जापान के साथ ‘करंसी स्वैप’ समझौते को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी

नई दिल्ली – केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जापान के साथ ७५ अरब डॉलर्स के ‘करन्सी स्वैप’ समझौते को मंजूरी दी है| भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनकी जापान यात्रा के दौरान दोनों देशों में इस संबंधी समझौता हुआ था| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चलन युद्ध की शुरूआत होने के दावे किए जा रहे है, तभी भारत और जापान के बीच हुआ यह समझौता अर्थ शास्त्री और विश्‍लेषकों का ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हुआ था| इस समझौते की वजह से भारत का विदेश मुद्रा भांडार स्थिर रहेगा, यह अर्थ शास्त्री कह रहे थे|

गुरूवार के दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जापान के साथ हुए इस समझौते को मंजूरी दी गई| भारत की रिझर्व्ह बैंक और जापान की मध्यवर्ती बैंक के दरमियान यह समझौता हुआ था| पिछले वर्ष अक्तूबर महीने में भारत के प्रधानमंत्री जापान की यात्रा पर गए थे| इस दौरान दोनों देशों में ७५ अरब डॉलर्स का ‘करन्सी स्वैप’ समझौता हुआ था| इस वजह से दोनों देश एक दुसरे के साथ अपने अपने चलनों का इस्तेमाल व्यापार में कर सकेंगे| इसके लिए डॉलर की जरूरत नही रहेगी| इस वजह से दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक कारोबर अधिक सहजता से हो सकेगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया गया था| इससे दोनों देशों की विदेशी मुद्रा भांडार अधिक स्थिर होगी, यह विश्‍लेषकों ने कहा था|

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भारत और जापान के बीच आर्थिक स्तर के सहयोग के लिए ‘करन्सी स्वैप’ समझौता काफी अहम साबित होगा| इस समझौते से दोनों देशों ने एक दुसरे पर बना विश्‍वास और भी पुख्ता किया है, यह अर्थ शास्त्री कह रहे है| खास करके जागतिक स्तर पर चलन युद्ध शुरू होते हुए भारत और जापान में स्थापित हुआ यह चलन के संबंधी सहयोग काफी अहम साबित होगा, यह निरिक्षकों का कहना है| अमरिका ने रशिया पर लगाए आर्थिक प्रतिबंधों के बाद उसे प्रत्युत्तर देने के लिए रशिया ने अन्य देशों के साथ शुरू अपने व्यापार में डॉलर का इस्तेमाल कम किया है|

इसके लिए रशिया ने कई अहम समझौते किए थे| साथ ही चीन ने भी अपने ‘युआन’ का इस्तेमाल बढाने के लिए जागतिक स्तर पर कोशिश शुरू की थी| इस तरह रशिया और चीन यह देश और ईरान जैसा ईंधन का व्यापारी देश डॉलर को चुनौती देने के लिए निर्णय कर रहे है, तभी बने अस्थिर माहौल में भारत और जापान में यह समझौता हुआ है, यह सिर्फ संजोग नही है, ऐसा जानकार कह रहे है|

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