इस्रायलद्वेषी भूमिका अपनानेवाले संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवाधिकार आयोग की बैठक से अमेरिका निकल जाएगा

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संयुक्त राष्ट्रसंघ – इस्रायल के विरोध में पूर्वग्रह दूषित भूमिका अपनाने का आरोप लगाकर अमेरिका संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवाधिकार आयोग की बैठक से निकलने तैयारी कर ली है। अधिकृत स्तर पर अमेरिका ने चाहे यह घोषणा न की हो फिर भी जल्द ही इस बारे में निर्णय घोषित किया जाएगा, ऐसा अमेरीकी राजनीतिक अधिकारी द्वारा कहे जाने की बात वृत्तसंस्थाओं ने कही है। लगभग तीन महीने पूर्व अमेरिका के संयुक्त राष्ट्रसंघ के राजदूत निक्की हैले ने मानवाधिकार आयोग को इस्रायल को प्रताडित करने की भूमिका पर अमेरिका के संयम की सीमा की बात कहकर कडा इशारा दिया था।

१८ जून से मानवाधिकार आयोग की तीन सप्ताह की बैठक जिनिवा में शुरु होगी। इस बैठक से निकलकर अमेरिका आयोग के इस्रायलद्वेषी भूमिका को निशाना बनाएगी ऐसी चर्चा की जा रही हैं। अमेरिका के राजनैतिक अधिकारियों द्वारा यह जानकारी दिए जाने का दावा वृत्तसंस्थाओं ने किया। उन अधिकारियों के नाम जाहिर नहीं किए गए हैं। पर पिछले कई महीनों से अमेरिका द्वारा मानवाधिकार आयोग के विरोध में आक्रमक भूमिका अपनाए जाने से अमेरिका निश्चितरूप से ऐसा निर्णय ले सकता है, ऐसा दावा वृत्तसंस्थाएं कर रही हैं। पहले भी अमेरिका ने ऐसा निर्णय लिया था, इसकी याद दिलाई जा रही है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ

सन २००६ से मानवाधिकार आयोग की बैठकें होने लगीं और इस बैठक में इस्रायलविरोधि एकसूत्री कार्यक्रम होता है, अमेरिका ऐसा आरोप लगा रही है। इसीलिए राष्ट्राध्यक्ष जॉर्ज बुश के कार्यकाल में अमेरिका ने तीन वर्ष मानवाधिकार आयोग की बैठक को बहिष्कृत किया था। पर सन २००९ में बराक ओबामा जब अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष थे तब अमेरिका पुन: इस आयोग की बैठक में शामिल हुआ था। मगर ट्रम्प प्रशासन मात्र जोरदार आरोप लगाने लगा कि, राष्ट्रसंघ का मानवाधिकार आयोग इस्रायलद्वेषी भूमिका अपना रहा है और अन्य देशों के मानवाधिकारों के हनन को नजरंदाज कर रहा है।

हाल में गाजा पट्टी के पैलेस्टीनी निदर्शक इस्रायल के विरोध में जोरदार निदर्शन कर रहे हैं और इन हिंसक निदर्शनों पर इस्रायल ने कार्यवाही शुरु कर दी है। इस हिंसाचार का संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा निषेध किया गया और यह मानवाधिकारों का हनन माना जाता है, ऐसा दावा किया जाता है। इस प्रश्न पर अमेरिका एवं इस्रायल अकेले पड गए थे, ऐसा प्रतीत हो रहा था। अमेरिका के राजदूत निक्की हैले ने टीका की थी कि, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद एवं मानवाधिकार आयोग को गाजा पट्टी के हमास और अन्य संघटनाओं द्वारा किए जानेवाले हिंसाचार दिखाई नहीं देते, अरब देशों के मानवाधिकारों के हनन भी उन्हें दिखाई नहीं देते। इसके विपरीत मानवाधिकारों के बारे में अच्छे इतिहासवाले इस्रायल की कार्यवाईयां उनकी नजरों में आती हैं, ऐसा आरोप हैले ने लगाया था।

मानवाधिकार आयोग इस्रायलद्वेषि भूमिका अपना रहा है इसलिए इस्रायल के नहीं बल्कि मानवाधिकार आयोग की विश्वसनीयता धूल में मिल रही है ऐसी टीका हैले ने की थी। इसी तरह निरंतर इस्रायल के विरोध में प्रस्ताव संमत करनेवाले मानवाधिकार आयोग को निर्वाण का इशारा देते हुए हैले ने आगाह किया था कि, हमारे संयम की सीमा है। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने भी इराण जैसे देश के कार्यवाईयों को नजरंदाज करके इस्रायल के विरोध में भूमिका अपनानेवाले संयुक्त राष्ट्रसंघ को दुतकारा था। ऐसे पक्षपाती धारणा की वजह से संयुक्त राष्ट्रसंघ प्रभावहीन होने की टीका अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने की थी।

इस दौरान ’अमेरिका आयोग के बैठक से निकल गया तो इसे बहुत बडा झटका माना जाएगा’, ऐसा स्विट्जरलैंड के राजदूत ’वैलेंटिन जेलवेगर’ ने कहा। इसी तरह आयोग के सभी सदस्यदेश मानवाधिकारों के बारे में अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं रहे हैं, यह अमेरिका द्वारा लगाया गया आरोप सच होने की कबूली भी जेलवेगर ने दी है।

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