‘युएई’ को ‘एफ-३५’ विमानों की बिक्री करने के लिए अमरिकी सिनेट की मंज़ुरी

न्यूयॉर्क – संयुक्त अरब अमिरात (युएई) को अतिप्रगत ‘एफ-३५’ विमान तथा अन्य शस्त्रास्त्रों की सप्लाई करने के लिए अमरिकी सिनेट में रखा प्रस्ताव पारित किया गया। डेमोक्रॅट पार्टी ने किये विरोध के बाद, यह प्रस्ताव पारित करने के लिए ‘विटो’ का इस्तेमाल करने की चेतावनी अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने दी थी। लेकिन सिनेट के इस फ़ैसले के बाद २३ अरब डॉलर्स के इस रक्षा सहयोग का मार्ग खुला हुआ है। इस्रायल ने भी, ‘युएई’ को ‘एफ-३५’ विमानों की सप्लाई करने के लिए उसे कोई ऐतराज़ न होने का ऐलान किया है।

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ‘युएई’ इस अमरीका के मित्रदेश को ‘एफ-३५’ स्टेल्थ लड़ाक़ू विमान, ‘एमक्यू९ रिपर ड्रोन्स’ तथा अन्य शस्त्रास्त्रों की सप्लाई करने की घोषणा की थी। ज्यो बायडेन सत्ता में आने से पहले इस संदर्भ में प्रस्ताव मंज़ूर करा लेने के लिए, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इस प्रस्ताव को अमरीका के सिनेट में प्रस्तुत करने की जल्दबाज़ी की थी। लेकिन येमेन के संघर्ष में उलझा हुआ ‘युएई’, वंशसंहार का दोषी होने का आरोप करके सिनेट के डेमोक्रॅट्स ने, वे यह प्रस्ताव पारित नहीं करेंगे, ऐसा ऐलान किया था। वहीं, खौल उठे राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, वे ‘विटो’ (नकाराधिकार) का इस्तेमाल करके यह प्रस्ताव पारित करा लेंगे, ऐसी धमकी दी थी।

इस पृष्ठभूमि पर, बुधवार को अमरिकी सिनेट में इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में, ‘एफ-३५’ की बिक्री को ४९-४७ और रिपर ड्रोन्स की बिक्री को ५०-४६ ऐसे फ़र्क़ से मंज़ुरी मिली। डेमोक्रॅट्स पार्टी के नेताओं ने इस निर्णय की आलोचना की। वहीं, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प समेत रिपब्लिकन नेताओं ने इसका स्वागत किया। शुरू में ‘युएई’ को अतिप्रगत लड़ाक़ू विमानों की सप्लाई करने से इन्कार करनेवाले इस्रायल ने भी, इस सहयोग को लेकर उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं है, ऐसा अमरीका में नियुक्त इस्रायल के राजदूत रॉन डर्मर ने स्पष्ट किया। वहीं, अमरीकास्थित इस्रायल समर्थक ‘आयपॅक’ इस गुट ने भी, इसका विरोध नहीं करेंगे, ऐसा कहा है।

इस्रायल पहले से ही ‘एफ-३५’ लड़ाक़ू विमानों से लैस है। सिरिया में किये जानेवाले हवाई हमलों के लिए इस्रायल ने इन स्टेल्थ लड़ाक़ू विमानों का इस्तेमाल किया होने का दावा किया जाता है। इन अतिप्रगत विमानों की सप्लाई, अमरीका ख़ाड़ीक्षेत्र के अरब मित्रदेशों को न करें, ऐसी भूमिका इस्रायल ने अपनाई थी। लेकिन कुछ महीने पहले अमरीका और इस्रायल में बनें सहयोग के बाद इस्रायल की भूमिका में बदलाव आया है। वहीं, अमरीका ने ‘युएई’ को ‘एफ-३५’ विमानों से लैस करने का फ़ैसला करने के बाद, ईरान से क्रुद्ध प्रतिक्रिया अपेक्षित है। अमरीका ईरान के विरोध में ही युएई को इन लड़ाक़ू विमानों की बिक्री कर रही होने का आरोप ईरान ने इससे पहले ही किया था।

इसी बीच, ईरान का परमाणुकार्यक्रम तथा बैलिस्टिक क्षेपणास्त्रों का निर्माण, ये बातें खाड़ेक्षेत्र में बने तनाव के लिए ज़िम्मेदार होने का आरोप अमरीका, इस्रायल, सौदी अरब, युएई ने किया है। वहीं, ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी इन तीन युरोपीय देशों समेत संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी ईरान की भूमिका पर सन्देह उपस्थित किया है। लेकिन खाड़ेक्षेत्र के तनाव के लिए ईरान नहीं, बल्कि इस्रायल और अरब देशों के बीच का संघर्ष ज़िम्मेदार होने का दावा इस्रायल में नियुक्त रशियन राजदूत अँटोली विक्टोरोव्ह ने किया। सिरियास्थित हिजबुल्लाह के ठीकानों पर किये हमलों के कारण इस क्षेत्र में तनाव निर्माण हुआ होने का आरोप विक्टोरोव्ह ने किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.