संयुक्त राष्ट्रसंघ से पैलेस्टाइन के अधिकारों में बढ़ोत्तरी; इस्राइल और अमरिका द्वार राष्ट्रसंघ पर आलोचना

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न्यूयॉर्क – पिछले कुछ हफ़्तों में पैलेस्टाइन के सन्दर्भ में बड़ी भूमिका लेने वाले संयुक्त राष्ट्रसंघ ने पैलेस्टाइन को अतिरिक्त अधिकार देने की घोषणा की है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक में पैलेस्टाइनविषयक यह निर्णय बहुमत से पारित हुआ है और इस नए निर्णय की वजह से अगले साल पैलेस्टाइन को पूरे सदस्य का दर्जा प्राप्त होगा। राष्ट्रसंघ के इस निर्णय की अमरिका और इस्राइल ने आलोचना की है। ‘पैलेस्टाइन स्वतंत्र देश भी नहीं है और राष्ट्रसंघ का सदस्य भी नहीं है’, ऐसा कहकर अमरिकी राजदूत निकी हैले ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के इस निर्णय की आलोचना की है।

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सन २०१९ में ‘जी७७’ इस बैठक का आयोजन किया जाने वाला है। विकसनशील देशों की इस बैठक का अध्यक्ष पद किसे मिलेगा, इस बारे में दो दिनों पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ की सर्वसाधारण बैठक में १९३ सदस्य देशों का मत लिया गया। तब सदस्य देशों में से १४६ देशों ने ‘जी७७’ बैठक के अध्यक्ष पद के लिए पैलेस्टाइन को मंजूरी दी।

पैलेस्टाइन के समर्थन में मतदान करने वालों में ब्रिटन, फ़्रांस, जर्मनी, रशिया और चीन का भी समावेश है। अमरिका, इस्राइल और ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने पैलेस्टाइन के अध्यक्ष पद को तीव्र विरोध किया। १५ देश इस मतदान के समय अनुपस्थित थे। इसमें कनाडा, ऑस्ट्रिया, हंगेरी, झेक गणराज्य, होंडूरास, पोलैंड, लाटव्हिया, क्रोएशिया इन देशों का समावेश है। २९ देशों में मतदान नहीं किया।

अगले साल होने वाली बैठक के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने पैलेस्टाइन को अधिक अधिकार दिए हैं। सदर बैठक का अध्यक्ष पद पाने वाला पैलेस्टाइन संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य देशों की तरह इस बैठक में निर्णय ले सकता है, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य न होते हुए भी पैलेस्टाइन को ‘जी७७’ का अध्यक्ष पद देने के निर्णय का संयुक्त राष्ट्रसंघ ने समर्थन किया है। सन २०१२ में संयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा में बहुसंख्य देशों ने पैलेस्टाइन को सार्वभौम भूभाग का दर्जा दिया था। उस आधार पर पैलेस्टाइन के अधिकारों में बढ़ोत्तरी करके सदर बैठक का अध्यक्ष पद देने का निर्णय लिया गया है, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कहा है।

लेकिन अमरिका और इस्राइल ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के इस निर्णय की जोरदार आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के अमरिकी राजदूत निकी हैले ने संयुक्त राष्ट्रसंघ का यह निर्णय इस्राइल और पैलेस्टाइन के बीच शांति चर्चा के लिए घातक साबित होगा, ऐसी चेतावनी दी है। साथ ही ‘पैलेस्टाइन संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य देश नहीं है, उसे एक देश के तौर पर भी मान्यता नहीं है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की यह गलती इस्राइल और पैलेस्टाइन के बीच शंतिचर्चा को नजर अंदाज करने वाली है। इस वजह से शंतिचर्चा किए बगैर हम जो चाहे कर सकते हैं, ऐसा पैलेस्टिनी नेताओं को लगने लगेगा’, इन स्पष्ट शब्दों में हैले ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की आलोचना की है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के इस्राइल के उपराजदूत ‘नोआ फर्मन’ ने इस निर्णय के कारण संयुक्त राष्ट्रसंघ अधिक दुर्बल हुआ है और राष्ट्रसंघ का महत्व कम हुआ है, ऐसी आलोचना की है। साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य देशों से भी ज्यादा अधिकार पैलेस्टाइन को दिये गए हैं, ऐसा आरोप फर्मन ने लगाया है। इस वजह से पैलेस्टाइन की आक्रामकता में बढ़ोत्तरी हो सकती है। ऐसी चेतावनी भी फर्मन ने दी है। इसके पहले भी संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इस्राइल के खिलाफ जाकर पैलेस्टाइन का पक्ष लेने का आरोप अमरिका और इस्राइल ने किया था। इस्राइल के विनाश की घोषणा देने वाले पैलेस्टिनी नेताओं का संयुक्त राष्ट्रसंघ समर्थन कर रहा है, ऐसा आरोप इस्राइल ने किया है।

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