ईरान की इंधन, क्षेपणास्त्रों की तस्करी पर अमेरिकन नौसेना की बड़ी कार्रवाई

वॉशिंग्टन – अमरीका की नौसेना ने ईरान की इंधन और क्षेपणास्त्रों की तस्करी पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। ईरान ने यमन के हाउथी बागियों के लिए अवैध रूप से निर्यात किये हुए डेढ़ सौ से अधिक क्षेपणास्त्र कब्जे में लेने की बात अमरीका के विधि विभाग ने घोषित की। वियना में ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर जारी चर्चा संकट में पड़ी होने की खबरें आ रही हैं। ऐसे समय अमरीका के विधि विभाग ने ईरान की क्षेपणास्त्र तथा इंधन तस्करी की जानकारी सार्वजनिक की है।

अमेरिकन नौसेनाअमरीका की नौसेना ने नवंबर २०१९ और फरवरी २०२०, ऐसी दो अलग-अलग घटनाओं में अरबी समुद्र में बड़ी छापेमारी की। इनमें से सन २०१९ की कार्रवाई में, ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्ड्स ने यमन के हाउथी बागियों के लिए रवाना किया हथियारों का भंडार, अमरीका की नौसेना ने जब्त किया। इनमें ज़मीन से हवा में दागे जानेवाले १७१ क्षेपणास्त्र, आठ टैंकभेदी क्षेपणास्त्र, विध्वंसकभेदी क्रूझ् क्षेपणास्त्र तथा अन्य सामग्रियों का समावेश था, ऐसी जानकारी अमरीका के विधि विभाग ने जारी की।

वहीं, सन २०२० में फिर एक बार अरबी समुद्र में ही की गई कार्रवाई में ११ लाख बॅरेल्स इंधन की तस्करी करनेवाले चार जहाज़ अमरीका की नौसेना ने कब्ज़े में लिए। विदेशी टैंकर के नाम पर ईरान अवैध रूप में वेनेजुएला के लिए यह ईंधन की अवैध निर्यात कर रहा था, ऐसा आरोप अमरीका के विधि विभाग ने किया। इंधन का यह जब्त किया हुआ भांडार कब्ज़े में लेकर, बाद में उसकी २ करोड़ ६० लाख डॉलर्स में बिक्री की गई। साथ ही, आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के लिए इस निधि का इस्तेमाल किया गया, ऐसी जानकारी विधि विभाग ने दी।

अमरीका की यह कार्रवाई ईरान और ईरान का गुनाहगारी नेटवर्क चलानेवाले रिव्होल्युशनरी गार्ड्स के लिए जबरदस्त झटका देनेवाली साबित हुई, ऐसा दावा अमरिकी विधि विभाग के सहायक अ‍ॅटर्नी जनरल मॅथ्यू ओल्सन ने किया। इस तस्करी में सहभागी होनेवाले ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्ड्स की सेना को अमरीका ने ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित किया है। इस कारण अमरिकी नौसेना की यह कार्रवाई पूरी तरह वैध और अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार थी, ऐसा अमरीका ने कहा है।

अमेरिकन नौसेनासन २०१९ में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने रिव्होल्युशनरी गार्ड्स को आतंकवादी संगठनों की लिस्ट में शामिल किया था। खाड़ी क्षेत्र के आतंकवादी कारनामों में ईरान का यह लष्करी गुट सहभागी है, यह बताकर ट्रम्प प्रशासन ने यह कार्रवाई की थी। उसके बाद ईरान ने भी, खाड़ी क्षेत्र में मौजूद अमरीका की सेना को ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित करके प्रत्युत्तर दिया था।

बता दें, यमन के हाउथी बागी, सऊदी अरब तथा अन्य अरब देश और उनके हितसंबंधों पर क्षेपणास्त्र हमले कर रहे हैं। दो ही दिन पहले, हाउथी के बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र सऊदी की राजधानी रियाध तक आकर गिरे थे। ईरान का रिव्होल्युशनरी गार्ड्स इन हाउथी बागियों को शस्त्रसिद्ध कर रहा होने का आरोप अमरीका, इस्रायल और सऊदी ने किया था। ईरान ने उस पर लगाए गए ये आरोप ठुकराए थे।

इन दिनों वियना में ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर अमरीका की चर्चा जारी है। परमाणु समझौते में शामिल होने के लिए ईरान ने की माँगों के कारण यह चर्चा स्थगित होने का दावा किया जाता है। ऐसी परिस्थिति में, अमरीका के विधि विभाग ने साल भर पहले की जानकारी सार्वजनिक करके ईरान पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की दिख रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.