दोहा शांतिवार्ता में कड़े निर्णय करने होंगे – अफ़गानिस्तान के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह

दोहा/काबूल – कतार के दोहा में अफ़गानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच जारी शांतिवार्ता कठिन मोड़ पर पहुँची है और इस दौरान कड़े निर्णय करने की आवश्‍यकता है, ऐसा बयान अफ़गानिस्तान के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने किया है। तभी, तालिबान ने अफ़गान युद्ध के कारण को चर्चा का मुद्दा बनाना होगा, ऐसी आक्रामक माँग करके अफ़गान सरकार और अमरीका को मुश्‍किलों में पकड़ने की कोशिश की है। अफ़गानिस्तान में स्थित अमरीका और नाटो के कमांड़र जनरल स्कॉट मिलर ने शांतिवार्ता को लेकर सकारात्मक भूमिका अपनाई है। शांति प्रक्रिया से संबंधित दोनों ओर से अलग अलग भूमिका अपनाई जाने से शांतिवार्ता बिना दिक्कत पूरी होने की संभावना पर आशंका व्यक्त की जा रही है।

afghanistan-peace-talksकतार के दोहा में शनिवार से अफ़गानिस्तान और तालिबान की ऐतिहासिक शांतिवार्ता शुरू हुई। अफ़गानिस्तान की सरकार का नेतृत्व अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह कर रहे हैं। लेकिन, यह चर्चा आसान ना होने की बात अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने कही है। इसमें कई अड़ंगों का सामना करना पड़ेगा, यह बात उन्होंने स्वीकार की है। अफ़गानिस्तान को इस चर्चा के दौरान अफ़गान नागरिकों का हक, महिला और अल्पसंख्यांकों के अधिकार, नागरी स्वतंत्रता सुरक्षित रखनी है, यह बात अब्दुल्लाह अब्दुल्ला ने कही। साथ ही तालिबान युद्धविराम करे, इस पर अफ़गान शिष्टमंडल जोर दे रहा है, यह भी उन्होंने स्पष्ट किया।

लेकिन, तालिबान ने अफ़गानिस्तान में अंतरिम सरकार स्थापित करने की कड़ी कोशिश शुरू होने की बात सामने आ रही है। इसके लिए तालिबान ने इस्लामी हुकूमत और अफ़गान युद्ध का कारण शांतिवार्ता का हिस्सा करने का मुद्दा पेश किया है। साथ ही अफ़गानिस्तान में हिंसा जारी रखकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश भी की जा रही है। तालिबान ने युद्धविराम किया और बातचीत से कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ तो आगे क्या, यह सवाल तालिबान के प्रवक्ता कर रहे हैं। दो दशकों का यह युद्ध शांतिवार्ता से ख़त्म नहीं होगा, यह बात तालिबान कह रही है।

इसकी वजह से अफ़गानिस्तान में सियसी नेता तालिबान के उद्देश्‍यों को लेकर आशंका उपस्थित कर रहे हैं और अब्दुल्लाह का बयान इसी आशंका का हिस्सा होने की बात दिख रही है। ऐसे में जनरल मिलर अभी भी इस शांतिवार्ता को लेकर उम्मीद रखकर हैं। अफ़गानिस्तान की जनता के लिए शांतिवार्ता आवश्‍यक है लेकिन, तालिबान की हिंसा भी कम होनी चाहिए, यह बात जनरल मिलर ने कही है। साथ ही गुरूवार के दिन कतार में अफ़गानिस्तान और तालिबान के बीच चर्चा हुई ही नहीं, ऐसा दावा अफ़गान माध्यमों ने किया है।

इसी बीच कुछ दिन पहले अमरीका ने अफ़गानिस्तान के लिए नियुक्त किए विशेषदूत ज़ल्मे खलिलज़ाद भारत पहुँचे थे। इस दौरान उन्होंने अफ़गानिस्तान की शांतिवार्ता पर बैठक की। अफ़गान शांतिवार्ता में भारत की भूमिका अहम साबित होगी, यह बयान अमरीका ने किया था। भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत के खिलाफ़ गतिविधियों के लिए ना हो, यह इशारा देकर भारत की भूमिका स्पष्ट की थी।

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