केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारामन ने किया ‘बैड बैंक’ का ऐलान – बैंक को सरकार ३०,६०० करोड़ रुपयों की सहायता प्रदान करेगी

नई दिल्ली – बैंकों के डुबे हुए कर्ज के व्यवस्थापन के लिए ‘बैड बैंक’ के गठन का केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने गुरूवार के दिन ऐलान किया। ‘नैशनल एसेट रि-कन्स्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (एनएआरसीएल) नाम से इस ‘बैड बैंक’ को पहचाना जाएगा और इस बैंक के लिए सरकार ३०,६०० करोड़ रुपयों की गारंटी प्रदान कर रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह निर्णय किया है। इस ‘बैड बैंक’ के हाथ में कुल २ लाख करोड़ रुपयों के डूबे हुए कर्ज़ की वसूली का ज़िम्मा दिया जाएगा। आरंभिक चरण में ९० हज़ार करोड़ रुपयों के डूबे हुए कर्ज़ इस बैंक को दिए जाएँगे, यह जानकारी वित्तमंत्री सीतारामन ने प्रदान की। इसके साथ ही सरकार ‘इंडिया डेट रिज़ोल्यूशन कंपनी लिमिटेड’ (आयडीआरसीएल) यानी भारत कर्ज़ निवारण कंपनी का भी गठन किया जाएगा, ऐसा सीतारामन ने कहा है।

‘बैड बैंक’देश की बैंकों के सामने डूबे हुए कर्ज की खड़ी हुई बड़ी समस्या का हल निकालने के लिए ‘बैड बैंक’ का गठन करने की तैयारी में सरकार है, यह खबरें बीते वर्ष से प्राप्त हो रहीं थी। इस वर्ष के बजट में इससे संबंधित अधिकृत ऐलान किया गया था। डूबे हुए कर्ज़ की समस्या को संभालने के लिए एवं कर्ज़ को खत्म करने के लिए ‘एनएआरसीएल-आयडीआरसीएल’ जैसी संरचना की आवश्‍यकता का बयान सरकार ने किया था।

इस पृष्ठभूमि पर ‘एनएआरसीएल’ यानी ‘बैड बैंक’ संबंधित बड़ा ऐलान सरकार ने गुरूवार के दिन किया है। बैड बैंक के गठन के लिए सरकार गारंटी के तौर पर ३०,६०० करोड़ रुपये प्रदान कर रही है। किसी भी डूबे हुए कर्ज की यानी ‘नॉन परफॉर्मिंग एसेट’ (एनपीए) का हल निकालनेवाली एवं इन डूबे हुए कर्जों का व्यवस्थापन करनेवाली प्रणाली को सरकारी सहायता की आवश्‍यकता होती है। इससे संबंधित प्रणाली का भरोसा बढ़ता है। इससे बैंक अपने डूबे हुए कर्जे इस बैंक को भरोसे के साथ हस्तांतरित कर सकेगी। सरकार का आधार देने के पीछे यही कारण होने की बात सीतारामन ने कही।

सरकार द्वारा गठित हो रही ‘बैड बैंक’ की ५१ प्रतिशत भागिदारी सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक (पीएसबी) के हाथों में रहेगी। ‘एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनी’ यानी ‘बैड बैंक’ इन बैंकों से डूबे हुए कर्ज को खरीद सकेगी, इसके बाद अलग अलग मार्गों से इन कर्ज़ का बकाया वसूला जाएगा। आम तौर पर कोई भी ‘बैड बैंक’ डूबे हुए कर्ज खरीद करने के लिए बैंक को मात्र १५ प्रतिशत राशि ‘सिक्युरिटी रिसिप्ट’ के स्वरूप में देती है। सरकार ने ‘सिक्युरिटी रिसिप्ट’ के स्वरूप में ही ‘बैड बैंक’ को ३०,६०० करोड़ रुपयों की सहायता प्रदान करने का निर्णय किया है।

बीते छह वर्ष से सरकार रेकग्निशन, रिज़ोल्यूशन, रिकैपिटलाइज़ेशन और रिफॉर्म इन चार नीतियों के अनुसार काम कर रही है। यानी मान्यता, निपटारा, पुन:पूँजीकरण और सुधार इन चार तत्वों के अनुसार काम करके डूबे हुए कर्ज की समस्या का हल निकालने पर सरकार का पूरा जोर रहा है। इसके ज़रिये बीते छह वर्षों में सरकार ने ५ लाख १ हज़ार ४७९ करोड़ रुपयों के डूबे हुए कर्ज की वसुली की है। इनमें से १ लाख करोड़ रुपयों के कर्ज बैंकों ने ‘राईट ऑफ’ किए थे, यह जानकारी सीतारामन ने इस दौरान साझा की। वर्ष २०१८ से ही तीन लाख करोड़ रुपयों के कर्ज की वसूली हुई है। इस वजह से बैंकों की स्थिति में काफी सुधार आया है। उनके एसेट यानी संपत्ति में सुधार आया है, यह बात केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारामन ने इस दौरान रेखांकित की।

इसी बीच, देश में २८ निजी एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनियाँ (एआरसी) मौजूद हैं। लेकिन, यह कंपनियाँ बड़े रकम के डूबे हुए कर्ज़ का हल निकालने में सक्षम नहीं हैं। यह कंपनियाँ प्रमुखता से छोटे रकम के डूबे हुए कर्जों की समस्या का हल निकालती हैं। लेकिन, बीते कुछ वर्षों में बैंको के ‘एनपीए’ की गंभीर समस्या को देखकर एक राष्ट्रीय ‘एआरसी’ की आवश्‍यकता महसूस हो रही थी। इस वजह से ‘नैशनल एसेट रि-कन्स्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (एनएआरसीएल) का गठन किया जा रहा है। इसके लिए ‘आरबीआय’ में पंजीकरण करने के लिए निवेदन भी दाखिल किया गया हैं, ऐसा सीतारामन ने कहा।

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