ऑस्ट्रेलिया-चीन विवाद में अमरीका का ऑस्ट्रेलिया को समर्थन

वॉशिंग्टन/कॅनबेरा, (वृत्तसंस्था) – ‘कोरोना की स्वतंत्र तहकिक़ात की माँग करनेवाली ऑस्ट्रेलिया को चीन ने आर्थिक परिणामों की धमकी दी। यह ठीक नहीं है और इस मामले में हम ऑस्ट्रेलिया के साथ दृढ़तापूर्वक खड़े हैं’, ऐसे शब्दों में अमरीका के विदेशमंत्री माईक पॉम्पिओ ने, ऑस्ट्रेलिया-चीन विवाद में अमरीका ऑस्ट्रेलिया के साथ होने का यक़ीन दिलाया। इसी बीच, चीन के साथ जारी राजनैतिक संघर्ष की पृष्ठभूमि पर, ऑस्ट्रेलिया ने भारत से सहयोग बढ़ाने के संकेत दिये होकर, अगले महीने दो देशों के प्रधानमंत्रियों में अहम मुद्दों पर चर्चा होनेवाली है।

पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना महामारी के मुद्दे को लेकर आक्रमक भूमिका अपनायी थी। संक्रमण की जड़ और अन्य बातों की ‘डब्ल्यूएचओ’ यानी ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन’ द्वारा तहकिक़ात करने की माँग ऑस्ट्रेलिया ने की थी। ‘डब्ल्यूएचओ’ में इसके मामले में प्रस्ताव रखने के लिए भी ऑस्ट्रेलिया ने पहल की। ऑस्ट्रेलिया की इन गतिविधियों पर चीन ने तीव्र प्रतिक्रिया दी थी।

ऑस्ट्रेलिया ने यदि ‘डब्ल्यूएचओ’ में प्रस्ताव रखा, तो उसे बड़ा आर्थिक नुकसान सहना पड़ेगा, ऐसी धमकी चीन द्वारा दी गयी थी। लेकिन चीन की ओर अनदेखा करके ऑस्ट्रेलिया अपनी भूमिका पर डटा रहा। इस कारण ग़ुस्सा हुए चीन ने ऑस्ट्रेलिया के उत्पादों पर सीधे ८० प्रतिशत कर थोपने का ऐलान किया।

चीन की इस कार्रवाई का जवाब देते समय ऑस्ट्रेलिया ने, ठेंठ जागतिक व्यापार संगठन में शिक़ायत करने की चेतावनी दी। इस मामले में अमरीका ऑस्ट्रेलिया के साथ है, यह विदेशमंत्री पॉम्पिओ के बयान से स्पष्ट हुआ है। अमरीका के साथ ही अमुअ देश भी इस मुद्दे पर अपना साथ दें, इसलिए ऑस्ट्रेलिया ने गतिविधियाँ शुरू कीं हैं।

चीन ने उत्पादों पर कर थोपने के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया सहयोग की ख़बर सामने आना महत्त्वपूर्ण है। इससे पहले अमरीका की पहल से स्थापन हुए ‘क्वाड’ गुट के तहत ऑस्ट्रेलिया और भारत में सहयोग बढ़ने की शुरुआत हुई है। चीन कीं एशिया-पॅसिफिक क्षेत्र में चल रहीं हरकतों पर रोक लगाने के लिए अमरीका ने इस गुट का गठन किया होकर, उसमें अमरीका के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान का समावेश है। इससे यही संकेत अब मिल रहे हैं कि चीन के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया और भारत की भूमिका समान होकर, सहयोग बढ़ाने के लिए यही घटक अहम साबित होगा।

चीन ने ऑस्ट्रेलिया को धमकी देने के बाद भारत ने ऑस्ट्रेलियन उत्पादों की खरीद करने की तैयारी दर्शायी है। इस कारण, इस मामले में ऑस्ट्रेलिया को राहत मिली है। इससे पहले, कोरोना महामारी के मुद्दे पर भी ऑस्ट्रेलिया और भारत में चर्चा हुई थी, ऐसी जानकारी सामने आयी है। साथ ही, भारत की निर्यात के सिलसिले में होनेवाले कुछ अड़ंगे भी ऑस्ट्रेलिया ने हटाये हैं।

इस पृष्ठभूमि को मद्देनज़र रखते हुए, आनेवाले समय में चिनी आक्रमकता और मग़रूरी का मुद्दा भारत और ऑस्ट्रेलिया को अधिक क़रीब लाने में अहम साबित हो सकता है। इसके लिए अमरीका भी पहल कर सकती है, ऐसी संकेत भी मिल रहे हैं। अमरीका के विदेश विभाग की मध्य और दक्षिण एशिया के लिए होनेवालीं उपमंत्री एलिस वेल्स ने, भारत को मार्केट से संबंधित नीति अधिक आसान और सहज बनाने की सूचना की। इसमें कोरोना महामारी का संदर्भ देकर, केवल अमरीका ही नहीं, बल्कि युरोप एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ के संबंध सुधारने पर ध्यान दें, ऐसा बयान भी वेल्स ने किया। इसमें ऑस्ट्रेलिया का उल्लेख महत्त्वपूर्ण होकर, कोरोना का संदर्भ चीन की ओर निर्देश करता है।

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