उल्फा-आय का उपकमांडर दृष्टि राजखोवा ने किया आत्मसमर्पण

शिलाँग – ईशान कोण भारत में स्थित प्रमुख आतंकी ‘यूनायटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम इंडिपेंडन्ट’ (उल्फा-आय) संगठना का उप-कमांडर द्रिष्टी राजखोवा ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया है। उल्फा-आय के प्रमुख परेश बरुआ के बाद दृष्टि राजखोवा संगठन में दूसरे क्रमांक का नेता था। इस वजह से उसका हथियार त्यागना उल्फा के लिए बड़ा झटका समझा जा रहा है। गुप्तचर यंत्रणा बीते नौ वर्षों से उसकी तलाश में जुटी थी।

ulfaईशान कोण भारत में बीते तीन दशकों से आतंकी गतिविधियां कर रही उल्फा संगठना के कुछ आतंकियों ने पहले भी आत्मसमर्पण किया था। साथ ही इस संगठन का एक गुट बीते दस वर्षों से सरकार के साथ शांतिवार्ता कर रही थी। लेकिन, अहिंसा की राह छोड़ने के लिए तैयार ना हुए उल्फा के कमांडर परेश बरुआ ने उल्फा-आय नाम से अपना स्वतंत्र गुट स्थापित किया था। परेश बरुआ फिलहाल चीन में छुपा बैठा है और वहीं से वह भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां कर रहा है, ऐसी रपट सामने आयी थी। साथ ही बीच-बीच में वह भारत के खिलाफ बयानबाज़ी भी करता रहता है। लेकिन, उसका करीबी दृष्टि राजखोवा भारत और म्यानमार में रहकर आतंकी गतिविधियां नियंत्रित कर रहा था।

ulfaबीते नौं वर्षों से भारतीय सेना की गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय’ राजखोवा की तलाश में जुटी हुई थी। राजखोवा का नाम ईशान कोण भारत में सक्रिय मोस्ट वॉन्टेड़ आतंकियों की सूचि में शामिल था। उसका आत्मसमर्पण करना ‘उल्फा-आय’ के लिए बड़ा झटका समझा जा रहा है। राजखोवा फिलहाल सेना के गुप्तचर विभाग की हिरासत में है और उसे असम लाया गया है। उसका आत्मसमर्पण बागियों को परस्त करने के लिए जारी सरकार की कोशिशों को प्राप्त हुई बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। उसकी गिरफ्तारी सेना की गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय’ की लंबे समय से जारी कोशिशों की सफलता है, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं।

राजखोवा के साथ ही उसके चार साथियों ने भी आत्मसमर्पण किया है। इनके नाम एम.एस.कार्पोरल वेदांता, यासीन असोम, रोपज्योती असोम और मिथुन असोम बताए गए हैं। इस कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने हथियारों का बड़ा भंड़ार भी बरामद किया गया है। इसी बीच उल्फा-आय के प्रमुख परेश बरुआ ने असम में एक लोकल टीवी चैनल को फोन करके यह दावा किया है कि, राजखोवा ने अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्या और बीमार पत्नी की वजह से आत्मसमर्पण किया है।

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