चीन की प्रचार मुहिम में शामिल हज़ारों अकाउंटस्‌ पर ट्विटर ने की कार्रवाई

वॉशिंग्टन – हाँगकाँग के प्रदर्शन और तैवान मामले में चीन की भूमिका का समर्थन कर रहें करीबन २३ हज़ार से भी अधिक अकाउंटस्‌ ट्विटर ने बंद किए हैं। साथ ही, चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी की इस प्रचारमुहिम का साथ देनेवाले डेढ़ लाख अकाउंटस्‌ के विरोध में कार्रवाई की होने की जानकारी ट्विटर ने साझा की है। जागतिक जनमत अपने पक्ष में करवाने के लिए चीन की हुकूमत ने शुरू की हुई प्रचार मुहिम का यह हिस्सा था। इससे चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत किसी भी स्तर तक जा सकती है यह स्पष्ट हुआ है, ऐसी आलोचना इस क्षेत्र के विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैं। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने, ट्विटर की यह कार्रवाई पक्षपाती होने का आरोप किया है।

हाँगकाँग में जारी चीन विरोधी प्रदर्शन कुचलने के लिए वहाँ का चीनपरस्त प्रशासन और चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत बल का प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन, आंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसकी गंभीरता से दखल ले रहा है और लगभग सभी जिम्मेदार देशों ने इस मामले पर चीन के विरोध में आलोचना की जा रही है। कोरोना वायरस की महामारी का हँडलिंग चीन ने गैरजिम्मेदाराना तरीके से करने के बाद, कोरोना वायरस यह चीन का जैविक हथियार होने के आरोप होना शुरू हुआ है। इस वज़ह से, विश्‍वभर में चीन के विरोध में गुस्से से भरी भावना व्यक्त हो रही है। इसकी गुँज सोशल मीडिया पर सुनायी दे रही है। ऐसी स्थिति में, अपने विरोध में गया जनमत बदलने के लिए, चीन ने सोशल मीडिया पर प्रचार मुहिम शुरू की है। हाल के कुछ दिनों में शुरू किये गए हज़ारों अकाउंटस्‌ के जरिये चीन की हुकूमत की प्रचार मुहिम चलाई जा रही है, इस बात पर ट्विटर ने ग़ौर फ़रमाया है। ऐसे करीबन २३ हज़ार अकाउंटस्‌ बंद करने का ऐलान ट्विटर ने किया है। साथ ही, चीन की इस प्रचार मुहिम का साथ देनेवालें करीबन डेढ़ लाख अकाउंटस्‌ पर कार्रवाई की होने की जानकारी ट्विटर ने साझा की है।Hua Chunying

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस कार्रवाई पर नाराज़गी व्यक्त की है और यह पक्षपात होने का बयान किया हैं। कोरोना वायरस की महामारी चीन ने काफ़ी जिम्मेदारी से संभाली, यह पूरे विश्‍व ने देखा है। ऐसा होते हुए भी चीन का समर्थन करनेवाले अकाउंटस्‌ ट्विटर ने बंद किए। लेकिन, चीन पर जैविक युद्ध के साथ साथ अन्य भी बेबुनियाद आरोप करनेवाले अकाउंटस्‌ पर ट्विटर ने कार्रवाई नहीं की। यह पक्षपात है। विश्‍वभर की निष्पक्ष जनता इसकी दखल यक़ीनन लेगी, यह दावा चुनयिंग ने किया। ट्विटर ने कार्रवाई किए हुए अकाउंटस्‌, चीन पर अधिराज्य कर रहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना से संबंधित होने की बात सामने आयी है। प्रचारयुद्ध में चीन की यह कम्युनिस्ट हुकूमत किसी भी हद तक जा सकती है, वह इस ख़ुफ़िया और धोख़ा  करनेवाली प्रचार मुहिम से विश्‍व के सामने स्पष्ट हुआ है, ऐसा बयान ‘ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इन्स्टिट्युट’ के ‘इंटरनैशनल सायबर पॉलिसी सेंटर’ के डायरेक्टर फर्ग्युस हँडसन ने किया है। उसी समय, अपनी जनता को ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने की अनुमति ना देनेवाली यह हुकूमत, अपनी आंतर्राष्ट्रीय प्रचारमुहिम के हिस्से के तौर पर ट्विटर का इस्तेमाल कर रही है, इस दोगलेपन पर हँडसन ने ध्यान आकर्षित किया है। इससे पहले ही कुछ पश्‍चिमी अख़बारों ने, चीन सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके, विश्‍वभर में अपने विरोध में फैल रहें असंतोष को अलग मोड़ देने की कोशिश कर रहा है, ऐसें आरोप किए थे। कोरोना वायरस की महामारी चीन से नहीं फैली, बल्कि यह विषाणु अमरीका ने साज़िश के तौर पर विश्‍व में फैलाया है, यह आरोप करना कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना के समर्थकों ने सोशल मीडिया में शुरू किया था। अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने इसकी गंभीरता से दखल ली थी। अमरिका पर हो रहे इन आरोपों को क्या चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की सहमति है? यह सवाल भी पोम्पिओ ने किया था। लेकिन, अब चीन की इस साज़िश की जानकारी, ट्विटर ने की हुई कार्रवाई से पूरे विश्‍व में सार्वजनिक हुई है। इस कारण, आनेवाले समय में चीन को सोशल मीडिया के ज़रिये अपनी प्रचार मुहिम चलाना उतना आसान नहीं रहेगा। पिछले कुछ वर्षों से चीन अपनी आंतर्राष्ट्रीय छवि में सुधार करने के लिए और हितसंबंधों के लिए, आंतर्राष्ट्रीय माध्यमविश्‍व में बड़ी मात्रा में निवेश करने में जुटा होने की बात सामने आयी थी। इससे विश्‍वभर की नामांकित वृत्तसंस्थाओं की चीन से संबंधित भूमिका में बदलाव होता दिखाई दिया था। लेकिन, कुछ दिनों से कोरोना वायरस की महामारी, हाँगकाँग में हो रही कार्रवाई और तैवान संबंधित भूमिका, इनकी वज़ह से चीन आंतर्राष्ट्रीय नफ़रत का विषय बना है। स्वयं चीन के अभ्यासगुट ने ही अपनी सरकार को इस स्थिति का एहसास कराया है। सन १९८९ में तिआनमेन के चौक में जनतंत्र की माँग कर रहे हज़ारों नागरिकों पर अमानवीय कार्रवाई करने के बाद, आंतर्राष्ट्रीय समुदाय में चीन के विरोध में जितनी भावना बनी थी, उससे कई गुना अधिक असंतोष पूरी दुनिया में चीन के विरोध में अब होने की चेतावनी इस अभ्यासगुट ने अपनी रिपोर्ट में दी थी।

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