सौदी और पाक़िस्तान को अमरीका की कड़ी चेतावनी

सौदी और पाक़िस्तान के बीच आण्विक सहकार्य की संभावना पर अमरिकी विदेशमंत्री ने दर्शायी नाराज़गी

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इराण के साथ हुए अमरिकी परमाणुसमझौते के विरोध में जाकर यदि सौदी अरेबिया ने परमाणु-अस्त्रधारी पाक़िस्तान की सहायता लेने की कोशिश की, तो दोनों देशों को उसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरीका ने दी है। अमरीका के विदेशमंत्री जॉन केरी ने सौदी अरेबिया और पाक़िस्तान के आण्विक सहकार्य के ख़िलाफ़ तीव्र नाराज़गी दर्शायी है। पाक़िस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ एवं लष्करप्रमुख जनरल राहील शरीफ़ हाल ही में सौदी अरेबिया के दौरे पर गये थे। उस पृष्ठभूमि पर, केरी ने दी हुई यह चेतावनी औचित्यपूर्ण साबित हो रही है। लेकिन केरी की इस चेतावनी के बाद भी सौदी के विदेशमंत्री ने ‘हमारा देश परमाणु-अस्त्रों के लिए कोशिश करेगा’ ऐसा घोषित किया है।

चार दिन पहले अमरीका तथा युरोपीय महासंघ ने, ईरान पर लगाये निर्बंधों को हटा देने की घोषणा की। ईरान और पश्चिमी देशों के बीच हुए परमाणुसमझौते का यह एक अहम पड़ाव माना जाता है। लेकिन ईरान को निर्बंधमुक्त करने के अमरीका के फैसले से सौदी अरेबिया सहमत नहीं है। ईरान पर के निर्बंध हटाने की घोषणा की जाने से पहले अमरीका के विदेशमंत्री जॉन केरी ने लंडन में सौदी अरेबिया के विदेशमंत्री अदेल-अल-ज़ुबैर से मुलाक़ात की थी। उस समय केरी ने ईरान के बारे में सौदी को आश्वस्त करने की कोशिश की थी। लेकिन सौदी अपनी भूमिका पर अड़िग रहा होने की जानकारी पश्चिमी माध्यमों ने प्रकाशित की थी।

इस पृष्ठभूमि पर, केरी ने अमरीका की ‘सीएनएन’ इस वृत्तवाहिनी को दिये हुए इंटरव्ह्यू में सौदी अरेबिया को खरी खरी सुनायी। सौदी अरेबिया पाक़िस्तान से परमाणुअस्त्र संपादन करने की तैयारी में है ऐसा कहा जाता है, इस प्रश्न पर अमरीका के विदेशमंत्री जॉन केरी ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। ‘परमाणुअस्त्र हासिल करना यह आसान बात नहीं है। यदि परमाणुअस्त्रों की ख़रीदारी या बिक्री हो गयी, तो ‘परमाणुप्रसारबंदी विधेयक’ का उल्लंघन होगा और उसकी विरोधी कार्रवाई का सौदी को सामना करना पड़ेगा’ ऐसी चेतावनी केरी ने इस समय दी। सौदी को भी परिणामों का एहसास है। यदि ऐसा किया, तो सौदी भी सुरक्षित नहीं रहेगा, ऐसा भी केरी ने कहा।

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साथ ही, पिछले कई सालों से परमाणुप्रसारबंदी क़ानून का उल्लंघन करनेवाले ईरान पर जिस प्रकार कार्रवाई की गयी, उसी प्रकार सौदी को भी वैसी ही कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, ऐसी चेतावनी अमरीका के विदेशमंत्री ने दी। उसी समय, यदि पाक़िस्तान ने सौदी को परमाणुअस्त्र या उससे संबंधित तंत्रज्ञान की आपूर्ति कर ‘परमाणुप्रसारबंदी विधेयक’ का उल्लंघन किया, तो पाक़िस्तान को सख़्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, ऐसी चेतावनी केरी ने पाक़िस्तान को भी दी। पाक़िस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के सौदी के दौरे पर रहते केरी की यह चेतावनी प्रकाशित हुई थी।

कुछ महीने पूर्व पश्चिमी अख़बारों ने, सौदी पाक़िस्तान से परमाणुअस्त्र ख़रीदने की तैयारी में है, ऐसीं ख़बरें छापी थीं। इस वृत्त का पाक़िस्तान तथा सौदी ने भी खंडन किया था। लेकिन ईरान का परमाणुकार्यक्रम रोकने में यदि पश्चिमी देश असफल हुए, तो सौदी भी परमाणुअस्त्रसिद्ध हुए बिना नहीं रहेगा, ऐसा सौदी ने ज़ोर देकर कहा था। उस पृष्ठभूमि पर, सौदी एवं पाक़िस्तान के बीच के इस आण्विक सहकार्य की ख़बर की ओर देखा जा रहा है।

सौदी और पाक़िस्तान के बीच के निकटतम सहकार्य को मद्देनज़र रखते हुए, दोनों देशों के बीच इस प्रकार का खुफ़िया सहकार्य प्रस्थापित हुआ होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। फिलहाल पाक़िस्तान की अर्थव्यवस्था भयंकर स्थिति में होकर, अगले कुछ सालों में पाक़िस्तान दिवालिया बन जायेगा, ऐसा कहा जाता है। ऐसी हालत में, यदि पाक़िस्तान सौदी के साथ आण्विक सहकार्य करता है, तो उसके बदले में सौदी से प्राप्त होनेवाली सहायता के बलबूते पर पाक़िस्तान की अर्थव्यवस्था और कुछ समय तक उत्तरजीवित रह सकती है। लेकिन सौदी की इस माँग को यदि पाक़िस्तान अस्वीकृत करता है, तो सौदी में कार्यरत रहनेवाले लाखों पाक़िस्तानी कर्मचारियों का रोज़गार ख़तरे में पड़ सकता है।

इस कारण, सौदी के बहुत बड़े प्रभाव के तले रहनेवाला पाक़िस्तान, सौदी से इस संदर्भ में मिलनेवाली ‘ऑफर’ को ठुकराने की स्थिति में नहीं है। पाक़िस्तान के परमाणुकार्यक्रम का जनक माने जानेवाले परमाणुवैज्ञानिक डॉ. ए. क्यु. खान ने कुछ देशों को अवैध रूप में परमाणुतंत्रज्ञान की आपूर्ति की होने का आरोप सिद्ध हुआ था। उस पृष्ठभूमि पर, अमरीका के विदेशमंत्री ने सौदी के साथ साथ पाक़िस्तान को दी यह चेतावनी बहुत ही मायने रखती है।

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