अमरिकी रक्षा विभाग कर रहा है ‘एआय स्वार्म ड्रोन्स’ प्राप्त करने की कोशिश

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंग्टन: पिछले दशक से अमरिका चला रही रक्षा मुहीम में ड्रोन्सका इस्तेमाल काफी मात्रा में हो रहा है| ऐसे में अब अमरिका ने ड्रोन्समें आर्टिफिशल इंटेलिजन्सतकनीक का प्रयोग करने की कोशिश शुरू की है| अपने आप ही लक्ष्य की पहचान करनेवाले एवं जरूरत पडने पर रक्षा एवं रिहाई की कोशिश करने में सक्षम एआय स्वार्म ड्रोन्सका निर्माण करने के लिए अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने निविदा मंगवाई होने की बात सामने आयी है| तीन वर्ष पहले पेंटॅगॉनने स्वार्म ड्रोन तकनीकका सफल परीक्षण किया था| इस पृष्ठभूमि पर शुरू हुई नई गतिविधियां ध्यान आकर्षित कर रही है|

अमरिकी रक्षा विभाग का उपक्रम होनेवाले जॉईंट आर्टिफिशल इंटेलिजन्स सेंटरने दिसंबर महीने में एक निविदा प्रसिद्ध की है| इसमें आर्टिफिशल इंटेजिलन्सऔर स्वार्म ड्रोन्सकी प्रगत तकनीक उपलब्ध करवाने का निवेदन किया गया है|

इन दोनों प्रगत तकनीक से निर्माण होने वाला एआय स्वार्म ड्रोनस्वयं को आवश्यकता के अनुसार निदेशित करनेवाले एवं किसी भी व्यक्ति की खोज, गश्त करनेवाले होना आवश्यक रहेगा, यह शर्थ रखी गई है| साथ ही प्रति घंटा ९३ किलोमीटर गति से लगभग ३४० चौरस किलोमीटर्स से भी अधिक क्षेत्र पर नजर रखने की क्षमता और कम से कम दो घंटे हवां में उडान भरने की क्षमता यह ड्रोन्स रखना जरूरी है, यह बात भी जॉईंट आर्टिफिशल इंटेलिजन्स सेंटरकी इस निविदा में दर्ज की गई है|

नए एआय स्वार्म डोन्सयह सर्च ऍण्ड रेस्न्यू मिशनके लिए इस्तेमाल किए जाएंगे, यह जानकारी अमरिकी रक्षा विभाग ने साझा की है| साथ ही सायबरस्पेस ऍण्ड रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशनका समावेश भी इन ड्रोन्स की क्षमता में होना आवश्यक रहेगा| पर, इस मुद्दे पर अधिक जानकारी साझा नही की गई है| हवां, जमीन, पानी ऐसी किसी भी जगह से उडान भरने की क्षमता यह ड्रोन्स रखना जरूरी है, यह भी जॉईंट आर्टिफिशल इंटेलिजन्स सेंटरने कहा है|

फिलहाल दुनिया में बडी मात्रा में इस्तेमाल हो रहे ड्रोनकी तकनीकी क्षेत्र में अमरिका शीर्ष स्थान पर होने की बात समझी जा रही है| पर, रशिया और चीन जैसे देश अमरिका को पीछे ढकलने के लिए कडी कोशिश कर रहे है और दोनों देशों ने आर्टिफिशल इंटेलिजन्सएवं स्वार्म ड्रोन्सतकनीक का निर्माण किया है, यह भी कहा जा रहा है| इस वजह से इस क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वि देशों से पीछे ना रह जाए, इस लिए अमरिका ने भी गतिविधियां शुरू की हुई दिख रही है|

इससे पहले वर्ष २०१७ में अमरिका ने स्वार्म ड्रोन्सतकनीक का सफल परिक्षण करने का ऐलान किया था| ‘स्वार्म तकनीकपर आधारित १०३ मायक्रोड्रोन्सका परिक्षण करने की बात अमरिका ने बताई थी| इस परिक्षण से सामुहिक निर्णय क्षमताके साथ एडाप्टिव्ह फॉर्मेशन फ्लाईंगएवं सेल्फ हिलिंगजैसी प्रगत स्वार्म तकनीक का प्रयोग कामयाब साबित होने की जानकारी रक्षा विभाग ने उस समय साझा की थी|

यह स्वार्म ड्रोन्स शत्रु की हवाई यंत्रणाओं को भी चकमा देने के लिए शत्रु के राडार जैमकरने के लिए बडी मात्रा में गश्त एवं हमलें के लिए भी इस्तेमाल करना मुमकिन होगा, यह बात अमरिकी अफसरों ने स्पष्ट की थी| ‘स्वार्म ड्रोन्सतकनीक का निर्माण करने के बाद अमरिका ने मगज के जरिए नियंत्रित हो सके ऐसे ड्रोन्सविकसित करने की कोशिश शुरू की है, यह बात भी हाल ही में सामने आयी थी| ‘डिफेन्स एडव्हान्स रिसर्च प्रोजेक्टस् एजन्सी(डीएआरपीए डार्पा) इस खोज से जुडी होने की बात पिछले वर्ष कही गई थी|

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