संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव ठुकराया

न्यूयॉर्क – ईरान पर लगाए गए हथियारों के प्रतिबंधों की समय सीमा बढ़ाने के लिए अमरीका ने रखा प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने ठुकराया है। शुक्रवार के दिन सुरक्षा परिषद में हुआ यह निर्णय यानी अपनी बड़ी जीत है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमरीका अलग थलग हुई है, यह दावा ईरान कर रहा है। तभी इस निर्णय की वजह से अमरीका के लिए ईरान पर ‘स्नैपबैक’ प्रतिबंध लगाने का मार्ग खुला होने की बात कही जा रही है। अगले सप्ताह में अमरीका ईरान पर यह प्रतिबंध लगाने का निर्णय कर सकती है।

US-iran-un-securityवर्ष 2015 में हुए परमाणु समझौते के नियमों का उल्लंघन करके ईरान मिसाईल कार्यक्रम चला रहा है, यह आरोप अमरीका ने किया था। इस पृष्ठभूमि पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की ओर ईरान पर लगाए गए हथियारों के प्रतिबंधों की समय सीमा बढ़ाने की माँग अमरीका ने की थी। अक्तूबर महीने में ईरान पर लगाए गए यह प्रतिबंध की समय सीमा ख़त्म हो रही है। इससे पहले इन प्रतिबंधों की समय सीमा बढ़ाने की योजना अमरीका ने तैयार की थी। तभी ईरान पर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध लगाए गए तो इसके बाद गंभीर परिणामों का सामना करना होगा और इसके लिए ईरान के हाथ में कोई विकल्प उपलब्ध ना होने की धमकी ईरान ने दी थी।

इसी कारण सुरक्षा परिषद की इस बैठक की ओर सभी की नज़रें लगी थीं। शुक्रवार के दिन सुरक्षा परिषद की बैठक में ईरान पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमरीका को डॉमनिक रिपब्लिक इस देश का ही समर्थन प्राप्त हुआ। ईरान के समर्थक रहे रशिया और चीन ने अमरीका के इस प्रस्ताव के विरोध में नकाराधिकार का इस्तेमाल किया। तभी 11 देश यह निर्णय करने के दौरान अनुपस्थित रहे। इसी वजह से ईरान पर लगाए प्रतिबंधों की समय सीमा बढ़ाने के लिए अमरीका ने रखा प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने सुरक्षा परिषद के इस निर्णय पर कड़ी आलोचना की। अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए यह प्रतिबंध जारी रखने में सुरक्षा परिषद नाकाम हुई है, ऐसी नाराज़गी अमरिकी विदेशमंत्री ने व्यक्त की।

‘बीते 13 वर्षों से ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों की समय सीमा बढ़ाने से इन्कार करके सुरक्षा परिषद ने जागतिक आतंकवाद का प्रायोजक बने ईरान को किसी भी अड़ंगे के बिना हथियारों की खरीद-बिक्री की आज़ादी दी है। सुरक्षा परिषद के इस निर्णय का किसी भी तरह से समर्थन करना संभव नहीं है’, ऐसी फटकार पोम्पिओ ने लगाई है। तभी ईरान ने सुरक्षा परिषद के इस निर्णय का स्वागत किया है और संयुक्त राष्ट्रसंघ के बीते 75 वर्ष के इतिहास में अमरीका अब तक इतनी अलग-थलग कभी भी नहीं हुई थी, यह दावा ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मुसावी ने किया है।

US-iran-un-security‘इतनी विदेश यात्राएं, अंतरराष्ट्रीय दबाव का इस्तेमाल और ईरान पर जासूसी करने के बावजूद भी अमरीका एक छोटे देश को ही ईरान के विरोध में मत देने के लिए मजबूर कर सकी। ईरान के कल्पक राजनीतिक दांवों ने अमरीका को पराजित किया’, ऐसा मज़ाक मुसावी ने किया है। तभी अमरीका की एकतरफा राजनीती को किसी का भी समर्थन नहीं प्राप्त हो रहा है, यह दावा चीन ने किया है। लेकिन, सुरक्षा परिषद के इस निर्णय के बाद सावध हुए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने सुरक्षा परिषद के स्थायि सदस्य देशों की शीघ्र बैठक बुलाई है। इस निर्णय की वजह से ईरान के साथ किया गया परमाणु समझौता बचाने के लिए अंतिम अवसर शेष रहने के संकेत रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने दिए हैं।

तभी, ‘सुरक्षा परिषद में इन प्रतिबंधों का प्रस्ताव रखकर अमरीका ने ईरान को राजनयिक समझौते के लिए आखिरी अवसर प्रदान किया था। परंतु, ईरान ने यह अवसर खोया है और अब अमरीका ईरान के खिलाफ़ ‘स्नैपबैक’ प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। इन प्रतिबंधों की वजह से वर्ष 2015 का समझौता हमेशा के लिए खत्म होगा’, यह इशारा ‘इंटरनैशनल क्रायसिस ग्रूप’ के अध्यक्ष रिचर्ड गोवॅन ने दिया है। ‘स्नैपबैक’ प्रतिबंधों में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ईरान पर अब तक लगाए सभी प्रतिबंधों का समावेश रहेगा, यह दावा गोवॅन ने किया है।

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