किसी भी देश की सीमा चीन से जुड़ी हुई नहीं है| इसकी वजह से अमरीका और अन्य देश कितनी भी कोशिश कर लें तब भी चीन के खिलाफ भारत जैसा अन्य विकल्प ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगा| बल्कि, भारत को हटाने से क्वाड का प्रभाव कम हो सकता है| इससे चीन की ताकत अधिक बढ़ेगी| पिछले कुछ सालों से चीन भारत से यह गुहार लगा रहा है कि, क्वाड में शामिल ना हो| इसके पीछे यही तर्क है| लेकिन, बायडेन का प्रशासन इस सच्ची बात पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है| इसके पीछे राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की चीन समर्थक राजनीति होने की कड़ी संभावना सामने आ रही है|

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