अमरीका की नौसेना पनडुब्बी से प्रक्षेपित किए जानेवाले ड्रोन से लैस होगी

वॉशिंग्टन – अमरीका की नौसेना १२० निगरानी ड्रोन्स से लैस हो रही है। ये ड्रोन्स पनडुब्बी से प्रक्षेपित किए जाएँगे और उससे नौसेना की क्षमता में बढ़ोतरी होगी, ऐसा दावा अमरीका के लष्करी विश्लेषकों द्वारा किया जाता है। अगले दो सालों में अमरीका की नौसेना इन ड्रोन्स से लैस हो जायेगी, ऐसा कहा जाता है।

us-aero-environmentअमरिकी नौसेना की सिस्टिम कमांड ने ड्रोन निर्माण करनेवाली ‘एरोविरॉंमेंट’ इस अमरिकी कंपनी के पास १२० ड्रोन्स की खरीद के लिए पूछताछ की है। अमरिकी नौसेना एरोविरॉमेंट से, जासूसी के लिए लगनेवाले ‘ब्लॅकविंग १०सी’ ड्रोन्स की खरीद करनेवाली है। इस इस संदर्भ में नौसेना और इस कंपनी के बीच चर्चा शुरू होकर, आनेवाले अगस्त महीने तक पहला ड्रोन अमरिकी पनडुब्बी पर बिठाया जाएगा। वहीं, अगले दो सालों में अमरिकी पनडुब्बियाँ ब्लॅकविंग से पूरी तरह लैस होंगी, ऐसा दावा किया जाता है।

पनडुब्बी की लॉंचिंग ट्यूब में प्रक्षेपित किया जानेवाला यह ड्रोन २७ इंच चौड़ा है; वहीं, इसका वजन महज १.८१ किलोग्रॅम इतना है। ड्रोन प्रक्षेपित करने के लिए पनडुब्बी को समुद्री सतह पर आने की जरूरत नहीं है। समुद्री तल पर रहकर भी पनडुब्बी से ड्रोन प्रक्षेपित किया जा सकता है। इलेक्ट्रो-ऑप्टीकल और इंफ्रारेड सेंसर से सुसज्जित होनेवाले ब्लॅकविंग के माध्यम से बहुत ही तेज़ी से जानकारी का आदान-प्रदान होता है, ऐसा दावा किया जाता है।

us-aero-environmentआकार से छोटे होने की वजह से और पानी के नीचे से प्रक्षेपित किए जाने के कारण इन ड्रोन्स को राडार से खोजना मुश्किल हो सकता है, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं। उसी में, नौसेना की पनडुब्बियों के साथ ही, ड्रोन पनडुब्बियों में से भी ब्लॅकविंग को प्रक्षेपित किया जा सकता है। इससे अमरीकी नौसेना की क्षमता में प्रचंड बढ़ोतरी होनेवाली है।

पनडुब्बी से निगरानी ड्रोन प्रक्षेपित करने की योजना पर अमरिकी नौसेना सन २०१३ से काम कर रही है। पिछले कुछ सालों के प्रयोग के बाद सन २०१९ से २०२० इन दो सालों की अवधि में ब्लॅकविंग का कड़ा परीक्षण किया गया। इसके लिए युएसएस ऍनापोलीस इस पनडुब्बी का इस्तेमाल किया गया था। इस परीक्षण के बाद ही यह ड्रोन नौसेना में शामिल करा लेने की प्रक्रिया शुरू होनेवाली है।us-aero-environment

इसके अलावा अमरिकी नौसेना मानवरहित पनडुब्बी तथा मानवरहित युद्धपोत से स्वार्म ड्रोन्स प्रक्षेपित करने की दिशा में भी तेजी से गतिविधियाँ कर रही है। इसके लिए अमरिकी नौसेना ने ‘रेदॉन’ कंपनी के साथ तीन करोड़ डॉलर्स से अधिक मूल्य का समझौता किया होने का दावा किया जाता है। इसके लिए रेदॉन के ‘कोयोटे’ इन ड्रोन्स की आवृत्तियों का चयन किया जाने की बात कही जाती है।

बता दें, चीन ने इससे पहले ही सागरी ड्रोन्स के क्षेत्र में तेजी से गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। उनमें से कुछ ड्रोन्स चीन ने अपने लष्करी संचलन में प्रदर्शित किए थे। वहीं, हिंद महासागर क्षेत्र में भी चीन सागरी ड्रोन्स तैनात करने की तैयारी में होने की खबरें जारी हुईं थीं। कुछ महीने पहले इंडोनेशिया के मच्छिमारों ने चीनी ड्रोन्स पकड़े होने की जानकारी सामने आई थी। साथ ही, चीन ने अपनी सागरी सीमा में स्वार्म ड्रोन्स का परीक्षण भी किया था।

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